“संकल्प से सिद्धि तक: श्रम की महिमा”

आज विश्व श्रम दिवस है — यह दिन सम्पूर्ण मानव समाज को श्रम के प्रति सम्मान और आदर की भावना को सशक्त बनाने की दिशा में एक अत्यंत सार्थक पहल है। क्या आप जानते हैं कि भारत की कुल जनसंख्या का लगभग 50% से अधिक भाग श्रम शक्ति का हिस्सा है। इनमें से लगभग 90% लोग असंगठित क्षेत्र में कार्यरत हैं? यह श्रमिक वर्ग ही भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जो निर्माण, कृषि, सेवा, उत्पादन और आपूर्ति जैसे सभी प्रमुख क्षेत्रों को गतिशील बनाए रखता है।

वर्तमान में भारत में लगभग 52 करोड़ लोग श्रम शक्ति में शामिल हैं। 38 करोड़ से अधिक लोग असंगठित क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। महिलाओं की भागीदारी श्रम क्षेत्र में लगभग 24% है, जो निरंतर बढ़ रही है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा श्रमिक देश है, जिसके श्रमिकों की मेहनत वैश्विक मंच पर भारत की छवि को मजबूत बनाती है। आज विश्वभर में कार्यक्रमों का आयोजन इसीलिए किया जाता है ताकि श्रमिकों का आत्मविश्वास बढ़े और वे नए जोश के साथ राष्ट्र के विकास में जुटे रहें। उदाहरण के रूप में: जब देश का किसान अपने खेत में कठिन परिश्रम करता है, तो देश खाद्यान्नों से परिपूर्ण होता है।

जब विद्यार्थी दिन-रात मेहनत करता है, तो वह उच्च अंक प्राप्त करता है और देश का भविष्य संवारता है। जब डॉक्टर रोगी की सेवा में तत्पर रहता है, तो समाज स्वस्थ बनता है। जब शिक्षक ईमानदारी से विद्यार्थियों को गढ़ता है, तो राष्ट्र निर्माण की नींव मजबूत होती है। जब एक माँ दिनभर परिवार के लिए समर्पित रहती है, तो परिवार संस्कारी और सशक्त बनता है। जब पिता आर्थिक जिम्मेदारी निभाते हैं, तो परिवार आत्मनिर्भर बनता है।

श्रम का कोई विकल्प नहीं है। यह परिश्रम ही वह साधन है जो हमें संकल्प से सिद्धि तक पहुंचाता है। यही वह रास्ता है जिससे हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। आज हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम हर परिश्रमी व्यक्ति का सम्मान करेंगे, विशेष रूप से उन लोगों का जो शारीरिक श्रम करते हैं। जैसे किसान, मज़दूर, सफाईकर्मी, निर्माण कार्यकर्ता, ड्राइवर, इत्यादि। क्योंकि उनका योगदान अमूल्य है।विश्व श्रम दिवस हमें यह सिखाता है कि किसी भी मेहनतकश व्यक्ति को कभी भी छोटा न समझा जाए। उनका श्रम हमारे समाज और देश की नींव है।

(लेखक डॉ. सपन अस्थाना महर्षि स्कूल ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट, महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, लखनऊ में एसोसिएट प्रोफेसर हैं और ये उनके निजी विचार हैं।)