Wednesday , November 27 2024

मां के साथ-साथ अगली पीढ़ी पर भी असर डाल रहा है प्रदूषण

 

डब्ल्यूएचआई 2024 सम्मेलन में महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर विशेषज्ञो ने की चर्चा

नई दिल्ली (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नारी शक्ति के दृष्टिकोण के अनुरूप, वूमेेन्स हेल्थ इन इंडिया कॉन्फ्रेंस (डब्ल्यूएचआई 2024) नई दिल्ली के एक होटल में आयोजित की गई। इस सम्मेलन ने महिलाओं पर होने वाले रोगों के प्रभाव को कम करने के लिए साक्ष्य-आधारित रणनीतियों और सहयोग पर चर्चा करने हेतु एक मंच प्रदान किया।

सर्जन वाइस एडमिरल (डॉ.) आरती सरीन, एवीएसएम, वीएसएम, डीजीएमएस (नौसेना) ने मुख्य अतिथि के रूप में सम्मेलन में मौजुद रहीं। कार्यक्रम में फोर्टिस ला फेम को ‘मोस्ट पॉपुलर मैटरनिटी हॉस्पिटल’ पुरस्कार के साथ सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर फोर्टिस ला फेम, दिल्ली में प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ, लेप्रोस्कोपी सर्जन और इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट, डॉ. मधु गोयल ने मातृ स्वास्थ्य और पर्यावरणीय कारकों पर जोर देते हुए कहा, “वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण न केवल मां के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं बल्कि अगली पीढ़ी पर भी असर डालते हैं। माँ जिस किसी भी चीज़ के संपर्क में आती है, उसका असर उसके बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ सकता है। सिर्फ़ खान-पान से परे उचित देखभाल करना बहुत ज़रूरी है। मोबाइल फोन, लैपटॉप और माइक्रोवेव का उपयोग करना भी बच्चे पर प्रभाव डाल सकते हैं।”

‘क्या महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बदल रही है और विकसित हो रही है?’ इस प्रश्न के उत्तर में डॉ. गोयल ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में अस्पतालों तक भौतिक पहुंच में सुधार हुआ है, लेकिन आर्थिक दृष्टिकोण से पहुंच में अभी भी कमी है। उन्होंने ग्रामीण स्वास्थ्य क्षेत्रों में स्वास्थ्य बीमा की कमी पर प्रकाश डाला और इसकी अहमियत बताई। इसके अलावा, उन्होंने महिलाओं के स्वास्थ्य में निवेश को लेकर उदासीन रवैये पर चिंता व्यक्त की। हालांकि डिजिटल पहुंच में प्रगति हुई है, ज़मीनी स्तर पर इसका व्यावहारिक कार्यान्वयन अभी भी कमज़ोर है। डॉ. मधु ने भी लंबे समय से चली आ रही रूढ़ियों और पुरुष-प्रधान सोच का ज़िक्र किया, जो चुनौतियां पैदा करती रहती हैं, भले ही इन्हें दूर करने के प्रयास किए जा रहे हों।

इससे पहले महिला स्वास्थ्य पर चर्चा के दौरान, सर्जन वाइस एडमिरल (डॉ.) आरती सरीन ने कहा, “एक राष्ट्र का स्वास्थ्य और कल्याण सिर्फ मानवाधिकार का ही मामला नहीं है, बल्कि देश की प्रगति के लिए भी अहम है। हमारे देश की महिलाओं को लगातार कई विशिष्ट चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। हम इन पर खुलकर बातचीत करते हैं और समाधान की दिशा में काम करते हैं। मातृत्व स्वास्थ्य, पोषण, प्रजनन स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य कुछ प्रमुख चिंताएं हैं। इसके अलावा, आपातकालीन चिकित्सा सुविधाओं की कमी, सांस्कृतिक बाधाएं, और  100,000 जन्मों पर 97 मातृ मृत्यु दर जैसे मुद्दे बेहद गंभीर हैं।”

नई खोजों और संपर्क के माध्यम से महिलाओं के स्वास्थ्य को सशक्त बनाना’ विषय पर बोलते हुए, नीति आयोग के उपाध्यक्ष कार्यालय की निदेशक, डॉ. उर्वशी प्रसाद ने कहा, “बहुत सी महिलाएं, खासतौर से आदिवासी क्षेत्रों से आने वाली, विकलांग, कम पढ़ी लिखी, 60 वर्ष से अधिक आयु की, और विधवाएं, सांस्कृतिक और सामाजिक कारणों से अक्सर समाज की  मुख्यधारा वाली चर्चाओं में नहीं सुनी जाती हैं। उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए काफी प्रयासों की आवश्यकता है। हालांकि महिलाओं के जीवन पर सकारात्मक असर डालने में प्रगति हुई है, फिर भी कुछ क्षेत्रों पर ध्यान देने की ज़रूरत है, जैसे स्वच्छता, व्यक्तिगत देखभाल और जागरूकता। लेकिन सामाजिक-सांस्कृतिक बाधाएं और स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुंच इस प्रगति में रुकावट डालती हैं। महिलाओं को स्वास्थ्य, वित्तीय सशक्तिकरण और अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में जागरूक करने के लिए संस्थानों द्वारा ज़्यादा प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।”

डब्ल्यूएचआई 2024 सम्मेलन में 200 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया, जिनमें डॉक्टर, पीएसयू, कॉरपोरेट और आईओसीएल, ओएनजीसी, गेल, एनटीपीसी और नीति आयोग जैसे प्रतिष्ठित संगठनों के निर्णयकर्ता शामिल थे। इस आयोजन ने महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर गहन चर्चा के लिए एक मंच प्रदान किया, जिसमें मातृ एवं प्रजनन स्वास्थ्य से लेकर मानसिक स्वास्थ्य और गैर-संचारी रोग शामिल थे।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) में प्रोडक्ट मैनेजर देविका भाटिया, डब्ल्यूएचओ में मानसिक स्वास्थ्य सलाहकार डॉ. प्राची संभाजी शारदा, टाटा मोटर्स में कॉर्पोरेट स्वास्थ्य के लिए वेलनेस मैनेजर डॉ. रीना वलेचा बलानी, रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति में शारीरिक पुनर्वास परियोजना प्रबंधक डॉ. चारू शर्मा (पीटी) और डब्ल्यूएचआई सम्मेलन में अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने महिलाओं के स्वास्थ्य पर अपने बहुमूल्य विचार साझा किए।