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दादा साहब फाल्के अवॉर्ड के नाम पर धोखाधड़ी का किया खुलासा

मुंबई (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। अंधेरी वेस्ट स्थित रहेजा क्लासिक क्लब में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दादा साहब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (DPIFF) के नाम पर चल रहे फर्जीवाड़े का बड़ा खुलासा हुआ। अनिल मिश्रा और उनके सहयोगियों पर आरोप है कि उन्होंने भारतीय सिनेमा के जनक दादा साहब फाल्के की विरासत का दुरुपयोग कर मशहूर हस्तियों, प्रभावशाली व्यक्तियों और फिल्म इंडस्ट्री के पेशेवरों को धोखा दिया।

पेश किए गए आरोप और सबूत

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कानूनी विशेषज्ञों, राजनीतिक प्रतिनिधियों और उद्योग के महत्वपूर्ण लोगों ने हिस्सा लिया। आरोपों में सरकारी अधिकारियों की नकल, जालसाजी और गलत वादों के जरिए धन वसूली के मामले सामने आए।

अनिल मिश्रा और उनके सहयोगियों पर लगे मुख्य आरोप

1. छल और धोखाधड़ी : प्रमुख नेताओं जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नाम का झूठा इस्तेमाल कर सरकारी समर्थन का भ्रम पैदा करना।

2. आर्थिक धोखाधड़ी : हस्तियों और संस्थानों से झूठे वादों के जरिए धन वसूलना।

3. भ्रामक दावे : केंद्रीय मंत्रालयों और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों से संबंध होने का झूठा दावा करना।

4. जालसाजी और पहचान की चोरी : फर्जी दस्तावेज और डिजिटल धोखाधड़ी के माध्यम से हितधारकों को गुमराह करना।

5. हितों का टकराव : सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) के पद का दुरुपयोग कर लोगों को जबरदस्ती इसमें शामिल करना।

इन पर लगाए आरोप

अनिल मिश्रा (DPIFF अध्यक्ष), श्रीमती पार्वती मिश्रा (उपाध्यक्ष), अभिषेक मिश्रा (सीईओ), और श्वेता मिश्रा (कानूनी व जनसंपर्क निदेशक)।

शिकायतकर्ताओं असलम शेख और शकील पटनी का प्रतिनिधित्व कर रहीं अधिवक्ता यासमीन वानखेड़े ने अंबोली पुलिस स्टेशन में दर्ज शिकायत के आधार पर तत्काल कानूनी कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ धोखाधड़ी का मामला नहीं है, बल्कि भारतीय सिनेमा की विरासत और जनता के विश्वास का उल्लंघन है। सख्त धाराओं और आईटी एक्ट के तहत कार्रवाई होनी चाहिए।”

महाराष्ट्र बीजेपी चित्रपट कामगार सेना के अध्यक्ष समीर दीक्षित ने कहा, “दादा साहब फाल्के जैसे सांस्कृतिक प्रतीक और सरकारी नेताओं के नाम का दुरुपयोग भारतीय सिनेमा की गरिमा का अपमान है। इस मामले में न्याय सुनिश्चित किया जाएगा।”

बीजेपी सचिव, महाराष्ट्र चित्रपट कामगार सेना की निकिता घाग ने कहा, “यह घटना हमें याद दिलाती है कि किसी भी कार्यक्रम की प्रामाणिकता को सत्यापित करना कितना महत्वपूर्ण है। हमें अपने सिनेमा की विरासत को सुरक्षित रखना होगा।”