साभार सोशल मीडिया
अगर आप उन्हें साधारण समझते थे तो ये आपकी भूल है, ये व्यक्ति संविधान और क़ानून का इतना बड़ा जानकर है कि 10 CJI इसके सामने पानी माँगें। जस्टिस यशवंत वर्मा के मामले में उन्होंने जिस तरह से न्यायपालिका की सड़ाँध के विरुद्ध मोर्चा खोल रखा था, वैसी हिम्मत आज तक किसी भी बड़े नेता की नहीं हुई।
पश्चिम बंगाल का राज्यपाल रहते इन्होंने AM-PM की गड़बड़ी के कारण रात के 2 बजे कैबिनेट बैठक का ऐलान कर दिया था। पूरी बंगाल सरकार हिल गई थी और दोबारा बैठक का समय तय करके भेजना पड़ा था। इतनी तनातनी रही ममता बनर्जी से, फिर भी उप-राष्ट्रपति चुनाव में TMC ने विरोधी उम्मीदवार को वोट नहीं दिया। वो संबंध भी बनाते थे, इलाज भी करते थे। संजय सिंह जैसे गुंडों जैसों को सदन से फिंकवाने में देर नहीं लगाते थे, वहीं कभी उसका हाथ थामे भी दिखते थे।
जो व्यक्ति पेरिस स्थित ‘इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन’ का सदस्य रहा हो 3 वर्षों तक, उसे न देश में बेवकूफ बना सकते हैं और न विदेश में – विपक्षी दलों और इकोसिस्टम को उनकी ये विशेषता खलती थी।
बहुत कम लोगों को पता है कि आज से 35 वर्ष पूर्व जब चंद्रशेखर सिंह प्रधानमंत्री बने थे तब उन्होंने जगदीप धनखड़ को संसदीय कार्यमंत्री बनाया था। संसद और सरकार कैसे काम करती है, उनके अधिकार क्या हैं और सीमाएँ क्या हैं – ये #JagdeepDhankhar से बेहतर शायद ही कोई समझता होगा।
वो राजस्थान हाईकोर्ट के बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे हैं। एक किसान परिवार में जन्मा व्यक्ति उप-राष्ट्रपति के पद तक पहुँचा। “राष्ट्रपति देश की प्रथम नागरिक हैं, उन्हें आदेश देने वाला सुप्रीम कोर्ट कौन?” – ये सवाल भी उन्होंने निडरता से उठाया। जगदीप धनखड़ भाजपा के क़ानून मामले के राष्ट्रीय संयोजक रह चुके हैं, भारतीय संस्कृति एवं इतिहास व विचारधारा को लेकर समर्पित रहे हैं। सदन में इसकी झलक कई बार दिखाई दी।
और हाँ, सैनिक स्कूल का विद्यार्थी अनुशासन को सबसे बड़ी प्राथमिकता रखता है, उससे भी ऊपर रखता है देश को।
आज ये दिखाई भी दे गया। जब उम्र ढलने और स्वास्थ्य ठीक न रहने के बावजूद नेता कुर्सी से चिपके रहते हैं, ऐसे दौर में जगदीप धनखड़ ने एक उदाहरण पेश किया है। कुर्सी छोड़ना बहुत बड़ा फ़ैसला होता है, वो चाहते तो इस पद पर बने रह सकते थे क्योंकि राज्यसभा में उनकी अनुपस्थिति में चेयर सँभालने के लिए 10 अन्य सांसद भी होते हैं। सत्र भी सालभर नहीं चलता। उप-राष्ट्रपति कार्यक्रमों में न जाए, फिर भी चलेगा। लेकिन, उन्होंने कुर्सी के मोह से हटकर देश को चुना।
उप-राष्ट्रपति पद के लिए जगदीप धनखड़ ने उच्च मानक स्थापित कर दिए हैं, जो भी आगे इस पद पर आएगा उसके लिए ये एक चुनौती रहेगी।