कोलकाता : पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत सुनवाई में जमा किए जाने वाले दस्तावेज फर्जी हैं या नहीं, इसकी जांच अब नए तरीके से की जाएगी। केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी करते हुए पश्चिम बंगाल समेत 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को पत्र भेजा है। आयोग ने साफ किया है कि सुनवाई के दौरान जमा सभी दस्तावेजों की अनिवार्य रूप से सत्यापन प्रक्रिया अपनाई जाएगी।आयोग के अनुसार, जिन मतदाताओं को सुनवाई के लिए नोटिस भेजा जा रहा है, उन्हें निर्धारित तिथि पर उपस्थित होकर अपने मतदाता होने की वैधता साबित करनी होगी। इसके लिए आवश्यक प्रमाण पत्र जमा करना अनिवार्य होगा। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि केवल दस्तावेज जमा कर देना पर्याप्त नहीं होगा, बल्कि यह साबित करने की जिम्मेदारी मतदाता की होगी कि उसका नाम वैध रूप से मतदाता सूची में दर्ज है। जरूरत पड़ने पर यह भी दिखाना होगा कि उसका नाम मैपिंग प्रक्रिया या पहले के एसआईआर में शामिल रहा है।सुनवाई के दौरान प्राप्त सभी दस्तावेजों को संबंधित बूथ स्तर अधिकारी द्वारा निर्धारित ऐप पर अपलोड करना होगा। आयोग ने निर्देश दिया है कि कागजात जमा होने के बाद उन्हें लंबित नहीं रखा जा सकता। अधिकतम पांच दिनों के भीतर सभी दस्तावेज आयोग के ऐप या आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड करना अनिवार्य होगा।इसके बाद दस्तावेजों की जांच की जिम्मेदारी जिला निर्वाचन अधिकारी की होगी। जिला निर्वाचन अधिकारी संबंधित विभागों से संपर्क कर दस्तावेजों की सत्यता की पुष्टि करेंगे। यदि दस्तावेज उसी राज्य के किसी अन्य जिले से संबंधित हैं, तो वर्तमान जिले के अधिकारी ऐप के माध्यम से दूसरे जिले के जिला निर्वाचन अधिकारी को सत्यापन के लिए दस्तावेज भेजेंगे। यदि दस्तावेज किसी अन्य राज्य से जुड़े हैं, तो उस राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से संपर्क कर जांच कराई जाएगी। चुनाव आयोग ने सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों, निर्वाचन निबंधन अधिकारियों और पर्यवेक्षकों को इन निर्देशों का सख्ती से पालन करने को कहा है।गौरतलब है कि, पश्चिम बंगाल में 4 नवंबर से एसआईआर की प्रक्रिया शुरू हुई है। एनुमरेशन चरण पूरा होने के बाद 16 दिसंबर को प्रारूप मतदाता सूची प्रकाशित की गई। इसके बाद सुनवाई की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। आयोग ने उन मतदाताओं की सूची तैयार कर ली है, जिन्हें दस्तावेजों की जांच के लिए सुनवाई में बुलाया जाएगा और नोटिस भेजने का काम भी शुरू हो चुका है।पश्चिम बंगाल में 27 दिसंबर से सुनवाई की शुरुआत होगी। पहले चरण में 30 लाख से अधिक ऐसे मतदाताओं को बुलाया जाएगा, जिनकी 2002 की मतदाता सूची से कोई मैपिंग नहीं हो पाई है। इसके अलावा आयोग ने 1.36 लाख मतदाताओं को संदिग्ध श्रेणी में चिन्हित किया है। इन सभी को भी सुनवाई में उपस्थित होकर अपनी पात्रता साबित करनी होगी।निर्वाचन आयोग ने बताया कि केवल पश्चिम बंगाल ही नहीं, बल्कि देश के 12 अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में भी एक साथ एसआईआर का काम चल रहा है। आयोग की ओर से बूथ स्तर अधिकारी गांव और शहरों में घर-घर जाकर एनुमरेशन फॉर्म बांट रहे हैं। जो लोग काम के कारण राज्य से बाहर रहते हैं, उनके लिए ऑनलाइन माध्यम से फॉर्म भरने की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। ———————-
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