Thursday , January 9 2025

लोक भाषाओं पर चर्चा संग दो दिवसीय लोक विमर्श का आगाज

  • समाज को जीवनी शक्ति देता है लोक साहित्य : पद्मश्री विद्याविन्दु सिंह

  • पहले दिन बुंदेली, कन्नौजी और कुमाऊँनी पर चर्चा
  • डा. करुणा पाण्डे की कृति कुमाऊँ के गीत का लोकार्पण

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। लोक भाषाओं पर चर्चा के साथ बुधवार को दो दिवसीय लोक विमर्श की शुरुआत हुई। अलीगंज में चल रहे यूपी महोत्सव परिसर में लोक संस्कृति शोध संस्थान द्वारा आयोजित कार्यक्रम के पहले दिन वक्ताओं ने बुंदेली, कन्नौजी और कुमाऊँनी भाषा, वहां के साहित्य और लोक जीवन पर चर्चा की।

वरिष्ठ साहित्यकार पद्मश्री डा. विद्याविन्दु सिंह, लोकविद डा. रामबहादुर मिश्र, कुमाऊँ कोकिला विमल पन्त, मुनालश्री विक्रम बिष्ट व अन्य गणमान्य महानुभावों की उपस्थिति में बुन्देली लोक साहित्य अध्येता महेन्द्र भीष्म, कन्नौजी विशेषज्ञ डा. अपूर्वा अवस्थी, कुमाऊँनी विशेषज्ञ डा. करुणा पाण्डेय ने अपने विचार रखे। इस अवसर पर साहित्यकार डा. करुणा पाण्डेय की कृति कुमाऊँ के गीत का लोकार्पण और लोक चौपाल प्रभारी अर्चना गुप्ता के संचालन में अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए।

पद्मश्री डा. विद्या विन्दु सिंह ने कहा कि लोक साहित्य समाज को जीवनी शक्ति देने का कार्य करता है। यह श्रुति परम्परा के माध्यम से पीढ़ियों में हस्तांतरित होती है। डा. करुणा पांडे ने पर्वतीय अंचल के लोक वैशिष्ट्य को रेखांकित करते हुए इसे सर्वसमावेशी बताया।

महेन्द्र भीष्म ने कहा कि बुंदेली लोकजीवन में स्वाभिमान सर्वोपरि है और इसके साहित्य में शौर्य को विशेष स्थान मिला है। डा. अपूर्वा अवस्थी ने कन्नौजी लोक संस्कृति को धर्मप्राण बताते हुए उसके समृद्ध लोक विरासत पर विस्तार से चर्चा की। डा. संगीता शुक्ला ने कुमाऊं के गीत पुस्तक पर चर्चा की वहीं वरिष्ठ लोक गायिका विमल पन्त ने पारम्परिक कुमाऊंनी गीत सुनाया। रीता पाण्डेय ने पग पग लिए जाऊं तोहरी बलइया तथा उदीयमान गायिका राशी श्रीवास्तव ने कान्हा आन पड़ी मैं तेरे द्वार की प्रस्तुति दी।

कार्यक्रम में अनिल पाण्डे, मीरा दीक्षित, वरिष्ठ लोक गायिका ऋचा जोशी, संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी, आशीष गुप्ता, सुनील अग्रवाल, नीरा मिश्रा, आभा शुक्ला, सरिता अग्रवाल, शारदा शुक्ला, सोनल ठाकुर, विश्वम्भर अवस्थी, कैप्टन प्रखर गुप्त, नैमिष सोनी, राजनारायन वर्मा, पूनम माथुर, सर्वेश माथुर, अंबुज अग्रवाल, रागिनी अग्रवाल, हर्षिका जायसवाल, देवेश्वरी पंवार, ललिता श्रीवास्तव, भूषण अग्रवाल, अखिलेश द्विवेदी, किरन यादव, दानवीर सिंह, आशुतोष राय, एसके गोपाल सहित अन्य उपस्थित रहे। गुरुवार को लोक विमर्श में अवधी और भोजपुरी लोक भाषाओं पर चर्चा, संस्थान के वार्षिक सम्मान का वितरण और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।