पुस्तक समीक्षा/ योगेन्द्र द्विवेदी
हम जिस भाषा में भी बात करें, जिस तरह की बात होगी वैसी ही भाव-भंगिमाएं हमारे चेहरे पर आएंगी। हमारी आंगिक मुद्राएं भी भाषा को सम्प्रेषक्षित करेंगी। जब फेस एक्सप्रेशन और बॉडी लेंग्वेज भाषा के साथ इतना न्याय करते हैं तो शब्द और वाक्य न्यास में भी ये तासीर होना ज़रूरी है। भाषा के शब्दों और वाक्यों के भावों को सुन्दरता के साथ पेश करना ही बड़ी भाषाई कारीगिरी होती है। लेंग्वेज भी संगीत की तरह विषय अनुरूप उतार-चढ़ाव, आरोह-अवरोह, तीव्रता और कोमलता का सृजन मांगती है। इस हुनर को सीखने के लिए किसी टीचर, मार्गदर्शक, संगी-साथी,इंस्टीट्यूट या वीडियो सिरीज़ से लोग जुड़ते रहे हैं। लेकिन ये पहला मौक़ा है जब शब्द चयन और उसके क़रीने को अंग्रेजी ग्रामर की शुद्धता से सजाने का हुनर सिखाने के लिए एक किताब टीचर बन कर पेश हई है। यानी शब्दों की दुनियां की बात शब्दों से ही की गई है। इस किताब की लेखिका ने भाषाई ब्यूटीशियन की तरह भाषा को दुल्हन की तरह सजाने के टिप्स दिए हैं।

“मास्टरिंग ट्रांसफार्मेशन” नाम की ये पुस्तक छात्रों और अंग्रेजी भाषा प्रेमियों के लिए बेहद उपयोगी है। अपने शीर्षक के अनुरूप -महारत हासिल करना, उच्च स्तर का कौशल या विशेषज्ञता प्राप्त करने का मार्गदर्शन कराने वाली इस पुस्तक के वरक एक शिक्षक की तरह आपको उच्च कोटि की भाषा की दक्षता का अभ्यास कराते हैं। वक्ता के तौर पर आपको तक़रीर करनी हो या तहरीर लिखनी हो, पत्र, निबंध, भाषण, कविता, नाटक, उपन्यास, आमंत्रण, शोक संदेश, शुभ संदेश, शुभकामनाएं कहानी या लेख लिखना हो। ये पुस्तक आपको भाषा का सौंदर्य सिखाएगी। अभिव्यक्ति को शब्दों से सजाने का सलीका बताएगी।
प्रियंका पाठक ने कम उम्र में ऐसी अद्भुत पुस्तक लिखकर एक लेखिका के साथ एक टीचर या गाइड की दोहरी भूमिका निभाई है। “मास्टरिंग ट्रांसफार्मेशन ऑफ सेंटेस” Amazon पर आसानी से उपलब्ध है। अद्भुत विषय-वस्तु के कारण भारत के अतिरिक्त विदेशी पाठकों ने भी इस पुस्तक में दिलचस्पी दिखाना शुरू कर दी है।
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