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ब्रिक्स के तहत दुनिया का पहला द्विपक्षीय ‘एनर्जी-ओ-थॉन’ लॉन्च

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। भारत और रूस के संबंधों में ऊर्जा और तकनीक के क्षेत्र में एक नया और व्यावहारिक अध्याय जुड़ गया है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की हालिया भारत यात्रा के बाद दोनों देशों ने आपसी सहयोग को केवल कूटनीति तक सीमित न रखते हुए उसे शिक्षा, नवाचार और युवा सहभागिता से जोड़ने की दिशा में ठोस कदम बढ़ाया है। इसी क्रम में ब्रिक्स ढांचे के तहत दुनिया का पहला भारत–रूस द्विपक्षीय ऊर्जा हैकाथॉन ‘एनर्जी-ओ-थॉन’ सफलतापूर्वक आयोजित किया गया।

यह आयोजन गो-ब्रिक्स बिजनेस फोरम द्वारा राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम टेक्नोलॉजी के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के सहयोग से किया गया। इस पहल ने यह साफ़ संकेत दिया कि भविष्य की अंतरराष्ट्रीय साझेदारियां केवल समझौतों से नहीं, बल्कि युवा दिमाग और साझा इनोवेशन से मजबूत होती हैं। एनर्जी-ओ-थॉन का उद्देश्य ऊर्जा क्षेत्र से जुड़ी वास्तविक चुनौतियों के लिए डिजिटल, व्यावहारिक और भरोसे पर आधारित सॉल्यूशंस तलाशना रहा।

इस हैकाथॉन में भारत और रूस के स्नातक व परास्नातक विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। रूस की प्रतिष्ठित संस्थाओं जैसे अल्मेत्येव्स्क स्थित हायर स्कूल ऑफ पेट्रोलियम, मॉस्को पॉलिटेक्निक और सेंट पीटर्सबर्ग पॉलिटेक्निक की सक्रिय भागीदारी रही। साथ ही बायर बैंक जैसे वित्तीय संस्थानों और उद्योग जगत की रुचि ने यह साबित किया कि यह पहल केवल एजूकेशनल एक्सरसाइज़ नहीं, बल्कि भविष्य के स्टार्टअप और कॉमर्शियल सॉल्यूशंस की नींव है।

इस पायलट चरण में भारत से करीब 250 और रूस से लगभग 100 विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। मार्च 2026 में इसके दूसरे चरण के रूप में ऑनलाइन आइडियाथॉन आयोजित किया जाएगा। जिसमें दोनों देशों की संयुक्त टीमें रूसी डिजिटल प्लेटफॉर्म ‘डियोन’ के माध्यम से मिलकर काम करेंगी। इस चरण में लगभग 7,000 विद्यार्थियों के शामिल होने की संभावना है, जबकि दीर्घकालिक लक्ष्य 50,000 इनोवेटर्स तक पहुंचने का है।

ब्रिक्स इंटरनेशनल फोरम और गो-ब्रिक्स बिजनेस फोरम की चेयरपर्सन पूर्णिमा आनंद ने कहा कि यह पहल भारत–रूस संबंधों को एक नई वैज्ञानिक और इनोवेशन आधारित दिशा देती है। ऊर्जा क्षेत्र से शुरुआत इसलिए की गई है क्योंकि यह दोनों देशों के बीच भरोसे का सबसे मजबूत आधार है। लखनऊ विश्वविद्यालय के डॉ. अमृतांशु शुक्ला ने इसे संस्थान के लिए गर्व का क्षण बताते हुए कहा, “यह सहयोग युवा प्रतिभाओं को वैश्विक स्तर पर नई पहचान देगा।”

आयोजकों के अनुसार चुनी गई टीमों को आगे उन्नत चरणों, शैक्षणिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों और उद्योग से जुड़ने के अवसर मिलेंगे। एनर्जी-ओ-थॉन के जरिए भारत और रूस ज्ञान, भरोसे और इनोवेशन के साझा रास्ते पर मजबूती से आगे बढ़ते नजर आ रहे हैं।