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‘रिवायत’ में गूंजा ”ऐसी सर्दी है कि सूरज भी रजाई मांगे”

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। अदीरा की ओर से संगीत नाटक अकादमी में आयोजित तीन दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव ‘रिवायत’ का समापन रविवार की शाम भव्य मुशायरा, कवि सम्मेलन और महिला फैशन शो के साथ हुआ। उत्सव के अंतिम दिन कला, साहित्य, संगीत और महिला सशक्तिकरण का सुंदर संगम देखने को मिला, जिसने उपस्थित दर्शकों का दिल जीत लिया।

रविवार की शाम आयोजित मुशायरे में मशहूर कवि डॉ. मुंतजिर कायमी ने अपनी चर्चित पंक्तियाँ “बर्फ की आंच से मौसम भी दुहाई मांगे, ऐसी सर्दी है कि सूरज भी रजाई मांगे” पढ़कर खूब वाहवाही लूटी। वहीं शायर मनीष शुक्ल ने “बात करने का हंसी तौर तरीका आया, मुझको उर्दू के बहाने से सलीका आया” सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

इस दौरान प्रसिद्ध सिंगर सतीश शांडिल्य ने ग़ज़ल “रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ, चुपके से किसी रोज़ न जाने के लिए आ…” गाकर माहौल को और भी यादगार बना दिया। मुशायरे और कवि सम्मेलन में 20 से अधिक कवियों ने अपनी रचनाओं से साहित्य प्रेमियों को भाव-विभोर किया। 

इस अवसर पर फिल्म निर्देशक मुज़फ्फर अली के बेटे एवं अभिनेता-कवि गुलाम अली की पुस्तक ‘निगाह-ए-करम’ का विमोचन भी किया गया, जो कार्यक्रम का विशेष आकर्षण रहा।

उत्सव के अंतिम दिन का एक प्रमुख आकर्षण महिला फैशन शो रहा। महिला सशक्तिकरण को समर्पित संस्था अदीरा के मंच से आयोजित इस फैशन शो ने आत्मविश्वास, गरिमा और रचनात्मकता का शानदार प्रदर्शन किया। फैशन शो में पल्लवी सिंह ने प्रथम, शालिनी सचदेवा ने द्वितीय और रेनू गुप्ता ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।

अदीरा की संस्थापिका रितिका चौधरी ने कार्यक्रम के दौरान फिल्म निर्देशक मुज़फ्फर अली को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। साथ ही महिला फैशन शो की सभी विजेताओं को भी स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। फैशन शो के दौरान जिला पंचायत सदस्य मोहनलालगंज अमरेंद्र भारद्वाज अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

‘रिवायत’ का समापन इस संकल्प के साथ हुआ कि भविष्य में भी देश की संस्कृति, क्राफ्ट और कुज़ीन को बढ़ावा देने के लिए ऐसे आयोजन निरंतर किए जाते रहेंगे। लखनऊ के सांस्कृतिक प्रेमियों के लिए रिवायत एक यादगार उत्सव बनकर हमेशा स्मृतियों में रहेगा।