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यूपी निकाय चुनाव को लेकर हाईकोर्ट का अहम फैसला

बिना ओबीसी आरक्षण के तत्काल चुनाव कराने के आदेश

लखनऊ। यूपी निकाय चुनाव को लेकर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि बिना ओबीसी आरक्षण के निकाय चुनाव कराया जाए। इस आदेश से सभी ओबीसी सीट सामान्य हो जाएंगी। ये आदेश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने रायबरेली निवासी सामाजिक कार्यकर्ता वैभव पांडेय व अन्य की जनहित याचिकाओं पर दिया है।कोर्ट में कहा गया कि ओबीसी आरक्षण एक राजनीतिक आरक्षण है।

बता दें कि हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनाव के ओबीसी आरक्षण के मामले की सुनवाई 24 दिसंबर शनिवार को पूरी कर ली थी। कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित कर लिया था। कोर्ट ने फैसला सुनाने के लिए 27 दिसम्बर की तारीख मुकर्रर की थी।
यूपी सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही और मुख्य स्थाई अधिवक्ता अभिनव नारायन त्रिवेदी ने सरकार का पक्ष रखा था। बहस के दौरान याचियों की ओर से दलील दी गई कि निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण एक प्रकार का राजनीतिक आरक्षण है। पहले मामले की सुनवाई के समय राज्य सरकार का कहना था कि मांगे गए सारे जवाब प्रति शपथपत्र में दाखिल कर दिए गए हैं। इस पर याचियों के वकीलों ने आपत्ति करते हुए सरकार से विस्तृत जवाब मांगे जाने की गुजारिश की‚ जिसे कोर्ट ने नहीं माना। राज्य सरकार ने दाखिल किए गए अपने हलफनामे में कहा कि स्थानीय निकाय चुनाव मामले में 2017 में हुए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के सर्वे को आरक्षण का आधार माना जाए। सरकार ने कहा कि इसी सर्वे को ट्रिपल टेस्ट माना जाए। यह भी कहा कि ट्रांसजेंडर्स को चुनाव में आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। हाईकोर्ट में आरक्षण को लेकर 65 आपत्तियां दाखिल की गई थी । हाईकोर्ट ने सभी मामलों को सुनवाई पूरी कर ली है। याचिकाकर्ताओं के द्वारा ओबीसी आरक्षण से लेकर जनरल आरक्षण पर आपत्तियां दर्ज कराई गई थी। सरकार के वकील की तरफ से 2017 के फार्मूले पर आरक्षण लागू किए जाने का दावा किया गया। जिस पर हाईकोर्ट ने सख्त सवाल करते हुए पूछा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में ओबीसी आरक्षण को लेकर नई गाइडलाइन जारी की गई है तो उसका पालन क्यों नहीं किया आरक्षण को लेकर डेडिकेशन कमीशन बनाया जाए। निकाय चुनाव में रिजर्वेशन को लेकर अंतिम दिन सुनवाई में सबसे पहले याचिकाकर्ता की वकील एलपी मिश्रा ने अपना पक्ष रखा था। वकील ने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण जो किया गया है, वो राजनीतिक रिपोर्ट के आधार पर तैयार की गई है। एक डेडिकेशन कमीशन बनाया जाए जो आरक्षण को लेकर फैसला करे। मौजूदा आरक्षण प्रणाली से पिछड़ा वर्ग के साथ न्याय नहीं हो रहा है।याचिकाकर्ता की वकील ने सुरेश महाजन बनाम मध्य प्रदेश सरकार-2021 केस में सुप्रीम कोर्ट का आदेश विस्तार से पढ़कर जज के सामने सुनाया। जज ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पढ़ने के बाद आगे की सुनवाई शुरू की। डेडिकेटेड आयोग पर सरकारी वकील ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उनका रैपिड सर्वे डेडिकेटेड आयोग द्वारा किए गए ट्रिपल टेस्ट जैसा ही है।