पुस्तक समीक्षा/ योगेन्द्र द्विवेदी हम जिस भाषा में भी बात करें, जिस तरह की बात होगी वैसी ही भाव-भंगिमाएं हमारे चेहरे पर आएंगी। हमारी आंगिक मुद्राएं भी भाषा को सम्प्रेषक्षित करेंगी। जब फेस एक्सप्रेशन और बॉडी लेंग्वेज भाषा के साथ इतना न्याय करते हैं तो शब्द और वाक्य न्यास में …
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