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महाकुंभ ने रचा इतिहास : योगी सरकार का अतुल्य प्रयास

-डॉ. सौरभ मालवीय


उत्तर प्रदेश के प्रयाग में आयोजित महाकुंभ सफलतापूर्वक समापन की ओर है। चूंकि उत्तर प्रदेश धार्मिक दृष्टि से अत्यंत समृद्ध राज्य है, इसलिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ धार्मिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। इसके अंतर्गत योगी सरकार ने महाकुंभ के भव्य आयोजन के लिए 6,990 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। उन्होंने महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए संबंधित अधिकारियों को विशेष निर्देश दिए थे।

उल्लेखनीय है कि प्रयागराज में 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा स्नान के साथ कुंभ मेले का शुभारंभ हुआ था तथा 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के अंतिम स्नान के साथ इसका समापन होगा। इस समयावधि में 50 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने स्नान किया। शाही स्नान 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर, 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर, 3 फरवरी को बसंत पंचमी पर, 12 फरवरी को माघी पूर्णिमा पर तथा 26 फरवरी को महाशिवरात्रि पर हुआ। इन विशेष दिनों में श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ अधिक देखी गई।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ सहित देश के लगभग सभी राजनेता, अभिनेता, खिलाड़ी, व्यवसायी आदि संगम में स्नान कर चुके हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संगम में डुबकी लगाई। इसके पश्चात उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि महाकुंभ में आज पवित्र संगम में डुबकी लगाकर मैं भी करोड़ों लोगों की तरह धन्य हुआ। मां गंगा सभी को असीम शांति, बुद्धि, सौहार्द और अच्छा स्वास्थ्य दें।

गृहमंत्री अमित शाह ने संगम में स्नान करने के पश्चात कहा कि कुंभ हमें शांति और सौहार्द का संदेश देता है। कुंभ आपसे यह नहीं पूछता है कि आप धर्म, जाति या संप्रदाय से हैं। यह सभी लोगों को गले लगाता है। इससे पूर्व उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा था कि महाकुंभ’ सनातन संस्कृति की अविरल धारा का अद्वितीय प्रतीक है। कुंभ समरसता पर आधारित हमारे सनातन जीवन-दर्शन को दर्शाता है। आज धर्म नगरी प्रयागराज में एकता और अखंडता के इस महापर्व में संगम स्नान करने और संतजनों का आशीर्वाद लेने के लिए उत्सुक हूं।

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी संगम में दुबकी लगाई। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा-
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरु।।
आज तीर्थराज प्रयागराज में, भारत की शाश्वत आध्यात्मिक विरासत और लोक आस्था के प्रतीक महाकुंभ में स्नान-ध्यान करके स्वयं को कृतार्थ अनुभव कर रहा हूं।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विगत दिसंबर में महाकुंभ के दृष्टिगत प्रयागराज में लगभग 5500 करोड़ रुपये की विभिन्नम विकास परियोजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्याृस किया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह विश्व के सबसे बड़े समागमों में से एक है, जहां 45 दिनों तक चलने वाले महायज्ञ के लिए प्रतिदिन लाखों श्रद्धालुओं का स्वागत किया जाता है और इस अवसर के लिए एक नया नगर बसाया जाता है। प्रयागराज की धरती पर एक नया इतिहास लिखा जा रहा है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि महाकुंभ, देश की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पहचान को नए शिखर पर ले जाएगा। उन्होंने कहा कि एकता के ऐसे महायज्ञ की चर्चा संपूर्ण विश्व में होगी।

भारत को पवित्र स्थलों और तीर्थों की भूमि बताते हुए उन्होंने कहा कि यह गंगा, यमुना, सरस्वती, कावेरी, नर्मदा और कई अन्य असंख्य नदियों की भूमि है। प्रयाग को इन नदियों के संगम, संग्रह, समागम, संयोजन, प्रभाव और शक्ति के रूप में वर्णित करते हुए तथा कई तीर्थ स्थलों के महत्व और उनकी महानता के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि प्रयाग केवल तीन नदियों का संगम नहीं है, अपितु उससे भी कहीं अधिक है। यह एक पवित्र समय होता है जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, तब सभी दिव्य शक्तियां, अमृत, ऋषि और संत प्रयाग में उतरते हैं।

प्रयाग एक ऐसा स्थान है जिसके बिना पुराण अधूरे रह जाएंगे। प्रयाग एक ऐसा स्थान है जिसकी स्तुति वेदों की ऋचाओं में की गई है। प्रयाग एक ऐसा स्थान है, जहां हर कदम पर पवित्र स्थान और पुण्य क्षेत्र हैं। प्रयागराज के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने एक संस्कृत श्लोक पढ़ा और इसे समझाते हुए कहा कि त्रिवेणी का प्रभाव, वेणीमाधव की महिमा, सोमेश्वर का आशीर्वाद, ऋषि भारद्वाज की तपस्थली, भगवान नागराज वसु जी की विशेष भूमि, अक्षयवट की अमरता और ईश्वर की कृपा यही हमारे तीर्थराज प्रयाग को बनाती है। प्रयागराज एक ऐसी जगह है, जहां धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों तत्व उपलब्ध हैं। प्रयागराज केवल एक भूमि का टुकड़ा नहीं है, यह आध्यात्मिकता का अनुभव करने की जगह है।

उन्होंने कहा कि महाकुंभ हमारी आस्था, आध्यात्म और संस्कृति के दिव्य पर्व की विरासत की जीवंत पहचान है। हर बार महाकुंभ धर्म, ज्ञान, भक्ति और कला के दिव्य समागम का प्रतीक होता है। संगम में डुबकी लगाना करोड़ों तीर्थ स्थ लों की यात्रा के बराबर है। पवित्र डुबकी लगाने वाला व्यक्ति अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है। आस्था का यह शाश्वत प्रवाह विभिन्न सम्राटों और राज्यों के शासनकाल, यहां तक कि अंग्रेजों के निरंकुश शासन के दौरान भी कभी नहीं रुका और इसके पीछे प्रमुख कारण यह है कि कुंभ किसी बाहरी ताकतों द्वारा संचालित नहीं होता है।

कुंभ मनुष्य की अंतरात्मा की चेतना का प्रतिनिधित्व करता है, वह चेतना जो भीतर से आती है और भारत के हर कोने से लोगों को संगम के तट पर खींचती है। गांवों, कस्बों, शहरों से लोग प्रयागराज की ओर निकलते हैं और सामूहिकता और जनसमूह की ऐसी शक्ति शायद ही कहीं और देखने को मिलती है। एक बार महाकुंभ में आने के बाद हर कोई एक हो जाता है, चाहे वह संत हो, मुनि हो, ज्ञानी हो या आम आदमी हो और जाति-पंथ का भेद भी खत्म हो जाता है। करोड़ों लोग एक लक्ष्य और एक विचार से जुड़ते हैं।

महाकुंभ के दौरान विभिन्न राज्यों से अलग-अलग भाषा, जाति, विश्वास वाले करोड़ों लोग संगम पर एकत्र होकर एकजुटता का प्रदर्शन करते हैं। यही उनकी मान्यता है कि महाकुंभ एकता का महायज्ञ है, जहां हर तरह के भेदभाव का त्याग किया जाता है और यहां संगम में डुबकी लगाने वाला हर भारतीय एक भारत, श्रेष्ठ भारत की सुंदर तस्वीर पेश करता है।

उन्होंने भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपरा में कुंभ के महत्व पर बल दिया और बताया कि कैसे यह हमेशा से संतों के बीच महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों और चुनौतियों पर गहन विचार-विमर्श का मंच रहा है। उन्होंने कहा कि जब अतीत में आधुनिक संचार के माध्य्म मौजूद नहीं थे, तब कुंभ महत्वपूर्ण सामाजिक परिवर्तनों का आधार बन गया, जहां संत और विद्वान राष्ट्र के कल्याण पर चर्चा करने के लिए एकत्र हुए और वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया, जिससे देश की विचार प्रक्रिया को नई दिशा और ऊर्जा मिली। आज भी कुंभ एक ऐसे मंच के रूप में अपना महत्व बनाए हुए है, जहां इस तरह की चर्चाएं जारी रहती हैं, जो पूरे देश में सकारात्मक संदेश भेजती हैं और राष्ट्रीय कल्याण पर सामूहिक विचारों को प्रेरित करती हैं। भले ही ऐसे समारोहों के नाम, उपलब्धि और मार्ग अलग-अलग हों, लेकिन उद्देश्य और यात्रा एक ही है। कुंभ राष्ट्रीय विमर्श का प्रतीक और भविष्य की प्रगति का एक प्रकाश स्तंभ बना हुआ है।

उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर मौजूदा सरकार के तहत भारत की परंपराओं और आस्था के प्रति गहरा सम्मान है। केंद्र और राज्य दोनों की सरकारें कुंभ में आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाएं प्रदान करना अपनी जिम्मेदारी मानती हैं। सरकार का लक्ष्यक विकास के साथ-साथ भारत की विरासत को समृद्ध करना भी है।

कुंभ सहायक


केंद्र एवं राज्य सरकारों ने महाकुंभ में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं की सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा। कुंभ के लिए पहली बार एआई और चैटबॉट तकनीक के उपयोग को चिह्नित करते हुए ‘कुंभ सहायक’ चैटबॉट का शुभारंभ किया गया, जो ग्यारह भारतीय भाषाओं में संवाद करने में सक्षम है। इससे लोगों को बहुत लाभ हुआ।

कुंभवाणी


उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गत 10 जनवरी को प्रयागराज स्थित सर्किट हाउस से महाकुंभ 2025 को समर्पित आकाशवाणी के विशेष एफएम चैनल‘कुंभवाणी एवं ‘कुंभ मंगल ध्वनि का लोकार्पण किया। उन्होंने कुंभ मंगल ध्वनि का भी लोकार्पण किया। उन्होंने कहा था कि कुम्भवाणी द्वारा प्रसारित आंखों देखा हाल उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभदायक होगा, जो कुंभ में भाग लेने के लिए प्रयागराज नहीं आ सकेंगे। यह इस ऐतिहासिक महाकुंभ के माहौल को देश व दुनिया तक पहुंचाने में सहायक होगा। देश के लोक सेवा प्रसारक प्रसार भारती की ये पहल न केवल भारत में आस्था की ऐतिहासिक परंपरा को बढ़ावा देगी, अपितु श्रद्धालुओं को महत्वपूर्ण जानकारी देगी व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का घर बैठे अनुभव करवाएगी।

उल्लेखनीय है कि योगी सरकर ने महाकुंभ से पूर्व प्रयागराज के ऐतिहासिक मंदिरों का जीर्णोद्धार करवाया। इसके साथ-साथ मंदिरों का नवीनीकरण भी किया गया। इसके अतिरिक्त राज्य में हरित क्षेत्र के विस्तार को बढ़ावा दिया गया। विशेषकर प्रयागराज जिले में सड़कों के किनारे पौधे लगाए गए। यह भी उल्लेखनीय है कि स्वच्छता पर भी विशेष ध्यान दिया गया। क्षेत्रों को पॉलीथिन से मुक्त रखने का भी प्रयास किया गया। इसके अंतर्गत महाकुंभ में सिंगल यूज्ड प्लास्टिक पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया था। मेले में प्राकृतिक उत्पाद जैसे दोना, पत्तल, कुल्हड़ एवं जूट व कपड़े के थैलों के प्रयोग को बढ़ावा दिया गया। योगी सरकार ने श्रद्धालुओं की प्रत्येक सुविधा का ध्यान रखा। इसके अंतर्गत यातावात की भी समुचित व्यवस्था की गई। प्रयागराज आने वाली बसों, रेलगाड़ियों एवं वायुयान की संख्या में वृद्धि की गई। महाकुंभ के लिए रेलवे द्वारा लगभग 1200 रेलगाड़ियां तथा परिवहन विभाग द्वारा सात हजार बसों का संचालन किया गया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं हवाई जहाज से मेला स्थल का निरीक्षण किया। इसलिए यह कहना उचित है कि महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए योगी सरकार बधाई की पात्र है।


(लेखक लखनऊ विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर है और ये उनके निजी विचार हैं)