पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल) पर विशेष
“हमारी शक्ति, हमारा ग्रह” थीम पर मनाया जाएगा यह खास दिन
- मुकेश शर्मा
विकास की तेज रफ़्तार का सबसे अधिक असर यदि किसी पर हुआ है तो वह हैं पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधन। गगनचुम्बी इमारतों और कल कारखानों ने प्रदूषण बढ़ाने के साथ ही पृथ्वी की असली शान हरियाली को भी छीन लिया है। निर्माण कार्यों के दौरान वृक्षों को बेरहमी के साथ काटा तो जाता है लेकिन उनके स्थान पर वृक्षारोपण करना लोग भूल जाते हैं। इसके चलते आज विश्व को ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है।
जलवायु परिवर्तन के चलते धरती पर रहने वाले हर किसी को आने वाले समय में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। तापमान में जिस तरह से वृद्धि देखी जा रही है, वह कोई शुभ संकेत नहीं हैं। इस बारे में जागरूकता लाने और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए ही हर साल 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। इस साल यह दिवस “हमारी शक्ति, हमारा ग्रह” थीम पर मनाया जा रहा है।
धरती का तापमान निरंतर बढ़ने से कई गंभीर बीमारियां लोगों को असमय घेरती जा रहीं हैं। जलवायु वैज्ञानिकों का तो यहाँ तक मानना है कि ग्रीन हॉउस गैसों का उत्सर्जन इसी तरह जारी रहा तो 21वीं सदी में तापमान तीन से आठ डिग्री तक बढ़ सकता है। इससे ग्लेशियर पिघल सकते हैं और समुद्र का जलस्तर कई फुट ऊपर तक जा सकता है।
जलवायु परिवर्तन से निपटने का इंतजाम हम अपनी आदतों में बदलाव लाते हुए और जरूरी हिदायतों का पालन करते हुए जरूर कर सकते हैं। हम जिस ग्रह पृथ्वी पर रहते हैं उसका वास्तविक गहना हरी-भरी वनस्पतियाँ ही हैं। जिसे पाकर वह अपने को प्रसन्नचित्त महसूस करती है, लेकिन विकास के क्रम में कई बार उनको काटना पड़ जाता है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि धरती का तापमान बढ़ रहा है।
इसके साथ ही डीजल-पेट्रोल गाड़ियों की बढ़ती तादाद और एयर कंडीशनर, कारखानों आदि से पैदा होता प्रदूषण भी जलवायु परिवर्तन के लिए बहुत कुछ जिम्मेदार है। ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की जरूरत है, इससे कार्बन उत्सर्जन की संख्या में काफी कमी आएगी और साथ ही प्रदूषण के स्तर में भी कमी आएगी। समय रहते इन पर नियन्त्रण लगाना बहुत जरूरी है।
पृथ्वी की हरियाली के साथ ही शुद्ध जल और वायु के लिए समाज के हर किसी को कुछ जरूरी कदम उठाने की आज आवश्यकता है। घर व आस-पास पौधे जरूर लगायें और उनकी समुचित देखभाल करें। इसके साथ ही आज के दिन संकल्प लेने की जरूरत है कि परिवार में बच्चे के जन्म पर, वर्षगाँठ या अन्य शुभ कार्यों और माता-पिता के नाम पर निश्चित रूप से पौधा लगाएंगे। इसके साथ ही जिस तरह से हम अपनों की देखभाल करते हैं उसी तरह से उस पौधे की देखभाल करेंगे और उस पौधे को वृक्ष बनते देख आनन्दित महसूस करेंगे।
समारोहों में अतिथियों का स्वागत पौधा भेंटकर ही किया जाए। उपहार में भी पौधे ही दिए जाएँ और लोगों से उसकी उपयोगिता पर भी चर्चा की जाए। यह न केवल हम सभी के लिए फायदेमंद साबित होगा बल्कि आने वाली पीढ़ी को भी सुरक्षित वातावरण प्रदान करने में सहायक बनेगा। पर्यावरण संरक्षण के लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। औद्योगीकरण को विशिष्ट दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए। पौधों और प्रजातियों की रक्षा के लिए उद्योगों को हरित क्षेत्रों में नहीं बनाया जाना चाहिए। यदि वृक्ष काटे जाते हैं तो उनके बदले पौधे रोपे जाने चाहिए और उनकी पूरी देखभाल की जानी चाहिए।
सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग जितना जल्दी हो सके बंद कर देना चाहिए क्योंकि यह प्रदूषण को बढ़ावा देने देने के साथ ही स्वास्थ्य के लिए भी जोखिम भरा है। कूड़े-कचरे का निस्तारण भलीभांति ही किया जाना चाहिए। अंत में इस साल की पृथ्वी दिवस की थीम “हमारी शक्ति, हमारा ग्रह” भी यही सन्देश देती है कि हमारी असली ताकत पृथ्वी ही है, इसलिए उसको हरा-भरा रखना हम सभी का नैतिक दायित्व भी है।
