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शेल्टर होम में मनाई गई आंबेडकर जयंती 135वीं जयंती

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। इण्डिया लेबर लाइन परियोजना व विज्ञान फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में शेल्टर होम पर बाबा साहेब डा. भीमराव आंबेडकर की 135वीं जयंती मनाई गई। इस अवसर पर शेल्टर होम के निवासियों और कर्मचारियों ने संविधान निर्माता डॉ. आंबेडकर के जीवन और योगदान को याद किया।

कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ. आंबेडकर के चित्र पर माल्यार्पण किया गया। दिहाड़ी मजदूर संगठन के राम नाथ ने अपने उद्घाटन भाषण में बाबा साहेब के संघर्षों और उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। “डॉ. अंबेडकर के विचार और आज का भारत” विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए।

सामाजिक कार्यकर्ता अरविन्द कुमार ने बाबा साहेब के विचारों पर चर्चा करते हुए बताया कि हम सभी को शिक्षित होना बहुत जरुरी है। शिक्षित संगठित रहेंगे तो कही न कहीं समाज में बदलाव देख पाएंगे। बाबा साहेब द्वारा समाज में समानता लाने के प्रयासों की सराहना की गई।

इसी क्रम में परमानन्द प्रसाद ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के बारें में बताया गया कि भारत की न्याय व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के अंतर्गत स्थापित किया गया है। यह एक वैधानिक निकाय है जिसका मुख्य उद्देश्य समाज के कमजोर और वंचित वर्गों को निःशुल्क और सक्षम कानूनी सहायता प्रदान करना है। निःशुल्क कानूनी सहायता के तहत निम्न आय वर्ग, महिलाएं, बच्चे, अनुसूचित जाति/जनजाति के सदस्य, विकलांग व्यक्तियों और अन्य वंचित वर्गों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करना।

मुख्य वक्ता सीपी सिंह ने दत्तोपंत ठेंगड़ी के जीवन और योगदान पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने अपने संबोधन में बताया कि दत्तोपंत ठेंगड़ी एक महान राष्ट्रवादी विचारक, मजदूर नेता और सामाजिक सुधारक थे।

दत्तोपंत ठेंगड़ी ने भारतीय मजदूर संघ की स्थापना कर भारत में श्रमिक आंदोलन को एक नई दिशा दी। उनका मानना था कि श्रमिकों का विकास राष्ट्र के विकास से अलग नहीं हो सकता।

उन्होंने ठेंगड़ी जी के ‘स्वदेशी’ और ‘एकात्म मानववाद’ के विचारों पर विशेष जोर देते हुए बताया कि किस प्रकार उनके विचार आज के वैश्विक परिदृश्य में भी प्रासंगिक हैं। श्री सिंह ने कहा, ठेंगड़ी जी ने हमेशा स्थानीय उत्पादन और स्वावलंबन पर बल दिया, जो आज के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान का मूल आधार है।

कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों को संविधान की प्रस्तावना को पढ़कर सुनाया गया। इस अवसर पर विज्ञान फाउंडेशन से अमर सिंह, अदनान, जीतेन्द्र, भीमपाल व दिहाड़ी मजदूर संगठन के साथी उपस्थित रहे।