लखनऊ (शम्भू शरण वर्मा/टेलीस्कोप टुडे)। जानकीपुरम विस्तार में स्थित केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान संस्थान में जल्द ही मरीजों को भर्ती करने की सुविधा भी मिलेगी। इसके लिए 50 बिस्तरों वाला अनुसंधान अस्पताल तैयार हो चुका है। जिसमें पुरुष वार्ड में 20 बिस्तर, महिला वार्ड में 20 बिस्तर और बाल चिकित्सा वार्ड में 10 बिस्तर हैं। सोमवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में यह जानकारी संस्थान की प्रभारी अधिकारी डॉ. लिपिपुष्पा देबता ने दी। वह आयुष मंत्रालय भारत सरकार के 100 दिन की उपलब्धियों पर जानकारी साझा कर रहीं थीं। उन्होंने बताया कि स्टाफ व रेजिडेंट डॉक्टर की तैनाती होते ही मरीजों को भर्ती करने की सुविधा शुरू हो जाएगी।
डॉ. लिपिपुष्पा देबता ने बताया कि होम्योपैथिक औषधि अनुसंधान संस्थान (एचडीआरआई) की स्थापना पहली बार वर्ष 1972 में राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, लखनऊ के परिसर में ड्रग प्रोविंग यूनिट (डीपीयू) के रूप में की गई थी। वर्ष 1987 में एचडीआरआई में पदोन्नत किया गया। केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद, आयुष मंत्रालय के तहत केंद्रीय अनुसंधान संस्थान (होम्योपैथी) की नई इमारत का उद्घाटन 09/01/2024 को डॉ. मुंजपारा महेंद्रभाई कालूभाई (केंद्रीय राज्य मंत्री, आयुष और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय) ने किया था।
उन्होंने बताया कि 14 सितंबर 2023 को यह संस्थान अपने नए परिसर में स्थानांतरित हुआ था। 18 सितंबर 2023 को OPD की शुरूआत 85 मरीज प्रतिदिन से हुई थी, जो कि वर्तमान में करीब 300 मरीज प्रतिदिन हो गई है। संस्थान एवं परिषद् में क्लीनिकल रिसर्च, फन्डामेंटल रिसर्च एवं क्लीनिकल वेरिफिकेशन एवं कोलैबुरेट स्टडी के भी कार्यक्रम सुचारू रूप से चल रहे है।
डॉ. लिपिपुष्पा ने बताया कि होम्योपैथी में रोगों को जड़ से ठीक करने की क्षमता है, इसके दुष्प्रभाव नहीं हैं। लोगों का इसके प्रति विश्वास बढ़ा है। असाध्य रोगों में भी होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति कारगार साबित हो रही है।
डॉ. अमित श्रीवास्तव ने संस्थान में एनएबीएल एवं एनएबीएच की मान्यता हेतु चल रही कार्यवाही के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि संस्थान में पोषण माह के तहत मरीजों को निःशुल्क हीमोग्लोबिन की जांच की गई। स्वच्छता ही सेवा, हिंदी दिवस एवं हिंदी पखवाड़ा, वृक्षारोपण एवं स्वच्छता हेतु सफाई तथा बीमारियों से बचाव हेतु सुझाव एवं ट्रेनिंग दी जा रही है। संस्थान की ओर से प्रत्येक सप्ताह अनुसूचित जनजाति के लिए कठवारा के मिश्रीपुर में निशुल्क शिविर आयोजित कराया जाता है।
डॉ. दिव्या वर्मा ने संस्थान में चल रही ओपीडी और नैदानिक शोधों के बारे में जानकारी दी, जो केंद्रीय अनुसंधान संस्थान (होम्योपैथी) में चल रही है और आने वाली है। उन्होंने बताया कि संस्थान में विभिन्न अनुसंधान परियोजनाएं चल रही है। जिसमें शोध अधिकारियों द्वारा विभिन्न बीमारियों का अध्ययन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि संस्थान में 6 ओपीडी चल रही हैं। जिसमें से 4 सामान्य ओपीडी, 1 विशेष और 1 रिसर्च ओपीडी है।
डॉ. दिव्या वर्मा ने बताया कि भारत और वियतनाम ने 1 अगस्त, 2024 को औषधीय पौधों में सहयोग पर केंद्रित एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके वियतनामी समकक्ष की उपस्थिति में हस्ताक्षरित यह समझौता, दुनिया भर में पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को आगे बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस क्षेत्र में सूचना, संसाधनों और अनुसंधान को साझा करने को प्रोत्साहित करने के लिए, वियतनाम का पारंपरिक चिकित्सा प्रशासन और भारत का राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड सहयोग करेंगे।