- मुख्यमंत्री ने उत्तरायणी कौथिक 2025 मेले में की शिरकत
- सीएम ने नामचीन विभूतियों का नाम लेकर कहा- इन्होंने बढ़ाया उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश व देश का गौरव
- आज का दिन महत्वपूर्ण, एक वर्ष पहले श्रीरामलला फिर से अपने धाम में हुए थे विराजमानः योगी
- ध्येय एक ही है-भारत को मजबूत बनाना : मुख्यमंत्री
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लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश व देश के विकास में पर्वतीय समाज की बड़ी भूमिका है। महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री पं. गोविंद वल्लभ पंत उत्तराखंड में पैदा हुए थे। वे देश के गृह मंत्री बने और उन्हें भारत रत्न से सम्मानित भी किया गया। स्व. हेमवती नंदन बहुगुणा भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। वे भी उत्तराखंड से उत्तर प्रदेश में आए। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री व केंद्रीय मंत्री के रूप में सेवा की।
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उन्होंने कहा कि नारायण दत्त तिवारी भी उत्तराखंड की देन हैं, जिन्होंने यूपी व उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में विकास का विजन दिया था। देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, द्वितीय सीडीएस और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी उत्तराखंड की देन हैं। ऐसी अनेक विभूतियों और देश की सुरक्षा के लिए जवानी लगाने वाले अनेक बहादुर नौजवान भी उत्तराखंड की देन हैं।
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पर्वतीय महापरिषद द्वारा गोमा तट पर आयोजित दस दिवसीय उत्तरायणी कौथिग 2025 के नौवें दिन बुधवार को पहुंचे सीएम ने कहा कि इस कार्यक्रम में आकर मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं। अपनी परंपरा व संस्कृति को बनाए रखने के लिए उन्होंने पर्वतीय महापरिषद को साधुवाद दिया।
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मुख्य संयोजक टीएस मनराल, संयोजक केएन चन्दोला, पर्वतीय महापरिषद के अध्यक्ष गणेश चंद्र जोशी, महासचिव महेंद्र सिंह रावत, मेला समन्वयक नरेंद्र सिंह देवड़ी, मोहन सिंह बिष्ट, लाबीर सिंह बिष्ट, केएन पाण्डेय ने पुष्पगुच्छ, शॉल, स्मृति चिन्ह भेंटकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का स्वागत किया।
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सम-विषम परिस्थितियों में भी उल्लास से आयोजित होता है पर्व
मुख्यमंत्री ने कहा कि लखनऊ, बरेली, गाजियाबाद, मेरठ व अन्य क्षेत्रों में निवास करने वाले लोग सम-विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए भी अपने विरासत और पर्व को उल्लास से आयोजित करते हैं। पर्वतीय महापरिषद पिछले दो दशक से अधिक से यह कार्यक्रम कर रही है। यहां सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ अनेक प्रतियोगिताएं भी होती हैं।
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विरासत को हम विस्मृत नहीं कर सकते
सीएम ने कहा कि देश व समाज के लिए कुछ करने वाले पर्वतीय समाज की विभूतियों को सम्मानित भी किया जाता है। इस बार भगत सिंह कोश्यारी का सम्मान किया गया है। उन्होंने उप्र में भी काम किया। मुख्यमंत्री व राज्यपाल के रूप में भी उनके पास काम करने का अनुभव है। वे सहजता और सरलता के लिए जाने जाते हैं। उनका पूरा जीवन मातृभूमि के लिए समर्पित रहा। सीएम ने कहा कि हम अपनी विरासत को विस्मृत नहीं कर सकते, इसलिए सैनिकों व शहीद परिवारों को भी सम्मानित किया गया। उन्होंने कहा कि एक तरफ हम पर्व व त्योहारों के माध्यम से सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाते हैं तो दूसरी तरफ अमर शहीदों का स्मरण करते हुए महापुरुषों की जयंती या अन्य विशिष्ट घटना को केंद्र में रखकर आयोजनों के साथ जुड़ते हैं।
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लोककथाओं, लोकगाथाओं, लोकसंस्कृति से होता है वृहद भारत का दर्शन
सीएम ने कहा कि आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। एक वर्ष पूर्व 22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री के करकमलों से अयोध्या में प्रभु रामलला फिर से अपनी जन्मभूमि पर विराजमान हुए थे। यह भी विरासत की परंपरा है। भगवान राम की विरासत 500 वर्ष बाद अयोध्या में विराजमान हो पाई। आपकी लोकगाथा, लोक परंपरा, लोक साहित्य, लोकगायन, लोक संस्कृति उसी विरासत को आगे बढ़ाती है। सीएम ने कहा कि ध्येय एक ही है-भारत को मजबूत बनाना। एक भारत-श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना को साकार करना। एक भारत-श्रेष्ठ भारत लोकगायन, लोकसंस्कृति, लोककथाओं, लोकगाथाओं के प्रवाह के साथ निकलता है, जिसका दर्शन हम वृहद भारत के रूप में करते हैं।
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इस अवसर पर कैबिनैट मंत्री सुरेश खन्ना, महापौर सुषमा खर्कवाल, पर्वतीय महापरिषद के अध्यक्ष गणेश चंद जोशी, उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट, महासचिव महेंद्र सिंह रावत, मेला समन्वयक नरेंद्र सिंह देवड़ी, मीडिया प्रभारी हेमंत सिंह गड़िया, पार्षद प्रमोद सिंह आदि मौजूद रहे।