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हिंदी विश्वविद्यालय की साख पर नहीं आने दी जाएगी आंच

वर्धा (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीैय हिंदी विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. कुमुद शर्मा के पदभार ग्रहण करने के दिन से ही विद्यार्थी केंद्रित गतिविधियां निरंतर जारी है। विश्वविद्यालय शैक्षणिक, सांस्कृतिक गतिविधियों में निरंतर प्रगति कर रहा है। विश्वविद्यालय ने बीते समय में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी भाषा, साहित्य और भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में उल्ले‍खनीय उपलब्धियां हासिल की है। 

विद्यार्थियों से सतत संवाद कर उनकी शैक्षणिक समस्याओं पर ध्यान दिया जा रहा है। उनकी कक्षाओं का संचालन सुचारु रूप से चल सके इसके लिए कुलपति स्वयं ध्यान दे रही हैं। विश्वविद्यालय में हमेशा शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक माहौल बना रहे इसके लिए ऐसे कार्यक्रमों और उपक्रमों का खाका तैयार किया गया है जिससे उनकी प्रतिभा निखर सके। हाल ही में भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अंतर्गत स्वच्छता उत्सव अभियान का आयोजन किया गया जिसमें विद्यार्थियों के लिए अलग-अलग प्रतियोगिताएं आयोजित की गयीं।

इन प्रतियोगिताओं में विभिन्न विभागों के विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़ कर सहभागिता की और उन्हें गांधी जयंती के दिन एक बड़ा आयोजन कर सम्मानित किया गया। हिंदी दिवस पखवाड़े का वृहद स्तर पर आयोजन करते हुए कर्मचारियों के काम में गुणवत्ता बढ़ाने का भी प्रयास किया गया। कार्यालयीन कार्य में प्रौद्याेगिकी का अधिक से अधिक उपयोग किया जाए और काम अधिक तेज गति से किया जाए इसके लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। 

इतना ही नहीं राष्ट्रीय सेवा योजना हो या एनसीसी विद्यार्थियों की भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से विभिन्न  कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। शैक्षणिक प्रगति के साथ-साथ विद्यार्थियों के सामाजिक और सांस्कृतिक विकास की दिशा में विश्वविद्यालय लगातार काम कर रहा है। विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण और स्वास्‍थ्‍यवर्धक भोजन मिले इसके लिए  प्रशासन की ओर से निरंतर प्रयास जारी है। मेस के संचालन में विद्यार्थियों को सहभागी करते हुए उन्हें अच्छा भोजन दिया जा रहा है। 

कुछ ग़ैर ज़िम्मेदार तत्वों द्वारा सोशल मीडिया माध्यम का सहारा लेकर विश्वविद्यालय के प्रतिभावान विद्यार्थियों के बीच भ्रम फैलाया जा रहा है। ऐसे तत्वों द्वारा विश्वविद्यालय की छवि को धूमिल करने का दुर्भाग्यपूर्ण प्रयास किया जा रहा है। विश्वविद्यालय ऐसे सभी प्रयासों की कड़े शब्दों में निंदा करता है और यह स्पष्ट करता है कि इस प्रकार की भ्रामक व तथ्यहीन जानकारियां विश्वविद्यालय की साख को प्रभावित नहीं कर सकती। इस तरह के मामलों को विश्वविद्यालय प्रशासन गंभीरता से ले रहा है। साथ ही विश्वविद्यालय अपने शोधार्थियों, विद्यार्थियों, शिक्षकों व कर्मचारियों से अपील करता है कि वे किसी भी प्रकार की अपुष्ट या भ्रामक जानकारी पर ध्यान न दें।