पैनल चर्चाओं संग तीन दिवसीय यूपी एनर्जी एक्‍सपो 2025 का उत्साह के साथ समापन

  • यूपी में बैटरी स्टोरेज संयंत्र स्थापित करें निवेशक
  • ईपीसी सोलर के लिए बुनियादी ढांचा जरूरी
  • इलेक्ट्रिक बसों का बेड़ा बनाए जाने पर होगा काम
  • सोलर ऊर्जा का उपभोग घरेलू आवश्‍यकताओं के लिए ही अधिकाधिक करें
  • पीपीपी मॉडल पर इलेक्ट्रिक बसों के लिए हर 25 किमी पर ईवी चार्जिंग स्‍टेशन बनेंगे
  • उत्तर प्रदेश ने स्वच्छ ऊर्जा भविष्य के लिए साहसिक मार्ग का निर्धारण किया

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। उत्तर प्रदेश ऊर्जा एक्सपो 2025 का शनिवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में भव्य समापन हुआ, जिसने उत्तर प्रदेश को भारत के स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन के अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित किया। पीएचडीसीसीआई, फर्स्टव्यू और यूपीनेडा, उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से आयोजित इस तीन दिवसीय आयोजन ने 8 हजार से अधिक उपस्थितगणों को आकर्षित किया, जिनमें उद्योग नेता, उद्यमी और नीति निर्माता शामिल थे, जो सौर ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहन और ऊर्जा भंडारण में नवीनतम नवाचारों को देखने के लिए एकत्र हुए थे।

अंतिम दिन चार विचारोत्तेजक पैनल चर्चाओं का आयोजन किया गया, जो राज्य में सौर ईपीसी, इलेक्ट्रिक फ्लीट, ऊर्जा भंडारण और ग्रिड आधुनिकीकरण के भविष्य पर केंद्रित थीं।

उत्तर प्रदेश में सौर ईपीसी के विस्तार पर बोलते हुए, दीपक रायजादा (मुख्य अभियंता, यूपीपीसीएल) ने कहा, “उत्तर प्रदेश सरकार भारत के अन्य राज्यों की तुलना में बैटरी स्टोरेज सिस्टम में सर्वश्रेष्ठ योगदान दे रही है। हम निवेशकों को राज्य में बैटरी स्टोरेज प्लांट स्थापित करने का आह्वान करते हैं, और उन्हें पूर्ण सरकारी समर्थन का आश्वासन देते हैं। राज्य में विद्युत आपूर्ति की कोई कमी नहीं है, और आईआईटी कानपुर और बीएचयू की मदद से हम सौर ईपीसी के लिए मजबूत फीडर्स और बुनियादी ढांचा विकसित कर रहे हैं।”

पैनलिस्टों ने राज्य के 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मजबूत नीति समर्थन की आवश्यकता पर बल दिया। ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति, भूमि अधिग्रहण और कुशल श्रमिकों की कमी जैसी चुनौतियों का उल्लेख किया। राज्य एजेंसियों के बीच गहरी साझेदारी की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया, ताकि देश भर से अधिक निवेश आकर्षित किया जा सके।

वाणिज्यिक और सार्वजनिक परिवहन फ्लीट के विद्युतीकरण पर चर्चा करते हुए यह माना गया कि 2050 तक भारत के कार्बन-न्यूट्रल लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ईवी अपनाने में तेजी लाने की आवश्यकता है। उत्तर प्रदेश पहले ही भारत के कुल ईवी उपयोग में 15% योगदान दे चुका है, और राज्य 2030 तक इलेक्ट्रिक बसों के बेड़े का चरणबद्ध रूप से रोलआउट पूरा करने की योजना बना रहा है। इस दौरान, राजमार्गों पर पीपीपी मॉडल के तहत ईवी चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना की योजना बनाई गई है, जिनमें से कई यूपीएसआरटीसी द्वारा संचालित किए जाएंगे। हालांकि, बैटरियों की उच्च लागत को एक महत्वपूर्ण चुनौती के रूप में चिन्हित किया गया। बैटरी तकनीक में सुधार और लागत को कम करने के लिए समर्थन की आवश्यकता पर जोर दिया गया।

ऊर्जा भंडारण और ग्रिड आधुनिकीकरण पर सत्र में योगेश कुमार (वाणिज्यिक निदेशक, मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड) ने टिप्पणी की, “हमारी विद्युत आपूर्ति अब भी थर्मल पावर पर निर्भर है, और गर्मियों में दोपहर और शाम के समय पावर डिमांड सबसे अधिक रहती है। हमें ऑफ-पीक घंटों में उत्पन्न अतिरिक्त ऊर्जा को संग्रहीत करने की आवश्यकता है ताकि शिखर समय में कमी को रोका जा सके और ग्रिड को स्थिर किया जा सके। सरकार बिजली भंडारण के लिए उपकेंद्रों का निर्माण करने की योजना बना रही है।”

एक महत्वपूर्ण बिंदु यह भी उठाया गया कि जो घर उच्च स्तर की सौर ऊर्जा उत्पादन करते हैं, उन्हें अपनी अधिक ऊर्जा का घरेलू उपयोग करना चाहिए, बजाय उसे ग्रिड में वापस भेजने के, ताकि स्थानीय ऊर्जा आत्मनिर्भरता बढ़ सके।

रमेश कुमार (सर्विस मैनेजर, यूपीएसआरटीसी) ने कहा, “सरकार पहले ही इलेक्ट्रिक बसों के लिए परमिट और रोड टैक्स में छूट प्रदान कर चुकी है। पीपीपी मॉडल के तहत हर 25 किलोमीटर पर ईवी चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने की योजना राज्य में इलेक्ट्रिक बसों को अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।”

रंजन नायर (हेड रिन्‍यूएबल एनर्जी, बीपीसीएएल) ने बताया कि ग्रीन हाइड्रोजन की अधिक लागत, महंगा भंडारण, ऊर्जा का सुरक्षित रखरखाव और संयंत्रों के लिए विदेश आयतों पर निर्भरता चुनौती बनी हुई है। उत्तर प्रदेश की नीतियां देश के अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर होने की वजह से बीपीएल की प्रदेश में हाइड्रोजन फिलिंग स्टेशन बनाने की योजना पर काम कर रहे है।


वक्ताओं में इंडस्ट्रीज के सभी सहयोगियों को एक मंच पर लाने पर सहमति बनी ताकि ग्रीन हाइड्रोजन को सस्ता, सुलभ, तकनीक संपन्न बनाने के लिए अनुसंधान और विकास के लिए समग्र रूप से सहयोग किया जाए। क्योंकि ग्रीन हाइड्रोजन यदि सस्ती होगी तभी यह ईंधन का प्रभावी विकल्प साबित होगा। ग्रीन हाइड्रोजन भविष्य का ईंधन है।

आयोजन की सफलता पर प्रतिक्रिया देते हुए अतुल श्रीवास्तव (क्षेत्रीय निदेशक, यूपी चैप्टर, पीएचडीसीसीआई) ने कहा, “तीन दिवसीय यूपी एनर्जी एक्‍सपो 2025 हर दृष्टि से शानदार सफलता थी। यह दृष्टिकोण, क्रियान्वयन और सहयोग का अद्भुत मिश्रण था। क्लीन टेक नवाचारों से लेकर ग्रामीण ऊर्जा समाधानों तक, एक्सपो ने उत्तर प्रदेश की स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन की दिशा में तत्परता को प्रदर्शित किया।”

वरुण गुलाटी (सीईओ, फर्स्‍टव्‍यू) ने कहा, “यूपी एनर्जी एक्‍सपो 2025 ने यह दिखा दिया कि जब इरादा और क्रियान्वयन मिलते हैं, तो क्या होता है। उत्तर प्रदेश ने खुद को केवल एक बाजार नहीं, बल्कि एक आंदोलन के रूप में उभारा है। अब रास्ता साफ है। सौर ऊर्जा को तेज़ी से बढ़ावा दें, स्थानीय निर्माण को सक्षम बनाएं, और छोटे व्यवसायों को भारत के नेट-जीरो यात्रा के अग्रणी के रूप में सशक्त बनाएं।”

जैसे ही यूपी एनर्जी एक्‍सपो 2025 समापन की ओर बढ़ता है, उपस्थितगण एक नई उम्मीद और उद्देश्य के साथ आयोजन स्थल छोड़ते हैं। सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच साझेदारी, उत्तर प्रदेश को भारत के स्वच्छ ऊर्जा भविष्य की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार कर रही है।