- दुर्लभ सर्जरी द्वारा 14 वर्ष बाद खोले जुड़े हुए जबड़े, पहली बार युवक ने खाया खाना
- डॉक्टरों ने युवक के 14 वर्षों से बंद जबड़े की कार्य और भोजन करने की क्षमता को किया बहाल
लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। अपोलोमेडिक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, लखनऊ में एक दुर्लभ और जटिल सर्जरी द्वारा 14 साल से बंद पड़े जबड़े को खोलकर मरीज को एक नई जिंदगी दी। बचपन की चोट के कारण रोगी का मुंह 5-6 साल की उम्र से ही पूरी तरह बंद था और उसके जबड़े आपस में जुड़ से गए थे। जिस कारण रोगी पिछले 14 वर्षों से न ही खाना खा पा रहा था और न ही सही ढंग से कुछ बोल पा रहा था।
यह चुनौतीपूर्ण सर्जरी अस्पताल के प्लास्टिक, कॉस्मेटिक और पुनर्निर्माण सर्जरी विभाग के डायरेक्टर और प्रमुख डॉ. सुमित मल्होत्रा और प्लास्टिक सर्जरी कंसल्टेंट डॉ. सौरभ मोहिंद्रू की टीम ने की।
डॉक्टर सुमित मल्होत्रा ने इस मामले के बारे में बताते हुए कहा, “संत कबीर नगर, उत्तर प्रदेश के रहने वाले 19 वर्षीय आदित्य पिछले 14 वर्षों से बंद जबड़े के साथ हमारे अस्पताल आए थे। जो पिछले 14 वर्षों से कोई ठोस भोजन नहीं खा पा रहे थे और पूरी तरह से तरल आहार पर थे। इसने उनके विकास और बोलने की क्षमता को भी गंभीर रूप से प्रभावित किया। रोगी ने बहुत से अस्पतालों में दिखाया लेकिन उसे कोई संतोषजनक उपचार नहीं मिल सका।
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उन्होंने बताया कि यह मरीज डेंटल साइंसेज विभाग में आया। जांच में पाया गया कि बचपन में लगी चोट के कारण उसका टेम्पोरल मैंडिबल जॉइंट (Temporal Mandible Joint) क्षतिग्रस्त हो गया था, जिसके चलते जबड़ा पूरी तरह से बंद हो गया था। इसके बाद मरीज को प्लास्टिक सर्जरी विभाग में रेफर किया गया, जहां हमारी टीम ने अत्याधुनिक ‘मसल फ्लैप’ तकनीक का उपयोग करके इस बंद जोड़ का उपचार किया। इस तकनीक द्वारा जबड़े की नसों में सक्रिय रक्त आपूर्ति के साथ मांसपेशियों को जोड़कर यह सुनिश्चित किया गया कि जबड़े का जोड़ फिर से न जुड़ने पाए।
यह प्रक्रिया, जो उत्तर भारत में बहुत ही कम होती है, एक अत्यंत जटिल सर्जरी है। डॉ. मल्होत्रा ने बताया, “हमारी तकनीक ने सुनिश्चित किया कि मरीज का जबड़ा सामान्य रूप से कार्य करे और भविष्य में इसमें कोई जटिलता न पैदा हो।”
डॉ. सौरभ मोहिंद्रू ने कहा, “सर्जरी के बाद, मरीज 14 वर्षों में पहली बार ठोस भोजन जैसे रोटी आदि खाने में सक्षम हुआ। सर्जरी से उसकी मुंह खोलने की क्षमता काफी बेहतर हुई है, जिससे भोजन और बोलने जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में सुधार हुआ है। ऐसी सर्जरी में टीम वर्क, सटीकता और विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है और हमें प्रसन्नता है कि हम सब कुछ एक साथ संयोजित कर मरीज की सामान्य जिंदगी बहाल करने में सफल हुए।”
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डॉ. अमिता अग्रवाल (एचओडी, डेंटल साइंसेज) ने कहा, “इन मामलों में रिकवरी प्रक्रिया में 2-3 सप्ताह की फिजियोथेरेपी आवश्यक होती है। शुरुआत में मरीज को मुंह खोलने में असुविधा या हिचकिचाहट हो सकती है, लेकिन नियमित अभ्यास से लचीलापन और ताकत पूरी तरह से वापस आ जाएगी और उनका जबड़ा पहले की तरह सामान्य रूप से कार्य कर पायेगा ।
डॉ. मयंक सोमानी (एमडी और सीईओ, अपोलोमेडिक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल) ने कहा, “यह सर्जरी केवल एक चिकित्सकीय सफलता नहीं है, बल्कि मरीज के लिए जीवन को बेहतर बनाने वाला एक अनुभव है। इससे न केवल उसकी कार्यक्षमता बल्कि आत्मविश्वास भी वापस आया है, जिससे वह एक सामान्य जीवन जीने में सक्षम हुआ है। सर्जरी के बाद जब मरीज ने पहली बार भोजन का स्वाद चखा, तो यह उसके और उसके परिवार के लिए बहुत भावुक क्षण था। यह हमारी टीम की एक बड़ी उपलब्धि है।यह केस हमारे द्वारा मरीजों की पूरी देखभाल और इलाज में नई तकनीकों के प्रयोग के हमारे प्रयासों का उदाहरण है।”