लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। ‘यावेत जीवेत सुखम जीवेत, ऋणं कृत्वा घृतं पिवेत्’ अर्थात जब तक जियो सुख से जियो, ऋण लेकर भी घी पियो। महर्षि चर्वाक ने इस श्लोक में भौतिकवाद की जो शिक्षा दी अपने समय में यह श्लोक भले ही लोगों को अधिक प्रभावित नहीं कर पाया …
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