लोक चौपाल में जड़ों से जुड़ने का आह्वान
सांस्कृतिक विरासत बचाने आगे आये समाज
लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। सदियों पुरानी मंगल गीतों की परंपरा पर संकट है। पीढ़ियों से चले आ रहे ये गीत केवल उत्सव के गीत नहीं हैं बल्कि हमें सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने की कड़ी हैं। ये बातें वरिष्ठ साहित्यकार डा. रामबहादुर मिश्र ने लोक चौपाल में कहीं।
बुधवार को इन्दिरा नगर स्थित ईश्वरधाम मन्दिर परिसर में लोक संस्कृति शोध संस्थान द्वारा कैसे बचे मंगल गीत परम्परा विषय पर आयोजित लोक चौपाल में वक्ताओं ने डीजे और फिल्मी गीतों के शोर में दबते परम्परागत लोक संगीत पर चिन्ता जतायी। साथ ही बहुमूल्य सांस्कृतिक विरासत को नष्ट होने से बचाने के लिए समाज को सजग होने की अपील की।
चौपाल के तीनों चौधरी विमल पंत, पद्मा गिडवानी और डा. रामबहादुर मिश्र ने मौखिक परंपरा में आ रहे गीतों को संकलित करने, लोक धुनों को रिकॉर्ड करने, पारंपरिक गीतों की सतत कार्यशालाएं आयोजित करने का सुझाव दिया। धर्म दर्शन न्यास के संस्थापक पं. बलराम मिश्र ने कहा कि भाषा और संस्कृति को बचाना है तो इसे व्यवहार में प्रयोग किया जाए।
संस्थान की सचिव डा. सुधा द्विवेदी ने विवाह के पारम्परिक अवधी मंगल गीतों को संरक्षित करने में पद्मश्री डा. विद्याविन्दु सिंह और भोजपुरी मंगल गीतों के लिए स्मृति शेष आरती पाण्डेय के योगदान को रेखांकित किया। शोध एवं प्रकाशन अधिकारी डा. शशिकांत गोपाल ने बताया कि लोक संस्कृति शोध संस्थान ने आरती पांडेय द्वारा संकलित पारम्परिक भोजपुरी विवाह गीतों का संकलन मड़वे में विराजे जुगल जोड़ी शीर्षक से प्रकाशित किया है।
शुभारंभ कुमायूं कोकिला विमल पन्त ने गणेश गीत और इंजी. सुनील बाजपेयी ने गणेश वन्दना से किया। वरिष्ठ लोकगायिका पद्मा गिडवानी ने विवाह के पारंपरिक गीतों की बानगी प्रस्तुत की। इसके बाद सगुन गीत, हल्दी, तिलक, जयमाल आदि विभिन्न रस्मों पर शकुन्तला श्रीवास्तव ने मेरे बन्ने को कोई मत देखो नज़र लग जायेगी, सुधा द्विवेदी ने सुहाग बदरवा बरसन लागे, रीता पाण्डेय ने रामा बियाहन चले राजा दशरथ, देवेश्वरी पंवार ने पहाड़ी हल्दी गीत, आभा शुक्ला ने मड़वे के बीच लाडो, अपर्णा सिंह ने गाओ गाओ री मंगलाचार, सौम्या गोयल ने सखी आज कैसी मनोहर घड़ी है, डा. भक्ति शुक्ला ने चलो चलो भाभी रानी मड़वा बीच, सौरभ कमल ने छाई हैं खुशियां अपार अंगना मा तिलक चढ़ैं, पल्लवी निगम ने बाजन बाजे दुआर राम आए जनक दुअरवा सुनाया।
वरिष्ठ गायिका आशा श्रीवास्तव, शारदा पाण्डेय, अरुणा उपाध्याय, मीना मिश्रा, लक्ष्मी जोशी, अनीता मिश्रा, नीलिमा सिंह, कल्पना सक्सेना, गौरव गुप्ता, सत्यप्रकाश साहू, शशांक शर्मा, पल्लवी निगम आदि ने एक से बढ़कर एक मंगल गीत गाये। इस अवसर पर भावना शुक्ला, गगन शर्मा समेत अन्य लोग उपस्थित रहे।