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बिना सेल बने माइक्रो इंडस्ट्री की समस्याओं का नहीं हो पायेगा निदान – आलोक रंजन

लखनऊ। माइक्रो इंडस्ट्री के लिए अलग से सेल बनाने की जरूरत है। एमएसएमई में माइक्रो इंडस्ट्री का प्रतिशत 99 फीसदी है। उसके बाद भी यह हासिए पर है। ऐसे में माइक्रो इंडस्ट्री के लिए एक अलग सेल बनाने की जरूरत है। सेल बनेगा अर्थव्यवस्था को भी रफ्तार मिलेगी। माइक्रो इंडस्ट्री ही एमएमएमई की वास्तविक आत्मा है। उक्त बातें यूपी सरकार के पूर्व मुख्य सचिव और स्माल इंडस्ट्रीज मैन्यूफेक्चर एसोसिएशन (सीमा) के संरक्षक आलोक रंजन ने कही। रविवार को गोमती नगर स्थित सीमा कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में उन्होंने कहाकि माइक्रो इंडस्ट्री को लेकर अलग से सेल बननी चाहिए। जिससे कि इस पर ज्यादा से ज्यादा फोकस हो सके। एमएसएमई विभाग आज माइक्रो पर टिका है। इसके अलावा सबसे ज्यादा नौकरी भी इसी सेक्टर से निकलती है। मौजूदा दौर में एमएसएमई सेक्टर का 82 फीसदी नौकरी केवल माइक्रो सेक्टर से आता है। उन्होंने कहा कि इज ऑफ डूंइग के लिए माइंडसेट को बदलने की जरूरत है। 

यूपी के 89 लाख परिवारों को होगा फायदा 

उन्होंने कहा कि अलग से सेल बनाने का फायदा यूपी सरकार के 89 लाख परिवारों को सीधा लाभ होगा। अगर माइक्रो सेक्टर पर ठीक से काम किया गया तो एक ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था वाले लक्ष्य को प्राप्त करने में सबसे ज्यादा मदद मिलेगी। अभी तक माइक्रो सेक्टर से एक 10 करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल चुका है। इस पर ठीक से काम किया गया तो यह संख्या और ज्यादा बढ़ेगी। 

14 फीसदी हिस्सेदारी यूपी की

देश के एमएसएमई सेक्टर में करीब 14.20 हिस्सा अकेले उप्र से आता है। यूपी सरकार ने एमएसएमई को लेकर काफी काम किया है। अगर अलग सेल बढ़ा दिया जाए तो यह भागीदारी 20 से 25 फीसदी तक बढ़ जाएगी। आलोक रंजन ने बताया कि एमएसएमई मंत्री राकेश सचान को एक कापी इसकी भेजी गई है। बताया कि एमएसएमई  सेक्टर में सुधार के लिए एक प्लान उनको दिया गया है। अगर सरकार उसके हिसाब से काम करती है तो निश्चित तौर पर माइक्रो सेक्टर को फायदा होगा। 

लखनऊ और कानपुर में सैकड़ों कारोबारियों के साथ हुई चर्चा 

सीमा के अध्यक्ष शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि एमएसएमई और माइक्रो के कारोबारियों की समस्याओं को लेकर लखनऊ और कानपुर में कार्यक्रम किया गया था। इसमें कारोबारियों ने अपनी समस्याएं बताई थी। जिसमें लाइसेंस मिलने से लेकर बिजली और बाकी समस्याओं पर बात की गई थी। उसको लेकर भी सीमा की तरफ से एक सुझाव एमएसएमई विभाग को दिया जाएगा। इससे कि इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को फायदा मिलेगा। उन्होंने कहा कि नीतियां बनाने से पहले स्टडी करने की जरूरत है। बिना स्टडी नीति बनाने नहीं बनानी चाहिए।  

इन बातों को भी सरकार के सामने रखा जाएगा 

– बैंक का समर्थन माइक्रो सेक्टर को कम मिलता है। यह सुनिश्चित होना चाहिए कि बैंक माइक्रो कारोबारियों को आसानी से लोन दे। 

– अभियान चलाकर माइक्रो सेक्टर के कारोबारियों का रजिस्ट्रेशन कराया जाए, जिससे कि उनको सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके। 

– प्रदेश में 96 लाख माइक्रो कारोबारियों में महज 14 लाख लोगों ने ही अपना रजिस्ट्रेशन कराया कराया है। बाकी लोग रजिस्ट्रेशन क्यों नहीं कराए इसकी जांच होनी चाहिए। जो कमियां हो उसको दूर करना चाहिए। 

– कारोबारियों का पैसा सरकार से समय से मिले इसके लिए अलग से सेल हो। अभी 45 दिन का नियम है लेकिन 6 महीने तक पैसा नहीं मिलता। 

– माइक्रो सेक्टर के कारोबारियों को प्रशिक्षित करने के लिए अभियान चलाया जाए। 

– जो यूनिट बंद हो गई है, उसको शुरू कराया जाए। इसके लिए अलग से पॉलिसी बनाने की जरूरत है।