लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। लखनऊ विश्वविद्यालय ने ओडिशा के पहले मुख्यमंत्री डॉ. हरेकृष्ण महताब की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में एक साल तक चलने वाले समारोहों का शुभारंभ किया। भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा चुने गए शीर्ष पांच विश्वविद्यालयों में से एक, लखनऊ विश्वविद्यालय ने ओडिशा अनुसंधान केंद्र, भुवनेश्वर के सहयोग से इस कार्यक्रम का आयोजन किया।
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि और वक्ता मौजूद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी गोपाबंधु पटनायक ने कहा कि डॉ. महताब धरती के एक अनमोल पुत्र थे। वे एक सच्चे राजनेता थे जिन्होंने ओडिशा के क्षेत्रीय गौरव के लिए संघर्ष किया, लेकिन राष्ट्रवादी गौरव के व्यापक दायरे में। उनके गांधीवादी आदर्शों, बौद्धिक कठोरता और सामुदायिक कल्याण के प्रति तीन गुना जोर, वर्तमान समय में भी प्रासंगिक हैं।

उन्होंने उनके जीवन की कई घटनाओं का वर्णन किया, जिन्होंने राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में ओडिया लोगों की भागीदारी, विशेष रूप से दांडी मार्च में महिलाओं की भागीदारी को सुविधाजनक बनाने के लिए उनके साहस और दृढ़ संकल्प को दिखाया। उन्होंने छात्रों को महताब जैसे व्यक्तित्वों को नायक-पूजा के माध्यम से नहीं, बल्कि उनके आदर्शों को अपने दैनिक जीवन में अभ्यास करके प्रासंगिक बनाने की सलाह दी।
व्याख्यान से प्रेरणा लेते हुए, कला संकाय के अतिथि वक्ता और डीन, प्रो. अरविंद मोहन ने डॉ. महताब के औद्योगीकरण-आधारित विकास मॉडल पर जोर दिया। जिसमें हीराकुंड बांध और राउरकेला स्टील प्लांट के उदाहरण दिए।

कार्यक्रम की संरक्षक और विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. मनुका खन्ना ने अपने भाषण में वर्तमान समय में भी ऐसी महान व्यक्तित्वों की निरंतर प्रासंगिकता पर जोर दिया। उन्होंने भारत के राष्ट्र-निर्माण के शुरुआती वर्षों में डॉ. महताब के एक विपुल लेखक, राजनेता और प्रशासक के रूप में एक साथ कार्य करने की क्षमता की प्रशंसा की।

इस कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के 200 से अधिक छात्रों और संकाय सदस्यों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन समाजशास्त्र विभाग के प्रमुख और कार्यक्रम के नोडल अधिकारी प्रो. दीप्ति रंजन साहू ने किया। इस कार्यक्रम में छात्र कल्याण डीन प्रो. जे.एस. पांडे, प्रो. रंगोली चंद्रा, प्रो. प्रमोद कुमार गुप्ता, प्रो. प्रतिभा राज, डॉ. अर्चना वर्मा, डॉ. सुषमा मिश्रा, डॉ. आदित्य मोहंती और डॉ. पवन कुमार मिश्रा जैसे उल्लेखनीय संकाय सदस्यों ने भाग लिया। धन्यवाद ज्ञापन लखनऊ विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र संकाय सदस्य डॉ. सरोज ढल ने किया।
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