लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। बहुचर्चित सूफी संगीत समारोह जहान-ए-खुसरो 2025 का आयोजन 28 फरवरी से सुंदर नर्सरी, दिल्ली में होगा। महान फिल्म निर्माता और जहान-ए-खुसरो के संस्थापक मुजफ्फर अली, रूमी फाउंडेशन के सदस्यों के साथ तीन दिवसीय जहान-ए-खुसरो 2025 के रजत जयंती समारोह के उद्घाटन सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी गरिमामयी उपस्थिति रहेगी।
विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित नेता, जो अपने दूरदर्शी विचारों और गहन आध्यात्मिक जुड़ाव के लिए जाने जाते हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस विशेष समारोह में भाग लेंगे, जहां वे मुजफ्फर अली की अपने त्योहार जहान-ए-खुसरो के साथ सूफीवाद की विरासत को जीवित रखने की अटूट प्रतिबद्धता को मान्यता देंगे।
अपने संदेश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, “भारत आध्यात्मिकता, कला और संस्कृति से समृद्ध भूमि है। सदियों से संगीत हमारे दैनिक जीवन के सामाजिक-सांस्कृतिक ताने-बाने का अभिन्न अंग रहा है। आध्यात्मिकता और संस्कृति से गहराई से जुड़ा यह मन को उन्नत कर सकता है तथा कायाकल्प और उपचारात्मक उर्जा के रूप में कार्य कर सकता है। इस महोत्सव में वैश्विक कलाकारों, संगीतकारों और नृत्य कलाकारों की भागीदारी हमारे राष्ट्र के समावेशी और सर्वव्यापी वैश्विकदृष्टिकोण के साथ दृढ़ता से प्रतिध्वनित होती है। भावपूर्ण संगीत की मधुर धुनें लोगों, समाजों और राष्ट्रों के बीच शांति, सद्भाव और मैत्री के सेतु का निर्माण करें। मैं कामना करता हूं कि जहान-ए-खुसरो का रजत जयंती संस्करण अविस्मर्णीय और बहुत सफल हो।”

इस भव्य रजत जयंती समारोह में उनकी उपस्थिति उनके “विकास भी, विरासत भी” के दृष्टिकोण के साथ पूरी तरह मेल खाती है, जिसमें प्रगति को अपनाते हुए भारत की समृद्ध आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को संरक्षित करने के महत्व पर बल दिया गया है।
इस ऐतिहासिक आयोजन पर विचार करते हुए महोत्सव के संस्थापक मुजफ्फर अली ने कहाकि पिछले 25 वर्षों में दुनिया भर में 30 संस्करणों के साथ, जहान-ए-खुसरो एक उत्सव से आगे बढ़कर एक सांस्कृतिक आंदोलन बन गया है। जो रूमी, अमीर खुसरो, बाबा बुल्ले शाह, लल्लेश्वरी और अन्य प्रतिष्ठित सूफी संतों की रहस्यमय परंपराओं को पुनर्जीवित और पुनर्परिकल्पित कर रहा है।

उन्होंने कहाकि “जहान-ए-खुसरो का जन्म संतों की वाणी और रहस्यवादियों की धुनों से हुआ था। 25 वर्षों से यह एक ऐसा अभयारण्य रहा है जहाँ संगीत, कविता और भक्ति का संगम होता है और हमें याद दिलाता है कि प्रेम ही एकता का अंतिम मार्ग है। यह रजत जयंती संस्करण एक निमंत्रण है – सूफी परम्पराओं के शाश्वत ज्ञान को पुनः खोजने और उस सद्भाव का जश्न मनाने का जो हम सभी को एकता के सूत्र में बांधता है।”
इस वर्ष के महोत्सव का विषय “विविधता में एकता” है, जिसमें दुनिया भर के सूफी संगीतकार, कवि और कलाकार शामिल होंगे। इस कार्यक्रम में TEH बाज़ार भी शामिल होगा, जो एक शिल्प प्रदर्शनी है जिसमें भारत के बेहतरीन विरासत शिल्प, साहित्यिक चर्चाएँ, फिल्म स्क्रीनिंग और सूफी-प्रेरित पाक कला के अनुभव प्रदर्शित किए जाएंगे।

वर्ष 2000 में अपनी स्थापना के बाद से, जहान-ए-खुसरो एक अग्रणी अभियान रहा है, जिसने भौगोलिक और सांस्कृतिक सीमाओं को पाट दिया है, तथा रूमी, अमीर खुसरो, बाबा बुल्ले शाह, लल्लेश्वरी आदि की रहस्यमय परंपराओं को एक साथ लाया है। रूमी फाउंडेशन के तत्वावधान में, जहान-ए-खुसरो भारत के वसुधैव कुटुम्बकम के दृष्टिकोण का प्रतीक बना हुआ है – एक ऐसी दुनिया जो संगीत, प्रेम और आध्यात्मिक उत्कृष्टता के माध्यम से एकजुट हो।