लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। सशस्त्र सीमा बल, सीमांत मुख्यालय, लखनऊ के प्रांगण में रत्न संजय (भा.पु.से.) महानिरीक्षक की अध्यक्षता में बल के 61वें वर्षगांठ समारोह का आयोजन किया गया।
सर्वप्रथम महानिरीक्षक को गार्ड ऑफ़ ऑनर से सम्मानित किया गया। तत्पश्चात रत्न संजय (भा.पु.से.) महानिरीक्षक ने प्रांगण में उपस्थित सभी बल के सदस्यों एवं उनके परिजनों को 61वें स्थापना दिवस की बधाई देते हुए उनका अभिवादन किया। साथ ही विशिष्ट अतिथि के तौर आमंत्रित किये गए सेठ M.R जयपुरिया स्कूल के छात्रों एवं अध्यापकों का आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम के दौरान सीमांत मुख्यालय के पाइप एवं ब्रास बैंड टीम के द्वारा मनमोहक प्रस्तुति दी गयी। वहीं 61वें स्थापना दिवस एवं सीमा सुरक्षा के परिदृश्य, बल की कार्यशैली, सीमा प्रबंधन नीति और विभिन्न गतिविधियों से सम्बंधित जानकारी साझा की।
महानिरीक्षक ने सीमांत मुख्यालय, लखनऊ के अंतर्गत पदस्थापित अधिकारियों, अधीनस्थ अधिकारियों एवं जवानों के उनकी अनुकर्णीय सेवाओं एवं उल्लेखनीय योगदान हेतु सीमांत लखनऊ के अधिकारियों एवं कार्मिकों को महानिदेशक बल मुख्यालय नयी दिल्ली एवं महानिरीक्षक द्वारा प्रदत्त पदकों से सम्मानित किया। विशिष्ट अतिथि के तौर पर आमंत्रित किये गए सेठ M.R जयपुरिया स्कूल के छात्रों एवं अध्यापकों से सवाल जवाव कर बल के बारे में अवगत कराया गया।
महानिरीक्षक ने सशस्त्र सीमा बल के स्वर्णिम इतिहास के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सन् 1963 में भारत-चीन युद्ध के बाद सशस्त्र सीमा बल की स्थापना की गयी थी। भारत-चीन युद्ध के परिणामस्वरूप अस्तित्व में आये, इस बल ने अपने पुराने दायित्व में राष्ट्र की सुरक्षा के विभिन्न आयामों में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है। उस दौर में बल का मुख्य लक्ष्य अपने सामाजिक कार्यों से सरहदी आबादी का भरोसा जीतना और उनमें देशभक्ति की भावना का सृजन कर राष्ट्र की मुख्य धारा में शामिल करना था। सीमांत क्षेत्र के आम नागरिकों को राष्ट्र की सुरक्षा का सहभागी बनाना बल की सबसे बड़ी उपलब्धि रही है।
उन्होंने बताया कि कारगिल युद्ध के पश्चात वर्ष 2001 में सीमा रक्षक बल के रूप में हमें 1751 किलोमीटर लम्बी और खुली भारत-नेपाल सीमा की रक्षा का दायित्व सौंपा गया। भारत सरकार ने सन् 2003 में बल की नई भूमिका के अनुरूप इसका नामांकरण ‘स्पेशल सर्विस ब्यूरो’ से बदलकर ‘सशस्त्र सीमा बल’ कर दिया।
बल को सन् 2004 में 699 किलोमीटर लम्बी भारत-भूटान सीमा की रक्षा का दायित्व भी सौंप दिया गया। बल द्वारा राष्ट्र को दी गई गौरवपूर्ण सेवाओं को मान्यता प्रदान करते हुए वर्ष 2004 में बल को President Colour से अलंकृत किया गया। तब से लेकर आज तक सशस्त्र सीमा बल ने स्वयं को एक अनुशासित, प्रगतिशील एवं प्रोफेशनल बॉर्डर गार्डिंग फ़ोर्स के रूप में सुस्थापित किया है।
महानिरीक्षक ने कहाकि सशस्त्र सीमा बल के 6 सीमांत मुख्यालयों में हमारे सीमांत लखनऊ का एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। सीमांत मुख्यालय, लखनऊ भारत नेपाल सीमा पर लगी 498 किलोमीटर लंबी सीमा की सुरक्षा में हमारी 10 वाहिनियाँ एवं 1 रिज़र्व वाहिनी, 2 क्षेत्रक मुख्यालय, प्रशिक्षु प्रशिक्षण केंद्र एवं संयुक्त चिकित्सालय आज अपनी सेवाओं के द्वारा सीमा सुरक्षा में उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं। इसके अतिरिक्त एक क्षेत्रक मुख्यालय (विशेष प्रचालन), भिलाई एवं इसके अंतर्गत आने वाली दो वाहिनियां 28 व 33 के द्वारा नक्सलवाद से प्रभावित 95 किलोमीटर लम्बी रावघाट रेल परियोजना की सुरक्षा का दायित्व बखूबी निभा रहें हैं।
उन्होंने कहा कि आज यह क्षण हम सब के लिए एक गौरवशाली क्षण है। इस गौरवशाली क्षण में हम सब मिलकर यह प्रण लेते हैं कि हम अपने दायित्वों का निर्वहन पूर्ण जिम्मेदारी एवं ईमानदारी से करेंगे। अंत में महानिरीक्षक ने इस विश्वास के साथ कार्यक्रम का समापन किया कि हम सभी अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए बल के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते रहेंगे।