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UPMA : सतत एवं विश्वसनीय माइक्रो फाइनेंस मॉडल विकसित करने का लिया संकल्प

  • उपमा ने धूमधाम से मनाया अपना 7वां वार्षिक अधिवेशन
  • उपमा ने एक ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी को बढ़ावा देने हेतु जारी की माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के योगदान पर आधारित अध्ययन रिपोर्ट

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। माइक्रो फाइनैन्स एसोसिएशन ऑफ उत्तर प्रदेश (उपमा) द्वारा सोमवार को माइक्रो फाइनैन्स संस्थाओं का भव्य 7वां वार्षिक अधिवेशन आयोजित किया गया। देश के कोने कोने से आए वित्तीय विशेषज्ञों ने प्रदेश की अर्थ व्यस्था को बढ़ावा देने हेतु परिचर्चा में भाग लिया। अधिवेशन का मुख्य उद्देश्य “एक ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी को बढ़ावा देने हेतु माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के योगदान पर आधारित अध्ययन रिपोर्ट जारी करना और एक सतत एवं विश्वसनीय माइक्रो फाइनेंस मॉडल विकसित करना” था।

अधिवेशन का शुभारंभ बतौर मुख्य अतिथि मौजूद असीम अरुण (राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार समाज कल्याण), मुख्य वक्ता दिनेश खारा (पूर्व चेयरमैन स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया) और माइक्रोफाइनेंस के भीष्मपितामह कहे जाने वाले विजय महाजन ने किया।

मुख्य अतिथि असीम अरुण ने माइक्रो फाइनैन्स संस्थाओं द्वारा अर्थ व्यवस्था को बढ़ावा देने हेतु दिए जा रहे सहयोग और उनके योगदान द्वारा महिलाओं के जीवन स्तर मे हो रहे सुधार पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि उपमा संस्था ने एक ऐसे महत्वपूर्ण विषय पर सम्मलेन आयोजित किया है जो कि राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता है।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता दिनेश खारा ने उपमा के 11वें स्थापना दिवस पर बधाई देते हुए कहा कि सम्मलेन में परिचर्चा के उपरांत एक ऐसी कार्य योजना बनेगी जो राज्य के विकास मे सहयोगी होगी। साथ ही एक खरब डॉलर अर्थ व्यवस्था के लक्ष्य को पूर्ण करने में एक अहम् भूमिका निभायेगी।

समारोह के दूसरे मुख्य वक्ता तथा माइक्रो फाइनेंस के विशेषज्ञ विजय महाजन ने बताया कि माइक्रो फाइनैन्स के जरिये समाज के कमजोर वर्ग विशेषकर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने हेतु उन्हें रोज़गार परक ऋण उपलब्ध कराया जाता है। उन्होंने बताया कि किस तरह से माइक्रो फाइनांस राज्य की अर्थ व्यवस्था और ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार सृजन कर बेरोजगारी की समस्या को दूर करने में सहयोग प्रदान कर सकता है।

उत्कर्ष बैंक के एमडी गोविंद सिंह ने माइक्रो फाइनेंस द्वारा रोजगार सृजन और कमजोर वर्ग की आय में वृद्धि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उत्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक भारत का लघु वित्तीय बैंक है। हमारे ऋण ग्रामीण या अविकसित इलाकों की महिलाओं या छोटे कारोबारियों के लिए होते हैं। वहां हम अपनी विभिन्न वित्तीय सेवाओं द्वारा इस वर्ग को वित्तीय समृद्धि से आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

इस अवसर पर माइक्रो फाइनेंस के स्वतः नियामक संस्था साधन के प्रमुख जीजी मेमन सहित इस कॉन्फ्रेंस में शैक्षिक संस्थाओं के रिसर्च स्कॉलर, अनेक वित्तीय विशेषज्ञ, माइक्रो फाइनांस कंपनी के सीईओ के साथ साथ नाबार्ड, आरबीआई तथा सिडबी के वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने अपने विचार रखे। सिडबी के तहत नाबार्ड माइक्रो फाइनैन्स संस्थाओं को समाज के कमजोर वर्ग के लिए रोज़गार परक ऋण उपलब्ध करने मे आर्थिक मदद करता है।

उपमा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुधीर सिन्हा ने बताया कि माइक्रोफाइनेंस जिसे माइक्रो क्रेडिट भी कहा जाता है। यह एक प्रकार की बैंकिंग सेवा है जो कम आय वाले व्यक्तियों या समूहों को प्रदान की जाती है। जहां बैंकिंग सेवाएं खत्म होती है वहां माइक्रो फाइनैन्स का कार्य शुरू होता है। उन्होंने कहा कि माइक्रो फाइनैन्स एसोसिएशन ऑफ उत्तर प्रदेश (उपमा) प्रदेश मे माइक्रो फाइनेंस के क्षेत्र में कार्यरत लगभग 30 संस्थाओं का एक संगठन है। जो माइक्रो फाइनैन्स संस्थाओं को क्षमता संवर्धन प्रशिक्षण तथा पॉलिसी एडवोकेसी मे मदद करता है। संस्था प्रति वर्ष अपना वार्षिक सम्मेलन आयोजित करती है। संस्था इस वर्ष अपनी स्थापना के 11 वर्ष पूरे कर रही है जब कि यह इसका 7वां अधिवेशन है।

समारोह में पांच सत्रों के दौरान विभिन्न विषयों जैसे व्यक्तिगत डाटा प्रोटेक्शन ऐक्ट के तहत माइक्रो फाइनैन्स संस्थाओं की तैयारी तथा माइक्रो फाइनैन्स एक सामाजिक उपयोगिता पर परिचर्चा हुई। परिचर्चा मे मुंबई से आए जना बैंक के सलाहकार, प्रख्यात लेखक तमाल बंद्योपाध्याय, उत्कर्ष बैंक के एमडी गोविंद सिंह, क्रेडिट एक्सेस के एमडी उदय कुमार, वीएफएस कैपिटल के एमडी कुलदीप मैती, कैशपोर के एमडी मुकुल जयसवाल, सोनाटा फाइनैन्स के एमडी अनूप सिंह, सत्या माइक्रोकैपिटल के एमडी विवेक तिवारी, तथा पहल फाइनैन्स की एमडी पूर्वी भवसार ने भाग लिया। इस अवसर पर विभिन्न कंपनियों से आए हुए लगभग 250 प्रतिनिधि मौजूद रहे।