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हिन्दी का विकास, विश्व में हिन्दी की भूमिका पर की चर्चा

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (क्षेत्र संकार्य प्रभाग) द्वारा बुधवार को हिन्दी के प्रचार-प्रसार हेतु समारोह का आयोजन आंचलिक विज्ञान नगरी में किया गया। जिसमें आंचलिक कार्यालय एवं क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ क्षेत्र के उप क्षेत्रीय कार्यालय, कानपुर, फतेहपुर, झांसी व गोंडा के वरिष्ठ अधिकारियों, कर्मचारियों ने भाग लिया। रजनीश माथुर (उप महानिदेशक, राज्य राजधानी क्षेत्रीय कार्यालय), ने कार्यक्रम को आरंभ करते हुए सभागार में उपस्थित सभी अधिकारियों, कर्मचारियों का स्वागत किया और हिन्दी को सरकारी काम-काज में बढ़ावा कैसे मिले इस पर बल दिया गया।

प्रोफेसर रश्मि कुमार (लखनऊ विश्वविध्यालय), एपी राय (उप महानिदेशक (से.नि.), भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग) व डॉ. विजय नारायण तिवारी, संयुक्त निदेशक (से.नि.), सीडीआरआई, लखनऊ) और डॉ. कुसुम वर्मा (प्रधानाचार्या, राजकीय कन्या इंटर कॉलेज) ने हिन्दी का विकास, विश्व में हिन्दी की भूमिका और सरकारी कार्यालयों में हिन्दी को अधिक से अधिक कैसे अमल में लाया जाए इस पर प्रकाश डाला। साथ ही संघ की राजभाषा नीति, अधिनियम व नियम के बारे में और कंठस्थ 2.0 के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया।

पूरे विश्व में बढ़ रहा है हिंदी का मान : कुसुम वर्मा

कुसुम वर्मा ने कहाकि हम उस देश के वासी है जिस देश मे गंगा बहती है, हमारे देश की संस्कृति बहुत खूबसूरत है। हम विज्ञान की ओर बढ़े लेकिन अपनी जड़ों से दूर न हो। हिंदी हमारी मातृ भाषा है। मातृ भाषा हिंदी के लिये हम सबको तत्पर रहना होगा। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व मे हिंदी का मान बढ़ रहा है। सोशल मीडिया में भी हिंदी को बढ़ावा मिल रहा है। लेकिन वर्तमान में अधिकांश बच्चे इंग्लिश मीडियम में पढ़ रहे है और हिंदी से दूर हो रहे है। ऐसे में जरूरी है कि सबसे पहले घर मे हिंदी को सम्मान देना होगा। बच्चों को हिंदी के बारे में बताना होगा। इंग्लिश भी जरूरी है लेकिन हमें अपनी मातृभाषा हिंदी को नहीं भूलना है। उन्होंने बताया कि भारत के अलावा अन्य देशों में भी हिंदी बोलने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है जो सराहनीय है। हिंदी का हृदय काफी गहरा है। हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए शिक्षण संस्थानों में भी विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है।  कार्यक्रम का समापन अंशिका बाजपेई (सहायक निदेशक, राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (क्षेत्र संकार्य प्रभाग) के धन्यवाद प्रस्ताव के बाद हुआ।