मेरे दोस्त, तुम अपने जीवन को लेकर संजीदा हो जाओ। समय बहुत तेजी से गुजरता जा रहा है। यह जिन्दगी तुमको दोबारा कोई मौका नहीं देगी। यह मानव जीवन बड़ी मुश्किल से मिलता है। तुम इसको अच्छे से जीने की कला सीख लो। तुम परहित करके अपना जीवन सफल बना लो।
क्योंकि, तुम्हारी जिन्दगी कहीं तुमको ही जी कर फुर्र न हो जाए। इसके पहले तुम अपनी जिंदगी को जी भरकर जी लो। तुम रोज के काम रोज निबटाये रहो। कल पता नहीं क्या हो? तुम रहो या न रहो। जिंदगी तो बस पानी का बुलबुला है। तुम हर शाम को अपनी जिंदगी की आखिरी शाम समझ लो। हर शाम अपनी जिन्दगी से खुश और सन्तुष्ट होकर ही बिस्तर पर जाओ। चादर तान कर भरपूर हर रात सो लो।
और हाँ, तुम चिंता तो किसी बात की करना ही नहीं। यहां सबकुछ पराया है। संसार में कुछ भी तुम्हारा अपना नहीं है। तुम अकेले आये थे….और अकेले ही जाओगे। यहां जो जन्मा है, उसे मरना ही होगा। जो फरा है, उसे झड़ना ही होगा। जो जला है, उसे बुझना ही होगा। जो भी मिला है, उसे बिछड़ना ही होगा।
एक बात और, तुम अपने को कर्ता समझने की भूल मत कर बैठना। कर्ता तो ऊपर बैठा है। वही सर्व शक्तिमान मुझे हर चीज में माध्यम बनाता है। बस, तुम कोशिश करो कि तुम्हारा हर कदम सकारात्मक और सार्थक हो। किसी शार्टकट अर्थात बेईमानी, मक्कारी, लयमारी, फरेब, धोखे व झूठ से जोड़ी गयी माया यानी धन-संपदा तुम्हारे काम न आएगी। अभी पीछे कोरोना काल में तुमने सबकुछ अपनी आंखों से देख लिया है। अरबपति/करोड़पति लोग ऑक्सीजन का एक सिलिंडर नहीं खरीद सके।
भव सागर तरने में सिर्फ और सिर्फ तुम्हारा सदाचार, सद् व्यवहार, सत्कर्म, सदविचार ही मददगार होगा। इसलिए भौतिक सुख-साधन जोड़ने में ही सारा समय नष्ट करना व्यर्थ होगा। यह धन, सम्पदा तो तुम्हारे परिवार के ही काम आएगा। तुमको तो गोलोकधाम अकेले ही खाली हाथ जाना है। तुम्हारा एकत्र किया गया माल-खजाना यहीं रह जाएगा। तुम्हारे साथ बस तुम्हारे कर्म, तुम्हारे पुण्य जाएंगे।
…तो मित्र जीवन की इस आपाधापी में तुम कुछ समय अपने लिए निकालो। तुम अपनी जिन्दगी को भी अच्छे से जी लो। उसे समय दो और करीब से देखो-समझो। रोज कुछ देर के लिए अपने आप से मिलो। तुम चाह लोगे तो तुम्हारा जीवन सफल हो जाएगा। इस मृत्युलोक में तुम अमर हो जाओगे। साथ ही, तुम्हें जीवन-मरण के दुष्चक्र से भी मुक्ति मिल जाएगी। तुमको प्रभु की चरण-शरण में रहने का स्वर्णिम अवसर प्राप्त हो जाएगा।
नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान (पत्रकार)
जंगलवा, रामपुर देवरई, बख़्शी का तालाब, लखनऊ