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बजट में MSME, निर्यात और मध्यम वर्ग पर ध्यान देना स्वागत योग्य कदम : IIA


कर और विनियामक सुधारों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता : नीरज सिंघल

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। आईआईए भवन, विभूति खंड, गोमती नगर में शनिवार को केंद्रीय बजट अवलोकन और चर्चा सत्र आयोजित किया गया। जिसमें 50 से अधिक वरिष्ठ आईआईए पदाधिकारी और विशेषज्ञ भौतिक रूप से और ऑनलाइन उपस्थित रहे। इस सत्र में भाग लेने वाले प्रमुख पदाधिकारियों और विशेषज्ञों में नीरज सिंघल (राष्ट्रीय अध्यक्ष आईआईए), दिनेश गोयल (वरिष्ठ उपाध्यक्ष आईआईए), आलोक अग्रवाल (महासचिव आईआईए), अवधेश अग्रवाल (कोषाध्यक्ष आईआईए), पूर्व अध्यक्ष आईआईए संजय कौल, वीके अग्रवाल और जीसी चतुर्वेदी, मंडल अध्यक्ष राजीव बंसल और अलकेश सोती, संजय कुमार गुप्ता (सदस्य आईआईए) और विषय विशेषज्ञ सीए अशोक सेठ और सीए जतिन श्रीवास्तव आदि शामिल थे।

केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा दिए गए बजट भाषण को सुनने के बाद वरिष्ठ पदाधिकारियों और विशेषज्ञों ने बजट पर चर्चा के साथ ही अपने विचार और प्रतिक्रियाएं साझा की।

आईआईए के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज सिंघल ने कहा कि पिछले बजटों की तुलना में इस बजट में एमएसएमई क्षेत्र पर अधिक ध्यान दिया गया है। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन द्वारा पूर्व में सरकार के समक्ष रखी गई कुछ मांगों को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया गया है, जिसमें एमएसएमई के लिए क्लासिफिकेशन में संशोधन शामिल है। निवेश सीमा को 2.5 गुना और टर्नओवर सीमा को 2 गुना बढ़ाने से निश्चित रूप से एमएसएमई को सरकारी समर्थन और प्रोत्साहन प्राप्त करने में लाभ होगा।

उन्होंने कहा कि सीजीटीएमएसई की सीमा को 5 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10 करोड़ करना भी एक स्वागत योग्य कदम है, यद्यपि आईआईए ने इसे 50 करोड़ रुपये करने की मांग की थी। इसी तरह, आईआईए स्टार्टअप के लिए क्रेडिट गारंटी कवर को 10 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 20 करोड़ करने का भी स्वागत करता है। ऐसे में बजट में मैन्युफैक्चरिंग मिशन और क्लीन टेक मिशन की घोषणा निश्चित रूप से भारत को आने वाले समय में विकसित राष्ट्र का दर्जा दिलाने में सहायक होगी।

हालांकि श्री सिंघल ने कहा कि सरकार एक दशक से कर सुधार और विनियामक सुधारों पर काम कर रही है, लेकिन देश में खासकर एमएसएमई के लिए कारोबार को आसान बनाने के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। ऐसा करने के लिए सरकार को एमएसएमई एसोसिएशनों के साथ और अधिक परामर्श बैठकें करने की आवश्यकता है। 

आईआईए के वरिष्ठ उपाध्यक्ष दिनेश गोयल ने कहा कि पहली बार उद्यमियों को 2 करोड़ रुपये तक का सावधि ऋण देने की योजना की घोषणा से नए सूक्ष्म और लघु उद्यमों को बढ़ावा मिलेगा। श्री गोयल ने कहा कि उद्योगों में कुशल जनशक्ति की अनुपलब्धता अभी भी एक बड़ी समस्या है। इसे देखते हुए कौशल विकास के लिए 5 राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने से निश्चित रूप से स्थिति में सुधार होगा। हालांकि सरकार को देश में मौजूदा कौशल प्रशिक्षण बुनियादी ढांचे के प्रदर्शन की निगरानी करने की आवश्यकता है क्योंकि इसका उद्योगों के साथ बहुत कम संपर्क है। 

आईआईए के महासचिव आलोक अग्रवाल ने फुटवियर और चमड़ा क्षेत्र के लिए फोकस उत्पाद योजना लागू करने की घोषणा का स्वागत किया क्योंकि यह योजना भारत में विनिर्माण को बढ़ावा देने के अलावा रोजगार और निर्यात में काफी वृद्धि करेगी। श्री अग्रवाल ने कहा कि भारत घरेलू खपत के अलावा खिलौनों का बड़ा निर्यातक भी हो सकता है। आज की तारीख में चीन इस क्षेत्र में अग्रणी है और भारत चीन से अच्छी प्रतिस्पर्धा कर सकता है। ऐसे में खिलौना क्षेत्र के लिए घोषित उपाय एमएसएमई के नजरिए से विशेष रूप से स्वागत योग्य कदम है। 

आईआईए के कोषाध्यक्ष अवधेश अग्रवाल ने कहा कि 12.75 लाख रुपये तक की आयकर छूट निश्चित रूप से एमएसएमई क्षेत्र में मांग और विनिर्माण गतिविधियों को बढ़ावा देगी। श्री अग्रवाल ने कहा कि निर्यात संवर्धन मिशन की स्थापना और निर्यात ऋण तक आसान पहुंच की सुविधा से भी एमएसएमई को मदद मिलेगी।

आईआईए के पूर्व अध्यक्ष संजय कौल ने कहाकि हालांकि वित्त मंत्री ने एमएसई के लिए ऋण गारंटी में वृद्धि की घोषणा की है, फिर भी बैंकों के लिए इसका सम्मान करना अनिवार्य नहीं है। जमीनी स्तर पर, बैंक अभी भी 10 लाख रुपये से अधिक की राशि होने पर कोलेटरल सिक्यूरिटी  की मांग करते हैं। हालांकि उन्होंने 5 लाख रुपये की सीमा के साथ सूक्ष्म उद्यमों के लिए क्रेडिट कार्ड शुरू करने की घोषणा का स्वागत किया। श्री कौल ने कहा कि एमएसएमई के विलंबित भुगतान का मुद्दा अभी भी अनसुलझा है क्योंकि सरकारी संस्थान व्यावहारिक रूप से इस संबंध में आयकर कानून से बाहर हैं क्योंकि वे शायद ही अपनी बैलेंस शीट दाखिल करते हैं। निजी क्षेत्रों में भी कानून आंशिक रूप से लागू किया जाता है, इसलिए एमएसएमई को ज्यादा राहत नहीं मिलती। 

आईआईए के पूर्व अध्यक्ष जीसी चतुर्वेदी ने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए ब्याज आय पर टीडीएस सीमा 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये करना एक स्वागत योग्य कदम है। सीए जतिन श्रीवास्तव ने कहा कि इस बजट में विनिर्माण और पर्यटन पर ध्यान केंद्रित करने से निश्चित रूप से देश में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार के हालिया प्रयासों के परिणाम दिखने शुरू हो गए हैं। इसी तरह भारत में मेडिकल टूरिज्म की भी अपार संभावनाएं हैं, जिसके लिए वित्त मंत्री ने इस क्षेत्र को बढ़ावा देने की योजनाओं की घोषणा की है। इस बजट में राजकोषीय घाटे के अनुमान को घटाकर जीडीपी का 4.4% करना स्वागत योग्य संकेत है। 

सी.ए अशोक सेठ ने कहा कि 2047 तक कम से कम 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करना, परमाणु ऊर्जा मिशन की स्थापना करना और इस क्षेत्र में निजी निवेश को अनुमति देना विद्युत ऊर्जा की बढ़ती मांग को पूरा करने के साथ-साथ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को भी आमंत्रित करेगा। भारत में बिजली की ऊंची दरें अभी भी चिंता का विषय हैं। श्री सेठ ने कहा कि इस मिशन से उम्मीद है कि बिजली की दरें भी कम होंगी।