Wednesday , December 4 2024

भगवान को देखना है तो पहनें भक्ति का चश्मा : आचार्य रमाकान्त

भगवान ने रखी लाज, भरा नानीबाई का मायरा

▪️ पांच दिवसीय भक्तमाल कथा का विश्राम, अन्तिम दिन उमड़े श्रद्धालु

▪️ राज्य सरकार के मंत्रियों ने लिया आशीर्वाद

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। भक्तिमती अहिल्याबाई होल्कर त्रिशताब्दी के उपलक्ष्य में राधा स्नेह दरबार द्वारा आयोजित भक्तमाल कथा के अंतिम दिवस राज्य सरकार के मंत्रियों ने व्यास पीठ का आशीर्वाद प्राप्त किया। खाटूश्याम मन्दिर परिसर में चल रही कथा में सोमवार को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। कथा में श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त नरसी मेहता की पुत्री नानीबाई के लालची ससुराल में आयोजित कार्यक्रम में मायरा भरने स्वयं भगवान द्वारा उपस्थित होकर अपने भक्त की लाज रखने और मायरा भरने की कथा का संगीतमय वर्णन किया गया। अंतिम दिन विशेष भाग मायरे का सजीव मंचन हुआ जिसमें राधा स्नेह दरबार की सखियों ने भगवान के साथ नाचते गाते मायरा भरा।

कथावाचक आचार्य रमाकांत गोस्वामी ने कहा कि भगवान को देखना है तो भक्ति का चश्मा पहनना होगा। नरसी ने मन वचन और कर्म से भक्ति की। एक याचक की पुत्री के विवाह के लिए साठ रुपए का उधार सेठ से लिया तो बदले में कहा कि जब तक उधार न चुका दूंगा तब तक राग केदार में भजन नहीं गाऊंगा। भक्त की वचननिष्ठता इतनी कि भगवान को स्वयं साठ रुपए उधार चुकाने आना पड़ा। उन्होंने कहा कि हम जैसा व्यवहार करते हैं वैसा व्यवहार स्वयं को भी प्राप्त होता है। बेटा बेटी और बहू दामाद के प्रति समदृष्टि रखनी चाहिए।

कथा में उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह, उद्यान एवं कृषि विपणन मंत्री दिनेश प्रताप सिंह, समाजसेविका नम्रता पाठक, विधायक डा. नीरज बोरा, विधान परिषद सदस्य अशोक अग्रवाल, भाजपा महानगर अध्यक्ष आनंद द्विवेदी, पूर्व विधायक शैलेश सिंह शैलू, भाजपा नेता अमित टण्डन, विधान परिषद सदस्य सन्तोष सिंह, अपर्णा नेवतिया, डीसीपी सेन्ट्रल रवीना त्यागी, डीसीपी नार्थ आरएन सिंह, एसीपी नेहा त्रिपाठी, राधा स्नेह दरबार एवं श्याम परिवार के पदाधिकारी व सदस्यों सहित भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। भण्डारे के साथ कथा का विश्राम हुआ। ब्रज से आये कलाकारों ने मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया। कथा आयोजक राधा स्नेह दरबार की ओर से अध्यक्ष बिन्दू बोरा ने पांच दिन तक चली कथा में सहयोग के लिए सभी का आभार व्यक्त किया।