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धर्मपाल ने भारत के स्‍वत्‍व को पहचानने का कार्य किया : प्रो. हनुमान प्रसाद शुक्‍ल


वर्धा (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के दूर शिक्षा निदेशालय द्वारा श्री धर्मपाल स्‍मृति व्याख्यानमाला के उद्घाटन कार्यक्रम की अध्‍यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्‍ल ने कहा कि धर्मपाल ने भारत के स्‍वत्‍व को पहचानने का महत्‍वपूर्ण कार्य किया। उन्‍होंने जीवन पर्यंत भविष्‍य के भारत को रचने की चिंता की। वे महात्‍मा गांधी के सनातन भारत की अवधारणा के विस्‍तारक थे। उन्‍होंने अनेक महत्‍वपूर्ण कृतियों की रचना कर भारत को समझने की दृष्टि प्रदान की। यह कार्यक्रम गुरूवार, 20 फरवरी को दूर शिक्षा निदेशाल के सभागार में आयोजित किया गया।
इस अवसर पर साहित्‍य विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता प्रो. अवधेश कुमार, मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता प्रो. फरहद मलिक, शिक्षा विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता प्रो. गोपाल कृष्‍ण ठाकुर एवं विधि विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता प्रो. जनार्दन कुमार तिवारी ने धर्मपाल की रचनाओं एवं उनके जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला। प्रो. अवधेश कुमार ने कहा कि धर्मपाल ने भारत की मूल चितंन परंपरा आत्‍मसात की और देशी शिक्षा, सर्वोदय की भावना को लेकर महात्‍मा गांधी का अनुसरण किया।

प्रो. फरहद मलिक ने कहा कि धर्मपाल ने भारतीय शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान परंपरा को जोड़ने का काम किया। प्रो. गोपाल कृष्‍ण ठाकुर ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा को लेकर असत्‍य आधारित मिथकों का सृजन किया गया जिससे भारत के प्राचीन ज्ञान परंपरा के संबंध में सत्‍य सामने नहीं आए। प्रो. जनार्दन कुमार तिवारी ने धर्मपाल की पंचायत राज पर लिखी पुस्‍तक का उल्‍लेख करते हुए कहा कि स्‍वतंत्रता से पहले भी भारत में पंचायत राज व्‍यवस्‍था थी।

स्‍वागत वक्‍तव्‍य और विषय प्रवर्तन करते हुए दूर शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो. आनन्‍द पाटील ने बताया कि युवा पीढ़ी तक धर्मपाल के कार्य को पहुचाने के लिए व्‍याख्‍यानमाला का आयोजन किया जा रहा है। धर्मपाल ने 30 वर्ष से भी अधिक समय तक ब्रिटन और भारत का भ्रमण किया व भारत को जानने, समझने की भारतीय दृष्टि दी। उन्‍होंने कहा कि व्‍याख्‍यानमाला के अंतर्गत प्रति माह एक व्‍याख्‍यान होगा और बारह व्‍याख्‍यानों की श्रृंखला पर एक पुस्‍तक तैयार की जाएगी।
कार्यक्रम का संचालन एसोशिएट प्रोफेसर डॉ. शंभू जोशी ने किया तथा डॉ. अमरेन्‍द्र कुमार शर्मा ने आभार माना। प्रारंभ में पं. मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा एवं श्री धर्मपाल के छायाचित्र पर पुष्‍पांजलि अर्पित की गयी। कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्‍ज्‍वलन एवं कुलगीत से तथा समापन राष्‍ट्रगान से किया गया। कार्यक्रम में अध्यापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी बड़ी संख्‍या में उपस्थित थे।