लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। नागा साधुओं ने ‘नागा संत नेत्र परीक्षण’ के माध्यम से भारत को वैश्विक मान्यता दिलाई है। एक शक्तिशाली सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल जिसने कान लायंस इंटरनेशनल फेस्टिवल ऑफ क्रिएटिविटी 2025 में स्वास्थ्य और कल्याण श्रेणी में रजत पदक जीता। इस अभियान का नेतृत्व गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड ने मधुमेह और रोकथाम योग्य अंधेपन के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध एक धर्मार्थ संगठन आईबेट्स फाउंडेशन के सहयोग से किया।
भारत में लगभग 100 मिलियन मधुमेह रोगी हैं, जिनमें से 60% से अधिक का निदान नहीं हो पाया है। मधुमेह रोकथाम योग्य अंधेपन का प्रमुख कारण भी है। जीसीपीएल के इन-हाउस क्रिएटिव स्टूडियो, गोदरेज क्रिएटिव लैब द्वारा परिकल्पित, ‘नागा संत नेत्र परीक्षण’ ने मधुमेह से प्रेरित अंधेपन के इस मुद्दे को उजागर करने के लिए एक साहसिक और सांस्कृतिक रूप से निहित दृष्टिकोण अपनाया।
नागा साधुओं की आध्यात्मिक आभा और दृश्यता का लाभ उठाते हुए, स्वास्थ्य पहल ने उन्हें जीवंत नेत्र दृष्टि परीक्षण चार्ट में बदल दिया, जिसमें उनकी नंगी पीठ पर देवनागरी लिपि में मोटे हिंदी अक्षर लिखे हुए थे। जो लोग अक्षर पढ़ने में असमर्थ थे, उन्हें निःशुल्क नेत्र जांच शिविर में ले जाया गया। यह पहल प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में महाकुंभ मेला 2025 के दौरान त्रिवेणी संगम स्थल पर आयोजित की गई थी।
जीसीपीएल के इन-हाउस क्रिएटिव स्टूडियो गोदरेज क्रिएटिव लैब की ग्लोबल हेड स्वाति भट्टाचार्य ने कहा, “सबसे जटिल मानवीय समस्याओं का सबसे सरल समाधान हो सकता है। हमारी पहली जीत तब हुई जब नागा साधु समुदाय ने हमें ‘हां’ कहा। यह जीत अब आईबेट्स फाउंडेशन को दुनिया भर में पहचान दिलाएगी। हमारा विचार दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक उत्सव से दुनिया के सबसे बड़े रचनात्मक उत्सव तक पहुँच गया है।”
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