लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के डॉक्टरों ने प्रयागराज के 27 वर्षीय युवक पर “फ्रोज़न एलीफेंट ट्रंक” प्रोसिजर का इस्तेमाल कर एक असाधारण और जटिल सर्जरी की। जिसमे एसेन्डिंग एओर्टा और एओर्टिक आर्च का रिप्लेसमेंट, ब्रेन आर्टरी की डिब्रांचिंग की गई और डिसेन्डिंग थोरेसिक एओर्टा के लिए एओर्टिक-स्टेंटेड हाइब्रिड ग्राफ्ट लगाया गया। मरीज़ में लगभग 8 सेंटीमीटर की बड़ी एओर्टिक डिसेक्शन पाई गई थी, जो एओर्टिक रूट से लेकर एब्डॉमिनल एओर्टा तक फैली हुई थी। यदि इलाज न होता तो यह किसी भी समय फट सकती थी और तुरंत मृत्यु हो सकती थी।
डॉ. विजयंत देवेनराज (डायरेक्टर और हेड ऑफ डिपार्टमेंट, कार्डियोथोरेसिक एवं वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस), मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल) के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने लगभग 7 घंटे चली इस मैराथन सर्जरी को अंजाम दिया। इसमें पूरे शरीर – दिल, दिमाग, किडनी, लिवर आदि का ब्लड सर्कुलेशन रोकना पड़ा। इस दौरान मरीज़ के शरीर का तापमान “डीप हाइपोथर्मिक टोटल सर्क्युलेटरी अरेस्ट” (डीएचसीए) के ज़रिए 18 डिग्री सेल्सियस तक ठंडा किया गया और फिर सर्जरी की गई।
उनके अनुसार मरीज़ आलोक को लगभग पाँच महीने से सीने में दर्द और सांस फूलने की समस्या थी, जिसे उन्होंने ऐसिडिटी या सीने में जकड़न समझकर नज़रअंदाज़ कर दिया। स्थिति बिगड़ने पर परिवार ने उन्हें मैक्स अस्पताल में दिखाया, जहाँ जांच और सीटी एओर्टोग्राम से यह खतरनाक एओर्टिक डिसेक्शन की कंडीशन सामने आई। डॉक्टरों ने यह भी आशंका जताई कि उन्हें मार्फन सिंड्रोम हो सकता है – यह एक जन्मजात कनेक्टिव टिशू डिसॉर्डर है, जिससे ऐसी वैसकुलर समस्या हो सकती हैं।

मामले की जानकारी देते हुए डॉ. विजयंत देवेनराज ने कहा, “मरीज़ आलोक को महीनों से लक्षण थे, लेकिन उन्होंने इसे गैस या सीने की जकड़न समझा। जब सीने का तेज दर्द और सांस की गंभीर समस्या लगातार बनी रही, तो परिवार के लोग उन्हें विशेषज्ञ देखभाल के लिए मैक्स लेकर आए। उनकी कम उम्र के कारण यह एक असाधारण और कठिन मामला था। उनकी एओर्टिक रूट से लेकर एब्डॉमिनल एओर्टा तक एक 8 सेमी का डिसेक्शन पाया गया जो गुर्दे की धमनियों से ठीक पहले था। साथ ही दिमाग़, सीने और पेट के मुख्य अंगों को खून पहुंचाने वाली आर्टरीज़ को प्रभावित कर रहा था। हमने एक असामान्य और जटिल हाइब्रिड सर्जरी ‘फ्रोज़न एलीफेंट ट्रंक’ करने का तय किया। ये नाम इसके शेप की वजह से मिला है। इस सर्जरी में हमने ऐऑर्टा के जिस हिस्से में नुकसान पहुंचा था उसे रिप्लेस किया। एसेन्डिंग एओर्टा और एओर्टिक आर्च और ब्रेन आर्टरीज़ का पूरा रिप्लेसमेंट,और डिसेन्डिंग थोरेसिक एओर्टा में एओर्टिक-स्टेंटेड हाइब्रिड ग्राफ्ट लगाया और ये सब एक ही ऑपरेशन में किया गया।”
सर्जरी के बारे में आगे बताते हुए डॉ. देवेनराज ने कहा, “दिल और मुख्य आर्टरीज़ पर सुरक्षित काम के लिए मरीज़ के शरीर को लगभग 18 डिग्री सेल्सियस तक ठंडा किया गया और लगभग 35–40 मिनट तक पूरे शरीर का ब्लड सर्कुलेशन रोका गया। इस तकनीक से गंभीर एओर्टिक आर्च रोगों में सर्जरी की सहूलियत मिलती है। सर्जरी लगभग 7 घंटे चली। इसमें एसेन्डिंग एओर्टा का रिप्लेसमेंट और आर्च वेसल्स की डिब्रांचिंग और स्टेंटेड ग्राफ्टिंग की गई। साथ ही ब्रेन आर्टरीज़ को फिर से जोड़ा गया।
सर्जरी के बाद मरीज़ को आईसीयू में शिफ्ट किया गया और दो दिनों तक वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। इतने बड़े और जटिल ऑपरेशन के बावजूद ब्लड लॉस बहुत कम रहा और स्वस्थ होने की प्रक्रिया सरल रही। मरीज़ को सर्जरी के दस दिन बाद स्वस्थ अवस्था में छुट्टी दे दी गई।