लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। गंगा में स्नान करने से पाप का नाश होता है। यमुना पुण्य प्रदान करती है और सरस्वती के जल से प्रारब्ध कटता है। कथा का श्रवण मात्र भगवान को हृदय में विराजित कर देता है। कथा सुनने का मन बनाने से ही श्रीकृष्ण उसके हृदय में विराजमान हो जाते है जैसे द्वारिकाधीश में मीरा समा गयी थी। डीएवी कॉलेज परिसर ऐशबाग में चल रही श्रीमद् भागवत राधारमण कथा के तीसरे दिन मंगलवार को पुण्डरीक गोस्वामी जी महाराज ने भगवान की भक्ति और आत्मज्ञान का महत्व बताया।
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उन्होंने कहाकि कथा में भगवान चित पर विराजमान होते है। कई बार हमें बोध नहीं होता है कि हमारे चित में भगवान है जिस दिन यह मालूम हो जाता है उस दिन से प्रेम ही बदल जाता है। सबसे पहले भगवान कान में आते है, उसके बाद अनुभव में, उसके बाद बुद्धि में, फिर मन में, फिर स्वभाव में, अनुभूति में फिर हृदय चित में प्रवेश करते है।
कथा व्यास ने कहा कि जब हम योग साधना करते है तब काम, क्रोध, भय आदि से मुक्ति मिल जाती है। जिस तरह समुद्र में ऊपरी सतह पर लहर होती है अंदर नही, उसी प्रकार जब आपको आत्म ज्ञान हो जाता है तो काम क्रोध से मुक्ति मिल जाती है।
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कथा में पूरा पंडाल राधामय भजनों से गुंजायमान होता रहा। इस मौके पर विधान परिषद सदस्य मुकेश शर्मा, आयोजक अमरनाथ मिश्र, आरएन सिंह, राजेंद्र कुमार अग्रवाल, लोकेश अग्रवाल, नवीन गुप्ता, शिवम बंसल, आनन्द रस्तोगी, राहुल गुप्ता, सुनील मिश्र, मनोज राय, कुश मिश्रा, अनुराग मिश्र, चारू मिश्रा, हनी शुक्ला, सिद्धार्थ दीक्षित, आदित्य अग्रवाल सहित काफी संख्या में भक्त मौजूद रहे।