लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारत- लखनऊ चैप्टर के सहयोग से आंचलिक विज्ञान नगरी द्वारा अपने परिसर में पृथ्वी दिवस 2025 का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर 21 और 22 अप्रैल के दौरान स्कूली छात्रों और आम जनता के लाभ हेतु विभिन्न शैक्षिक गतिविधियाँ और कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस वर्ष के पृथ्वी दिवस समारोह की थीम “हमारी शक्ति, हमारा ग्रह” थी। इस पहल का उद्देश्य युवा मन में पर्यावरण के प्रति जागरूकता और जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देना था।

21 अप्रैल को, पहले दिन के समारोह में एक एक्सटेम्पोर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें प्रतिभागियों ने मौके पर दिए गए पर्यावरण से संबंधित विषयों पर सहज और भावुकता से बात की, जिसमें 40 से अधिक छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इसके बाद पृथ्वी और पर्यावरण विषय पर एक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें छात्रों को पारिस्थितिक और पर्यावरणीय मुद्दों के बारे में अपने ज्ञान को प्रदर्शित करने का एक मंच प्रदान किया गया। इसके बाद, सभी छात्रों को एक विज्ञान फिल्म शो भी दिखाया गया, जिसमें उन्हें हमारे ग्रह की सुंदरता और चुनौतियों पर दृश्यों के साथ प्रेरित किया गया।

समापन दिवस, 22 अप्रैल को, कार्यक्रम दो श्रेणियों में एक जीवंत पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता आयोजित की गई। जिसमें जूनियर वर्ग के लिए ‘पर्यावरण संरक्षण’ और सीनियर वर्ग के लिए ‘हमारी शक्ति, हमारा ग्रह’ विषय पर चर्चा की गई। 631 से अधिक छात्रों ने विचारपूर्ण और रंगीन पोस्टरों के माध्यम से पृथ्वी के प्रति अपनी रचनात्मकता और चिंता को उत्साहपूर्वक व्यक्त किया।

जे.एन.पी.जी. कॉलेज लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विवेक सिंह ने एक लोकप्रिय विज्ञान व्याख्यान प्रस्तुत किया। जिसमें पर्यावरण विज्ञान, संधारणीय प्रथाओं और हरित भविष्य के निर्माण में युवाओं की भागीदारी के बारे में बहुमूल्य जानकारी दी गई। इसके बाद एक और विज्ञान फिल्म शो का आयोजन किया गया, जिसमें पर्यावरण जिम्मेदारी के संदेशों को पुष्ट किया गया। उन्होंने स्टूडेंट्स के प्रश्नों के जवाब भी दिए। प्रोफेसर विवेक सिंह के बहुमूल्य भाषण से लगभग 358 श्रोतागण लाभान्वित हुए।

इस अवसर पर बोलते हुए, बायोटेक पार्क के पूर्व सी.ई.ओ. पद्मश्री प्रोफेसर प्रमोद टंडन ने हमारे ग्रह में चल रहे परिवर्तनों के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की और हमारे सामूहिक प्रयासों की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने पर्यावरण के प्रति हमारे कर्तव्यों की वैश्विक याद दिलाने के रूप में पृथ्वी दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला।

स्वरूप मंडल (परियोजना समायोजक, आंचलिक विज्ञान नगरी) ने अतिथियों, छात्रों व शिक्षकों का स्वागत करते हुए बताया कि पृथ्वी दिवस पहली बार 22 अप्रैल 1970 को मनाया गया था, जो आधुनिक पर्यावरण आंदोलन की शुरुआत का प्रतीक है। आज यह दिवस विश्वभर में हजारों कार्यक्रमों के माध्यम से मनाया जाता है। जिनका उद्देश्य प्रदूषण, वैश्विक तापमान वृद्धि और पारिस्थितिकी तंत्र के ह्रास जैसी समस्याओं के प्रति जनजागरूकता फैलाना है।

कार्यक्रम का समापन पुरस्कार वितरण समारोह के साथ हुआ, जिसमें बतौर मुख्य अतिथि मौजूद पद्मश्री प्रो. प्रमोद टंडन ने छात्रों, शिक्षकों एवं आयोजकों के प्रयासों की सराहना की और उन्हें पर्यावरण संरक्षण हेतु जागरूकता फैलाने के लिए प्रेरित किया।


यह दो दिवसीय आयोजन इस बात का सशक्त उदाहरण बना कि कैसे शिक्षक, वैज्ञानिक और युवा मिलकर पृथ्वी की रक्षा और संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह कार्यक्रम भावी पीढ़ियों के लिए एक सतत और हरित भविष्य के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। इस दो दिवसीय आयोजन में बाल निकुंज स्कूल्स एंड कॉलेजेज की सभी शाखाओं के साथ ही अन्य शिक्षण संस्थानों के 1500 से अधिक स्टूडेंट्स और आम दर्शकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।