लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। अवध भारती संस्थान द्वारा प्रकाशित इंजी. रमाकांत तिवारी रामिल की पुस्तकों के लोकार्पण के साथ चार विभूतियों को अवधी साहित्य सम्मान प्रदान किया गया। शनिवार को हिन्दी संस्थान के निराला सभागार में प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित की अध्यक्षता एवं मुख्य अतिथि पद्मश्री विद्याबिन्दु सिंह की गरिमामयी उपस्थिति में आयोजित समारोह में हास्य व्यंग्य कणिकायें द्वितीय भाग और भक्ति कलश तृतीय भाग का लोकार्पण हुआ।
वर्ष 2025 के प्रभाराम तिवारी स्मृति अवधी एवं अवधी लोक साहित्य सम्मान कमशः साहित्यकार महेन्द्र भीष्म व आचार्य सूर्य प्रसाद शर्मा ‘निशिहर’ को तथा सीता देवी स्मृति अवधी एवं अवधी लोक साहित्य सम्मान क्रमशः डॉ. सत्या सिंह व डॉ. रश्मि शील शुक्ला को प्रदान किये गये। जिसमें सम्मान स्वरूप पांच हजार एक सौ मात्र की धनराशि, स्मृति चिन्ह व अंगवस्त्र सम्मिलित रहे।
लोकार्पित कृतियों के परिप्रेक्ष्य में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो. सूर्यप्रसाद दीक्षित ने रामिल की सारस्वत साधना की प्रशंसा करते हुये कहा कि जहाँ रचनाकार की कृति भक्ति कलश में ईश्वर के प्रति स्वाभाविक भक्ति व समर्पण है, वहीं अनवरत भक्ति व समस्त मानव जाति पर निरन्तर कृपा का आग्रह भी है। रचनाकार की दूसरी कृति हास्य व्यंग्य कणिकायें के सम्बन्ध में विचार व्यक्त करते हुये उन्होंने कहा कि हास्य मानव जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है तथा मानव को ईश्वर द्वारा प्रदत्त बड़ा व अनोखा वरदान है।
मुख्य अतिथि पद्मश्री विद्याविन्दु सिंह ने रचनाकार को प्रकाशित दोनों कृतियों की भाव-विविधता पर प्रकाश डालते हुये कहा कि आज के तनावपूर्ण जीवन में मानव के चेहरे पर मुस्कान लाना एक बहुत बड़ा कार्य है, जिसमें रचनाकार पूर्णतया सफल हुआ है। ईश्वर के प्रति आस्था व समर्पण निःसन्देह व्यक्ति की जीवन नैया को सकुशल पार लगाता है।
रामिल की दोनों कृतियों एवं अवधी भाषा की दशा व दिशा पर डॉ. रामबहादुर मिश्र, डॉ. सन्तलाल, डॉ. शिव प्रकाश अग्निहोत्री, डॉ. अम्बरीष सिंह एवं कार्यक्रम में सम्मानित साहित्यकार महेन्द्र भीष्म, आचार्य सूर्य प्रसाद ‘निशिहर’, डा. सत्या सिंह, डॉ. रश्मि शील शुक्ला आदि ने अपने विचार व्यक्त किये एवं रामिल के उद्देश्यपूर्ण व सफल साहित्यक जीवन हेतु शुभकामना दी।
कार्यक्रम का संचालन प्रदीप सारंग एवं स्वागत व आभार अवध भारती संस्थान के अध्यक्ष डा. रामबहादुर मिश्र ने किया। कार्यक्रम में लखनऊ एवं आस-पास के अवधभाषी जनपदों के गणमान्य अवधी साहित्यकार व श्रोता उपस्थित रहे।