…और धूं-धूं कर जल उठी सोने की लंका
लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। ‘‘बिन पूृंछे पूंछ घुमा कपि ने उद्यान उजाड़ा सारा, अतएव निपूंछा करो इसे अब यह आदेश हमारा है…।’’ रावण का आदेश मिलते ही हनुमान जी की पूंछ में आग लगा दी जाती है तो हनुमान जी कहते है कि हे दुष्ट रावण अब यही पूंछ तेरा अभिमान चूर कर देगी। हनुमान अपनी पूंछ से पूरी लंका में आग लगा देते है और पूरी लंका धूं-धूं कर जल उठती है।
सेक्टर-‘ए’ सीतापुर रोड योजना कालोनी में चल रहे रामलीला के 32वें मंचन के चौथे दिन का शुभारंभ शुक्रवार को मां दुर्गा जी की आरती से हुआ।
‘‘लो यह मेरी चूड़ामणि लो, उनके चरणों में रख देना…’’ अपनी पूंछ की आग बुझाकर हनुमान जी माता सीता के सम्मुख आते है तो माता सीता उन्हें चूड़ामणि देती है जिसके पश्चात् माता सीता से आज्ञा लेकर हनुमान जी सागर पार कर वानरों के पास आ जाते है। कलाकारों ने बालि वध, माता सीता की खोज, लंका दहन, विभीषण शरणागति, राजकुमार वध व अंगद-रावण संवाद का मंचन किया।
लंका दहन का दृश्य देख दर्शकों ने हनुमान और अंगद-रावण संवाद का आनंद लेते हुए अंगद के चरित्र की भूरि-भूरि प्रशंसा की। समिति के अध्यक्ष सुरेश तिवारी व महामंत्री जितेंद्र मिश्रा ने बताया कि शनिवार को रावण वध, श्रीराम राज्याभिषेक व पारितोषिक वितरण के साथ पांच दिवसीय रामलीला का समापन होगा।