- रक्षा निर्माण में ‘आत्मनिर्भर भारत’ को दे रहा बढ़ावा
- सात प्रमुख रक्षा इकाइयों ने यूपी गलियारे में संचालन शुरू कर दिखाया रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता का दम
- कानपुर, अलीगढ़ और लखनऊ बने उच्च मूल्य रक्षा निवेश के प्रमुख केंद्र
लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (यूपीडीआईसी), जिसे रक्षा और एयरोस्पेस विनिर्माण को सशक्त बनाने के उद्देश्य से 2018 में उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) द्वारा स्थापित और विकसित किया गया था। यह गलियारा उत्तर प्रदेश के छह रणनीतिक नोड्स, कानपुर, झांसी, लखनऊ, अलीगढ़, आगरा और चित्रकूट में फैला हुआ है। जो निरंतर निवेश आकर्षित कर रहा है और प्रदेश को न केवल राष्ट्रीय बल्कि वैश्विक रक्षा विनिर्माण के प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित कर रहा है।
यूपीडा की नवीनतम प्रगति रिपोर्ट के अनुसार, रक्षा क्षेत्र की अग्रणी कंपनियों ने यूपीडीआईसी में संचालन और उत्पादन प्रारम्भ कर दिया है, जो रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है।
उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के विभिन्न नोड्स में अब तक ₹28,809 करोड़ के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। जिसमें लगभग 47 कंपनियों को भूमि आवंटित की जा चुकी है, इनमें से अधिकांश में निर्माण कार्य शुरू हो गया है। वहीं सात प्रमुख रक्षा इकाइयों ने पूरी तरह संचालन भी आरंभ कर लिया है, जिससे यह गलियारा अत्याधुनिक निर्माण और रणनीतिक उत्कृष्टता के केंद्र रूप में उभर रहा है। इसके अतिरिक्त लगभग 10 कंपनियों के लिए पट्टा (लीज डीड) की प्रक्रिया प्रगति पर है।
विशेष रूप से, अडानी डिफेंस सिस्टम्स एंड टेक्नोलॉजीज लिमिटेड ने कानपुर में ₹1,500 करोड़ के निवेश से बनाए गए आधुनिक रक्षा निर्माण संयंत्र में उत्पादन शुरू कर दिया है, जो यूपीडीआईसी में अब तक का सबसे बड़ा निवेश है। यह अत्याधुनिक इकाई गोला-बारूद निर्माण में राष्ट्रीय मानकों को एक नई ऊंचाई पर ले जाने की क्षमता रखती है।
अलीगढ़ में एमिटेक इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने ₹330 करोड़ के निवेश के साथ उन्नत इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम और सैटेलाइट तकनीक का उत्पादन शुरू किया है। वहीं, वेरीविन डिफेंस प्राइवेट लिमिटेड ने ₹65 करोड़ के निवेश से छोटे हथियारों के निर्माण की शुरुआत की है।
लखनऊ में उन्नत मटेरियल्स और मिसाइल सिस्टम का निर्माण तेजी पकड़ रहा है। एयरोलॉय टेक्नोलॉजीज ने ₹320 करोड़ के निवेश से टाइटेनियम कास्टिंग उत्पादन शुरू किया है। इसके साथ ही डीआरडीओ की ब्रह्मोस एयरोस्पेस इकाई ने ₹300 करोड़ की लागत से बनाए गए संयंत्र में ब्रह्मोस एनजी मिसाइल सिस्टम के निर्माण और असेंबली का कार्य प्रारंभ कर दिया है।
कानपुर की औद्योगिक प्रगति को और बढ़ावा देते हुए ए.आर. पॉलिमर्स प्राइवेट लिमिटेड ने ₹48 करोड़ के निवेश से बैलिस्टिक मटेरियल और सेफ्टी गियर का उत्पादन शुरू किया है। इसके अलावा, आधुनिक मटेरियल्स एंड साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड ने ₹38.58 करोड़ के निवेश से रक्षा वस्त्रों (डिफेंस टेक्सटाइल्स) का निर्माण प्रारंभ कर दिया है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने स्वदेशी रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने, आयात पर निर्भरता कम करने और निर्यात को गति देने के लिए 2018 में दो रक्षा गलियारों-एक उत्तर प्रदेश और दूसरा तमिलनाडु में स्थापना की घोषणा की थी। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में, सुनिश्चित बिजली, पानी, एक्सप्रेसवे कनेक्टिविटी और सिंगल-विंडो क्लीयरेंस जैसी सुविधाएँ उद्योगों के लिए संचालन व स्थापना को आसान बनाती हैं।
रक्षा उत्पादों के स्वदेशी विनिर्माण के अतिरिक्त, यूपीडीआईसी (उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर) न केवल प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा कर रहा है, बल्कि वैश्विक एयरोस्पेस और रक्षा मानकों के अनुरूप कौशल विकास को भी बढ़ावा दे रहा है। इसके अलावा, राज्य में सबसे बड़े सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के आधार के साथ, यह गलियारा एमएसएमई और स्टार्टअप्स को रक्षा आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनने के लिए सहायक उद्योगों को और बढ़ावा दे रहा है।