भारतीय नववर्ष की महत्ता और उसके स्वरूप पर होगी चर्चा
लखनऊ। इस वर्ष आगामी 22 मार्च को होने वाले भारतीय नववर्ष (नव संवत्सर) की तैयारी जोरों से शुरू हो गई है। इसी निमित्त कपूरथला स्थित गौरांग क्लीनिक पर डा. गिरीश गुप्ता की अध्यक्षता में 17 बिन्दुओं पर विस्तार से चर्चा हुई और कार्यकर्ताओं को उनके दायित्वों का निर्धारण किया गया। डा. गिरीश गुप्ता ने बताया कि पिछले कई वर्ष से आयोजित होने वाले इस नववर्ष पर कई घंटे तक विभिन्न तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। विभिन्न क्षेत्रों के आगंतुकों द्वारा भारतीय नववर्ष की महत्ता और उसके स्वरूप पर विस्तार से चर्चा कराई जाएगी।
डा. गुप्ता ने बताया कि भारतीय नववर्ष पूरे विश्व में एक उत्सव के रूप में मनाया जाना शुरू हो गया है। विश्व में अलग-अगल स्थानों पर नववर्ष की तिथि भी अलग-अगल होती है। विभिन्न सम्प्रदायों के नववर्ष समारोह भी भिन्न-भिन्न होते हैं और इसके महत्त्व की भी विभिन्न संस्कृतियों में परस्पर भिन्नता है। भारत में भी नववर्ष के तिथियों में भिन्नता है, अलग-अगल राज्यों में या ऐसा कहा जाये कि अलग-अलग समुदाय में तिथियों में भिन्नता है। उत्तर भारत के हिन्दू समुदाय में नववर्ष चैत्र की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को उत्सव मनाया जाता है। इस वर्ष यह तिथि 22 मार्च 2023 बुधवार को है। हिन्दू धर्म में इस दिन को वर्ष का सबसे शुभ दिन माना जाता है। इसीलिए हिन्दू नववर्ष एक उत्सव का दिन होता है।
समिति के ओम प्रकाश पांडेय ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व बताते हुए कहा कि यह समय पौराणिक दिन से जुड़ा हुआ है, इस दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसमें मुख्यत: ब्रह्माजी और उनके द्वारा निर्मित सृष्टि के प्रमुख देवी-देवताओं, जैसे राक्षस, गंधर्व, ऋषि-मुनियों, नदियों, पर्वतों, पशु-पक्षियों और कीट-पतंगों का ही नहीं, रोगों और उनके उपचारों तक का भी पूजन किया जाता है। ऐसे में इसी दिन से नया संवत्सर शुरू होता है। अत: इस तिथि को ‘नवसंवत्सर‘ भी कहते हैं। इसी दिन के सूर्योदय से ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की। श्री पांडेय ने बताया कि हिंदू नववर्ष 2023, विक्रमी संवत 2080 बुधवार, 22 मार्च 2023 को है। इसी तरह से प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ 21 मार्च 2023 रात्रि 10:53 बजे से और
प्रतिपदा तिथि समाप्त 22 मार्च 2023 को रात्रि 08:21 बजे होगी।
बैठक में समिति के वरिष्ठ सदस्य गिरीश सिन्हा ने बताया कि जिस भारतीय तिथि पर हम सभी लोग मांगलिक कार्यों की शुरुआत करते हैं उसे सम्राट राजा विक्रमादित्य ने इसकी शुरुआत कर इसी दिन राज्य स्थापित किया। इन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत् का पहला दिन प्रारम्भ होता है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के राज्याभिषेक का दिन यही है। शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात् नवरात्रि का पहला दिन भी यही है। श्री सिन्हा ने बताया कि राजा विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम् राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना। विक्रम सम्वत की स्थापना की। युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ।
नववर्ष आयोजन हेतु जिन कार्यकर्ताओं को दायित्वों का निर्वहन करना है उनमें समिति की मुख्य संरक्षक रेखा त्रिपाठी, सचिव डा. सुनील अग्रवाल, सुमित तिवारी, अजय सक्सेना, श्याम किशोर त्रिपाठी, गोपाल प्रसाद, आनन्द पांडेय, भारत सिंह, आरएस सचदेवा, डा. संगीता शुक्ला, पुनीता अवस्थी, हेमंत कुमार, डा. निवेदिता रस्तोगी, डा. रंजना द्विवेदी, अरुण मिश्रा, विशाल मोकाटी और कमलेन्द्र मोहन प्रमुख हैं।
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