लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। सीएसआईआर–केन्द्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआई) ने “औषधि खोज एवं विकास: अतीत, वर्तमान एवं भविष्य” विषय पर दो दिवसीय संगोष्ठी के साथ अपनी प्रथम एलुमनाई मीट–2025 का सफलतापूर्वक समापन किया। यह आयोजन संस्थान की समृद्ध वैज्ञानिक विरासत के उत्सव के साथ-साथ एलुमनी एवं संस्थान के बीच सुदृढ़ सहभागिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।

एलुमनी के लिए यह आयोजन एक भावनात्मक ‘घर वापसी जैसा रहा, जहाँ पुरानी यादें ताज़ा हुईं, आजीवन बने संबंध पुनर्जीवित हुए एवं उस संस्थान से पुनः जुड़ाव हुआ जिसने उनके वैज्ञानिक जीवन को दिशा दी।
कार्यक्रम के दूसरे दिन एलुमनी टॉक्स के अंतर्गत बीआरआईसी-एनबीआरसी के वैज्ञानिक–VII एवं वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. पंकज सेठ ने प्रिसीजन मेडिसिन के लिए मानव मस्तिष्क ऑर्गेनॉइड्स की संभावनाओं पर अपने विचार साझा किए। कोहैंस लाइफ साइंसेज़ के डॉ. अशोक झा ने गति, विस्तार क्षमता और नवाचार के बल पर भारत को एक अग्रणी फार्मास्युटिकल सीडीएमओ हब के रूप में उभरने पर प्रकाश डाला। वहीं क्राइस्ट यूनिवर्सिटी के डॉ. रवि ठाकुर ने ट्यूमर माइक्रोएनवायरनमेंट में मेटाबॉलिक कमजोरियों को लक्षित करने पर अपना व्याख्यान दिया।

पैनल चर्चा के दौरान प्रतिष्ठित एलुमनी ने सीएसआईआर-सीडीआरआई में अपने अनुभवों एवं पेशेवर जीवन से प्राप्त महत्वपूर्ण सीख साझा की। डॉ. अल्ताफ़ लाल ने विविध दृष्टिकोणों को सुनने, विज्ञान के मानवीय पक्ष को समझने तथा शोध परिणामों को व्यावहारिक और क्रियान्वयन योग्य नीतियों में रूपांतरित करने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने युवा शोधकर्ताओं से व्यापक अध्ययन करने, अपने भविष्य को लेकर सार्थक प्रश्न पूछने और ठोस कदम उठाने का आह्वान किया।
डॉ. पंकज सेठ ने अपने करियर के उतार-चढ़ाव साझा करते हुए कहा कि सफलता ईंट-दर-ईंट रखी गई मजबूत नींव पर टिकी होती है, जिसमें सीएसआईआर-सीडीआरआई जैसे संस्थानों से मिलने वाला मार्गदर्शन अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने दोहराया कि शोध में कोई शॉर्टकट नहीं होता, चुनौतियाँ ही प्रणाली को और मजबूत बनाती हैं।

डॉ. दीपक दत्ता ने सार्थक सामाजिक प्रभाव के लिए मौलिक अनुसंधान एवं ट्रांसलेशनल रिसर्च के समन्वय की आवश्यकता पर जोर दिया। डॉ. रुचिका योगेश ने अपनी उद्यमशीलता की यात्रा साझा करते हुए बताया कि सीएसआईआर-सीडीआरआई ने उन्हें पीएचडी करने और आगे चलकर उद्यमिता अपनाने का उद्देश्य दिया। उन्होंने कहा कि एक उद्यमी को ऐसे प्रश्नों की पहचान करनी चाहिए जो बड़ी संख्या में लोगों की समस्याओं का समाधान कर सकें, इसके अलावा अपने अनुभव व दृष्टि के अनुरूप सही टीम का गठन करना चाहिए।
संस्थान की निदेशक डॉ. राधा रंगराजन ने जीवन में चुनाव करने की सार्वभौमिक चुनौती पर विचार रखते हुए आत्मविश्वास और उद्देश्य-प्रेरित विज्ञान की शक्ति को रेखांकित किया। उन्होंने युवा शोधकर्ताओं के मार्गदर्शन में एलुमनी की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।

दिन के वैज्ञानिक सत्रों में मानव मस्तिष्क ऑर्गेनॉइड्स और प्रिसीजन मेडिसिन, भारत का फार्मास्युटिकल सीडीएमओ हब के रूप में उभार, तथा ट्यूमर माइक्रोएनवायरनमेंट में मेटाबॉलिक कमजोरियों जैसे विषयों पर विशेषज्ञ व्याख्यान शामिल रहे। जिन्होंने औषधि अनुसंधान एवं विकास की समकालीन चुनौतियों पर दूरदर्शी दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। समापन सत्र में पोस्टर पुरस्कार विजेताओं एवं निर्णायकों का सम्मान भी किया गया, जिससे युवा शोधकर्ताओं के उत्कृष्ट वैज्ञानिक योगदान को मान्यता मिली।

कार्यक्रम का समापन छात्र–एलुमनी संवाद सत्र के साथ हुआ, जिसमें सीएसआईआर-सीडीआरआई के शोधार्थियों और छात्रों ने एलुमनी के साथ करियर पथ, शोध विकल्प, मार्गदर्शन और अकादमिक जगत से परे जीवन पर खुलकर चर्चा की। इसके पश्चात सह-संयोजक डॉ. हिजास के.एम. द्वारा धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया गया और राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।

ऐतिहासिक छत्तर मंज़िल परिसर के मार्गदर्शित भ्रमण ने एलुमनी को अपनी प्रिय स्मृतियों से पुनः जुड़ने का अवसर प्रदान किया। जिससे यह आयोजन न केवल एक वैज्ञानिक सम्मेलन बल्कि भावनात्मक रूप से समृद्ध अनुभव भी बन गया।
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