लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। आंचलिक विज्ञान नगरी, अलीगंज में अत्यंत उत्साह और जन भागीदारी के साथ 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन किया गया। जिसका शीर्षक “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य” रहा। यह आयोजन “योग संगम” कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य योग वैसेप्राचीन अभ्यास के माध्यम से समग्र स्वास्थ्य एवं पर्यावरणीय संतुलन का संदेश देना था। कार्यक्रम की शुरुआत प्रातः 6:30 बजे एक लाइव योग सत्र के साथ हुई। जिसका संचालन हिना हिदायत खान (योग प्रशिक्षक, राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय, लखनऊ) द्वारा किया गया।
सत्र के दौरान हिना हिदायत खान ने कहाकि ‘योग केवल एक शारीरिक व्यायाम ही नहीं, बल्कि यह आत्म-जागरूकता और आंतरिक अनुशासन की यात्रा है। आज के तनावपूर्ण, गतिहीन और असंतुलित जीवनशैली वाले युग में योग एक स्वाभाविक एवं वैज्ञानिक समाधान प्रदान करता है। नियमित योगाभ्यास न केवल शारीरिक शक्ति को बढ़ाता है, मल्कि एकाग्रता, धैर्य और रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी सुधार करता है।”
हिना हिदायत खान ने विशेष रूप से प्रतिभागियों को योग को दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बनाने की सलाह दी ताकि वे आधुनिक जीवनशैली के दुष्प्रभावों से बच सकें। उन्होंने अनुलोम-विलोम, भ्रमरी और कपालभाति जैसे प्राणायाम और ताड़ासन, त्रिकोणासन, भुजंगासन तथा शवासन जैसे सरल योगासनों का प्रदर्शन किया, जिसे उपस्थित लोगों ने उत्साहपूर्वक सीखा और अपनाया।

योग सत्र के बाद “प्राणायाम और योगासन’ विषय पर एक लोकप्रिय व्याख्यान आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य प्राचीन भारतीय बोग विज्ञान और आधुनिक वैज्ञानिक समझ के बीच सेतु स्थापित करना था। इस व्याख्यान में बताया गया कि किस प्रकार प्राचीन योग पद्धतियाँ विशेषकर प्राणायाम और आसन विभिन्न शारीरिक प्रणालियों जैसे परिसंचरण, पाचन, वसन, अंतःस्रावी और तंत्रिका तंत्र को सक्रिय एवं नियंत्रित करने में सहायक होती हैं। वैज्ञानिक शोधों के आधार पर यह भी समझाया गया कि इन तकनीकों से ऑक्सीजन आपूर्ति में सुधार, तनाव हार्मोन के स्तर में संतुलन, पाचन क्रिया में वृद्धि और बयापचय वर बेहतर होती है।। इस व्याख्यान में आंचलिक विज्ञान नगरी, लखनऊ के कर्मचारी, छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों सहित लगभग 55 लोगों ने भाग लिया, जिन्होंने योग के वैज्ञानिक पक्ष को समझने में गहरी रुचि दिखाई।
जन-सहभागिता और स्वास्थ्य विषय पर वैज्ञानिक जिज्ञासा को और गहराई देने के लिए, “योग और जीवनशैली विषय पर एक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य प्रतिभागियों को योग की शारीरिक मुद्राओं से आगे बढ़कर इसके दार्शनिक, ऐतिहासिक और जीवनशैली संबंधी पहलुओं से परिचित कराना था। इस प्रतियोगिता में छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों और आम दर्शकों सहित कुल लगभग 150 प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। प्रतियोगिता का बाताबरण बेहद जीवंत और ज्ञानवर्धक रहा, जिसमें प्रतिभागी टीमों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और रोचक प्रश्नों के उत्तर दिए। विजेताओं को प्रमाणपत्र और पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।
स्वरूप मंडल (परियोजना समायोजक, आंचलिक विज्ञान नगरी) ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस प्रतिवर्ष 21 जून को मनाया जाता है और इसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2014 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्ताव पर आधिकारिक मान्यता दी गई थी। यह दिन इसलिए चुना गया क्योंकि यह उत्तरी गोलार्द्ध का सबसे लंबा दिन होता है और योग परंपराओं में इसका विशेष महत्व है। इस दिवस का उद्देश्य योग के शारीरिक, मानसिक और आत्मिक लाभों के प्रति वैश्विक जागरूकता फैलाना है।
इस आयोजन के माध्यम से आंचलिक विज्ञान नगरी, लखनऊ ने यह प्रमाणित किया कि वह केवल वैज्ञानिक शिक्षा का केंद्र ही नहीं, बल्कि भारत की परंपरागत स्वास्थ्य विधाओं को आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जोड़कर समग्र कल्याण को बढ़ावा देने वाली एक सक्रिय संस्था है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का यह आयोजन भारत की सांस्कृतिक धरोहर को सम्मान देने और एक स्वस्थ, संतुलित और सामंजस्यपूर्ण वैश्विक समाज की दिशा में एक ठोस कदम के रूप में संपन्न हुआ।