दो अक्टूबर का दिन था खासआया था धरती पर माटी का लाल सरल सहृदय कद था छोटापर शख्सियत रही विशालमाटी का वो लाल सदामाटी से ही जुडा रहा । गुजरा बचपन अभावो मेपर हार कभी न मानीचित्रगुप्त थे वंशज जिसकेकलम का रहा वो सदा पुजारीमेहनत एक दिन रंग लाईदेश की …
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