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विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल करना मानसी जोशी का लक्ष्य

शुरू की अगले साल के व्यस्त सीज़न की तैयारियाँ

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। गोदरेज इंडस्ट्रीज असिस्टिव टेक कॉन्फ्रेंस में पूर्व वर्ल्ड चैंपियन मानसी जोशी ने 2025 के बहुत मुश्किल सीज़न के लिए अपनी तैयारियों पर बात की और अपने हालिया फॉर्म, रिकवरी जर्नी और नए कॉम्पिटिटिव लक्ष्यों के बारे में अपडेट शेयर किए। उन्होंने कहा कि उनका तुरंत ध्यान फ़रवरी में होने वाली विश्व चैंपियनशिप पर है, जहाँ उनका लक्ष्य 2019 में जीता गोल्ड मेडल वापस पाना है। उन्होंने यह भी बताया कि 2026 असामान्य रूप से व्यस्त रहेगा, क्योंकि पोस्ट-कोविड शेड्यूलिंग के कारण विश्व चैंपियनशिप और एशियन गेम्स एक ही साल में हो रहे हैं।

जोशी ने पुष्टि की कि उन्हें आगामी विश्व चैंपियनशिप के लिए आधिकारिक चयन पत्र मिल चुका है और वे तीनों फ़ॉर्मेट — सिंगल्स, डबल्स और मिक्स्ड डबल्स — में क्वालिफ़ाई कर चुकी हैं, जिसे उन्होंने गर्व की बात बताया। उन्होंने पिछले कुछ महीनों में अपने लगातार प्रदर्शन का उल्लेख किया — जापान इंटरनेशनल में महिला और मिक्स्ड डबल्स में एक स्वर्ण और एक कांस्य, ऑस्ट्रेलिया में मिक्स्ड डबल्स और सिंगल्स में एक स्वर्ण और एक कांस्य और इंडोनेशिया में एक रजत और एक कांस्य। उन्होंने बताया कि पैरालंपिक के बाद रैंकिंग नीचे आ गई थी क्योंकि उन्होंने कम टूर्नामेंट खेले थे, इसलिए उन्हें दोबारा भारत की टॉप तीन में बने रहने के लिए और मेहनत करनी पड़ी।

उन्होंने कहा, “तीन इवेंट खेलना निश्चित रूप से चुनौतीपूर्ण है। लेकिन यही हमारे खेल की हक़ीक़त है। सबसे ज़रूरी है रिकवरी: एक मैच ख़त्म करो, जल्दी रिकवर करो और अगले मैच में पूरी ऊर्जा के साथ उतर जाओ।”

बदलते प्रतिस्पर्धी माहौल पर बोलते हुए जोशी ने कहा कि युवा खिलाड़ियों के आने से प्रतियोगिता और तेज़ हो गई है। उन्होंने अलग-अलग कैटेगरी में खेलने की फ़िज़िकल डिमांड्स को स्वीकार किया और दोहराया कि आज के खेल में रिकवरी बेहद अहम हो गई है। उन्होंने बताया कि ट्रेनिंग रोज़ छह से आठ घंटे तक चलती है, जबकि प्रतियोगिता के दिनों में मैचों के बीच तेज़ी से एडजस्ट करना पड़ता है।

जोशी ने पेरिस पैरालंपिक के प्रदर्शन पर भी बात की, जहाँ वे ग्रुप स्टेज में ही बाहर हो गई थीं। उन्होंने माना कि यह परिणाम भावनात्मक रूप से कठिन था और इसी कारण उन्होंने बैडमिंटन से कुछ समय का ब्रेक लिया। इस दौरान उन्होंने सिंगापुर और हांगकांग सहित कई अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ़्रेंस में हिस्सा लिया, जहाँ उन्होंने दिव्यांगता से जुड़े मुद्दों पर बात की और छात्रों से संवाद किया। उन्होंने कहा कि एक दशक से अधिक लगातार खेलने के बाद यह ब्रेक उन्हें रीसेट करने में मददगार रहा।

जून में मल्टीपल यूटेराइन फ़ाइब्रॉइड्स को हटाने के लिए की गई सर्जरी ने उनके सीज़न को और बाधित किया। उन्होंने बताया कि रिकवरी में लगभग ढाई महीने लगे और यह खासकर प्रोस्थेटिक यूज़र के तौर पर मुश्किल था। जोशी ने हैदराबाद स्थित गोपीचंद एकेडमी की अपनी सपोर्ट टीम, विशेषकर कोच राजेंद्र कुमार जक्कमपुडी को प्रशिक्षण और रिहैबिलिटेशन में सहयोग के लिए श्रेय दिया।

चुनौतियों के बावजूद, जोशी विश्व चैंपियनशिप के लिए क्वालिफ़ाई करने को लेकर अपने इरादों पर मजबूती से कायम थीं। मेडिकल क्लीयरेंस मिलते ही उन्होंने दोबारा प्रतिस्पर्धा में वापसी की और क्वालिफ़िकेशन के लिए तीन टूर्नामेंट खेले। उन्होंने कहा कि सर्जरी से पहले उन्होंने डॉक्टर से अनुरोध किया था कि उन्हें एशियन चैंपियनशिप में खेलने का एक मौका मिल जाए। इस स्पर्धा में उन्होंने एक कांस्य और एक रजत पदक हासिल किया। घर लौटते ही उन्होंने सर्जरी करा ली।