- हासिल की बड़ी सर्जिकल सफलता, मरीज के लिवर से निकाला फुटबॉल के आकार का ट्यूमर
लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। अपोलोमेडिक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने एक जटिल सर्जरी में बड़ी उपलब्धि दर्ज की है। अस्पताल के डॉक्टरों ने मरीज के लिवर से फुटबॉल के आकार का करीब 3 किलोग्राम का न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर सफलतापूर्वक निकाल दिया। डॉ. आशीष मिश्रा (सीनियर कंसल्टेंट, लिवर ट्रांसप्लांट एवं एचपीबी सर्जन) की अगुवाई में एक लंबी और कठिन सर्जरी के दौरान मरीज के शरीर से चार ट्यूमर हटाए गए।
डॉ. आशीष मिश्रा ने बताया, “जटिल और दुर्लभ सर्जरी के जरिए निकाले गए ट्यूमर्स में यह ट्यूमर देश और प्रदेश में सबसे बड़े ट्यूमर्स में से एक है। यह न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर्स में से भी सबसे बड़ा ट्यूमर माना जाता है। इस ट्यूमर का आकार इतना बड़ा होने का कारण यह है कि ऐसे ट्यूमर्स में लक्षण बहुत देर से दिखते हैं। इस मरीज़ में लक्षण दिखने के बाद भी वह लंबे समय तक विभिन्न अस्पतालों में इलाज के लिए जाता रहा। मरीज़ की जान को इस ट्यूमर से बड़ा खतरा था, क्योंकि अगर और इंतजार किया जाता तो ट्यूमर और फैल सकता था, जिससे ऑपरेशन असंभव हो जाता।”
रोगी पिछले दो सालों से विभिन्न अस्पतालों का दौरा कर चुके थे, लेकिन ट्यूमर के आकार और जटिलता के कारण उन्हें इलाज नहीं मिल पाया था। पहले, रोगी को रेक्टम में 2 सेंटीमीटर का न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर था, जो बाद में लिवर में फैल गया, जिसके परिणामस्वरूप तीन बड़े ट्यूमर बन गए। इनमें से एक ट्यूमर का आकार 27-28 सेंटीमीटर था।
न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर बेहद दुर्लभ हैं। ये ट्यूमर शरीर के हार्मोन बनाने वाली कोशिकाओं में विकसित होते हैं और इन्हें पहचानना मुश्किल होता है। आमतौर पर, हजार लोगों में से केवल एक या दो लोगों को ही यह बीमारी होती है।
वैसे तो, यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन यह 40-50 साल से अधिक उम्र के लोगों में होने की संभावना अधिक होती है। इस मामले में खास बात यह भी थी कि रोगी का शराब, धूम्रपान या तंबाकू का सेवन जैसे कोई भी सामान्य कैंसर जोखिम कारक इतिहास नहीं था।
इतना बड़ा ट्यूमर होने के कारण यह आसपास के अंगों जैसे किडनी, पेट और अंतड़ियों पर दबाव डाल रहा था। इससे मरीज़ को खाने में बहुत दिक्कत हो रही थी, पेट में दर्द रहता था और पेट में फुटबॉल के आकार जैसा ट्यूमर महसूस हो रहा था। इस ट्यूमर के बड़ा होने की मुख्य वजह इसका रेक्टम में होना था, जो फैलकर धीरे-धीरे बड़ा होता जा रहा था और लिवर में पहुंच गया था। यदि यह ट्यूमर बढ़ता रहता, तो पूरे लिवर में फैल सकता था, जिससे लिवर फेल होने का खतरा बढ़ जाता और इसके इलाज के लिए लिवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती। इतना बड़ा ट्यूमर होने के कारण आसपास के अंगों को भी नुकसान हुआ था। इसके बारे में इतनी देर से पता चला क्योंकि इस ट्यूमर के लक्षण बहुत बड़े आकार में होने पर ही दिखते हैं।
डॉ. आशीष मिश्रा की टीम ने एक ही सर्जरी में सभी चार ट्यूमर हटा दिए, जो इस प्रकार के मामलों में आमतौर पर दो अलग-अलग सर्जरी की आवश्यकता होती है। इस सफलता को अपोलोमेडिक्स के लिए एक बड़ा मील का पत्थर माना जा रहा है, जो अब उन्नत चिकित्सा देखभाल के क्षेत्र में अग्रणी बन चुका है।
सर्जरी के बाद रोगी की रिकवरी तेजी से हुई और केवल 7-8 दिनों में उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई। हालांकि सर्जरी से पहले उनका वजन काफी घट चुका था, अब धीरे-धीरे उनका वजन सामान्य हो रहा है और वे सामान्य तरीके से खाना खा रहे हैं, जिससे उनका स्वास्थ्य भी बेहतर हो रहा है।
डॉ. आशीष मिश्रा ने कहा, “हमारी टीम ने एक कठिन और जटिल सर्जरी को सफलता से पूरा किया। चार बड़े ट्यूमर को एक ही सर्जरी में निकालना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो हमारे अस्पताल की विशेषज्ञता और उच्च मानकों का परिचायक है। लिवर का बड़ा हिस्सा निकालने के बाद भी बाकी का लिवर ठीक से काम करता रहा । ये लिवर से निकाले गए न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर्स में से सबसे बड़े ट्यूमर्स में से एक है इस प्रकार के मामलों में आमतौर पर दो सर्जरी की आवश्यकता होती है, लेकिन हमने एक ही सर्जरी में सफलतापूर्वक इसे पूरा किया। यह अपोलोमेडिक्स के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।”
डॉ. मयंक सोमानी (एमडी और सीईओ, अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल) ने कहा, “यह सफलता हमारे अस्पताल की उच्चतम चिकित्सा गुणवत्ता को प्रमाणित करती है। हम इस तरह के जटिल मामलों में अत्याधुनिक चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए लगातार समर्पित हैं। हमारी टीम ने यह साबित कर दिया है कि हम हर चुनौती का सामना कर सकते हैं।”