क्या लिखूं उस महान शख्सियत पर
जिसने खुद स्वर्णिम इतिहास लिखा
इरादे जिस के अटल सदा
वो शख्स रहा है अटल खड़ा
लेकर कलम की ताकत को
क्षेत्र पत्रिकारिता का चुना
भावो से भरा कवि ह्रदय
न बांध सका मन के भावों को
पिरो मन के भावो को शब्दो मे
कविताओ मे ढाल दिया।
रखा जब कदम सियासत मे
फिर से एक नया इतिहास रचा
विगुल बजाया था जिस पथ पर
हुई पूर्ण जब शताब्दी उनकी
सपना उनका तब साकार हुआ
अडिग अटल विश्वास मन मे
हर बाधाओ को पार किया
चेहरे पर मुस्कान सौम्य सी
वो शख्स रहा है अटल खड़ा
वाकपटुता के आगे जिसकी
विरोधी भी था परास्त खड़ा
आजादी के पावन दिन पर
राष्ट्रीय ध्वज न झुकने दिया
सदा नमन उस महापुरुष को
जो मौत से भी लड़ पड़ा
इरादे जिस के अटल सदा
वो शख्स रहा अंत तकअटल खड़ा ।
कुछ तो बात रही होगी उसमे
नाम यूं ही नही उसका अटल पड़ा।

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