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अपोलोमेडिक्स : कैंसर इलाज में अभूतपूर्व बदलाव, तेज़ रिकवरी और बिना किसी दाग के उपचार

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। अपोलोमेडिक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने कैंसर उपचार के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। पहली बार उत्तर प्रदेश बिहार क्षेत्र में दिल्ली–एनसीआर को छोड़कर अत्याधुनिक रोबोटिक तकनीकों द्वारा निप्पल-स्पेयरिंग ब्रेस्ट सर्जरी और आरआईए-एमआईएनडी (रोबोटिक इन्फ्राक्लेविकुलर अप्रोच फॉर मिनिमली इनवेसिव नेक डिसेक्शन) तकनीक से गर्दन की सर्जरी सफलतापूर्वक की गई है। इसके साथ ही अपोलोमेडिक्स में नियमित रूप से कोलोरेक्टल, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल, स्त्री रोग और यूरोलॉजिकल कैंसर के लिए भी रोबोटिक सर्जरी की जा रही है।

इस उन्नत तकनीक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि सर्जरी के बाद शरीर की बनावट पर कोई असर नहीं पड़ता, जिससे मरीज़ की अपनी छवि को कोई नुक़सान नहीं होता है और रिकवरी भी पारंपरिक सर्जरी की तुलना में कहीं तेज़ होती है।

अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल के एमडी और सीईओ डॉ. मयंक सोमानी ने कहा, “हमारा उद्देश्य केवल कैंसर का इलाज करना नहीं, बल्कि मरीज़ की सर्जरी के बाद की ज़िंदगी की गुणवत्ता को बेहतर बनाना भी है। ऐसी सर्जरीज़ देश के केवल गिने-चुने अत्याधुनिक केंद्रों पर होती हैं, जिनमें विशेषज्ञता और विश्वस्तरीय इन्फ्रास्ट्रक्चर दोनों की ज़रूरत होती है। अब उत्तर भारत के मरीज़ों को इन सर्जरीज़ के लिए दिल्ली, मुंबई या बेंगलुरु नहीं जाना पड़ेगा। अपोलो कैंसर सेंटर, लखनऊ अब क्षेत्र का सबसे सक्षम केंद्र बन चुका है।”

डॉ. सतीश के. आनंदन (कंसल्टेंट सर्जिकल ऑन्कोलॉजी) ने बताया कि लखनऊ की 60 वर्षीय महिला, जिन्हें दोनों स्तनों में कैंसर था, उनका क्षेत्र का पहला रोबोटिक निपल-स्पेयरिंग मास्टेक्टॉमी किया गया। पारंपरिक सर्जरी में स्तन, निपल और त्वचा पूरी तरह हटा दी जाती है, जिससे मरीज़ को मानसिक और भावनात्मक आघात लगता है। रोबोटिक तकनीक के ज़रिये हमने बगल के पास कुछ छोटे चीरे लगाकर अंदर से ही कैंसरग्रस्त ऊतक को हटा दिया और त्वचा व निपल को सुरक्षित रखा।

उन्होंने इसे “कॉस्मेटिक के साथ क्योर” का नाम दिया यानी शरीर की प्राकृतिक बनावट को बनाए रखते हुए कैंसर से मुक्ति को सम्भव किया गया।

“सर्जरी करीब 6 घंटे चली, मरीज़ को आईसीयू में भर्ती नहीं किया गया और केवल 3 दिन में डिस्चार्ज दे दिया गया। पहले ऐसी सर्जरी केवल बड़े शहरों में होती थीं, यह उत्तर प्रदेश बिहार क्षेत्र में पहली बार संभव हुई है।”

आरआईए-एमआईएनडी तकनीक से ओरल कैंसर की रोबोटिक गर्दन सर्जरी की गई, जिसका नेतृत्व डॉ. अभिमन्यु कड़ापथ्री, कंसल्टेंट, हेड एंड नेक सर्जिकल ऑन्कोलॉजी ने किया।

डॉ. अभिमन्यु ने बताया, “पारंपरिक सर्जरी में गर्दन पर बड़ा चीरा लगता है, जिससे स्थायी निशान और धीमी रिकवरी होती है। आरआईए-एमआईएनडी तकनीक में हमने कॉलरबोन के नीचे छोटे चीरे लगाकर रोबोटिक इंस्ट्रूमेंट्स डाले और अंदर से लिम्फ नोड्स निकाल दिए। चेहरे या गर्दन पर कोई कट नहीं लगा। करीब 4 घंटे की सर्जरी में न केवल कॉस्मेटिक परिणाम बेहतरीन रहे बल्कि सटीकता भी उच्च स्तर की रही। इस तकनीक से ओरल कैंसर का इलाज इस क्षेत्र में पहली बार किया गया है।” 

डॉ. हर्षित श्रीवास्तव, कंसल्टेंट, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी ने दो कोलोरेक्टल कैंसर मरीज़ों का इलाज रोबोटिक और लैप्रोस्कोपिक तकनीकों से किया। उनके अनुसार, “लैप्रोस्कोपी में सर्जन कैमरे और उपकरणों से सीधे ऑपरेशन करता है, जबकि रोबोटिक सर्जरी में डॉक्टर रोबोटिक आर्म्स को कंसोल से नियंत्रित करता है। यह खास कर पेल्विक जैसी जटिल जगहों में अधिक सटीकता देता है। दोनों तकनीकों में खून का नुकसान कम हुआ, दर्द कम रहा और मरीज़ जल्दी ठीक हो गए।”

अपोलोमेडिक्स के डॉक्टरों डॉ. सतीश, डॉ. अभिमन्यु और डॉ. हर्षित द्वारा किए गए ये ऑपरेशन न केवल तकनीकी रूप से बेहतरीन हैं, बल्कि उन मरीज़ों के लिए भी नई उम्मीदें लेकर आए हैं जिन्हें अब तक सर्जरी के बाद के निशान और भावनात्मक पीड़ा के साथ जीना पड़ता था।