लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। हिंदी प्रकोष्ठ, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ एवं अखिल भारतीय साहित्य परिषद, अवध प्रांत के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय भाषाएँ : राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक अस्मिता का आधार विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. राजकुमार मित्तल ने की।

संगोष्ठी के संयोजक डॉ. बलजीत श्रीवास्तव ने विषय प्रवर्तन में राष्ट्रकवि सुब्रह्मण्यम भारती की भाषाई एकता में भूमिका का उल्लेख किया। अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति प्रो. मित्तल ने भारतीय ज्ञान परंपरा, भाषाई विरासत और पंचकोष सिद्धांत को रेखांकित करते हुए भारतीय विचारधारा की समग्रता पर प्रकाश डाला।
सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु से पधारे मुख्य वक्ता प्रो. हरीश शर्मा ने पूर्वोत्तर साहित्य में निहित राष्ट्रीय एकता का विश्लेषण प्रस्तुत किया। हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. रामपाल गंगवार ने अनुवाद को भाषाओं के सेतु के रूप में बताया।

नवयुग कन्या महाविद्यालय के संस्कृत विभाग की अध्यक्ष प्रो. रीता तिवारी ने संस्कृत को भारतीय भाषाओं की जननी बताते हुए मूल ग्रंथों के अध्ययन की आवश्यकता पर बल दिया।
मुख्य अतिथि अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. पवनपुत्र बादल ने भारतीय भाषा को स्वाभिमान का प्रतीक बताते हुए बोलियों के संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रमेश नैलवाल ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. नमिता जैसल ने दिया। संगोष्ठी में 90 से अधिक शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों ने सहभागिता की।
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