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मराठवाड़ा रेल कोच फैक्ट्री में बनेंगे वन्दे भारत ट्रेन के स्लीपर कोच

कीनेट रेलवे सोलूशन्स ने परिचालन का किया शुभारम्भ

लातूर (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। कीनेट रेलवे सोलूशन्स ने बेहद हर्ष के साथ मराठवाड़ा रेल कोच फैक्ट्री, लातूर में व्यावसायिक परिचालन का शुभारम्भ किया। यह शुभारम्भ समारोह वन्दे भारत ट्रेनों के स्लीपर कोचों की श्रृंखलाबद्ध असेंबली तथा उनके उत्पादन की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा।

कीनेट रेलवे सोलूशन्स, भारत में इलेक्ट्रिक पैसेंजर ट्रेनों का प्रमुख निर्माता है। कीनेट ने 1,920 स्लीपर कोचों के निर्माण और 35 वर्षों तक उनके रखरखाव के लिए एक अंतरराष्ट्रीय अनुबंध जीता है। इस परियोजना के तहत मौजूदा सरकारी निर्माण सुविधाओं और डिपो को वैश्विक उत्पादन और रखरखाव मानकों के अनुसार अपग्रेड किया जाएगा।

मराठवाड़ा रेल कोच फैक्ट्री का शुभारम्भ भारतीय रेलवे नेटवर्क के निरंतर हो रहे आधुनिकीकरण में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस कार्यक्रम में एनएसआर प्रसाद (सीएओ, आईसीएफ), नीरज कुमार दोहरे (डीआरएम-सोलापुर), एससी सागर (सीडब्ल्यूई, सेंट्रल रेलवे), अंशुमाली कुमार (एडीआरएम सोलापुर), प्रदीप गौर (सीएमडी, आरवीएनएल), अलेक्जेंड्रा मेलुज़ोवा (सीईओ, कीनेट), सत्यामूर्ति के. (प्रबंध निदेशक-लातूर, कीनेट) उपस्थित रहे।

लातूर, महाराष्ट्र में स्थित मराठवाड़ा रेल कोच फैक्ट्री 351 एकड़ में फैली है। इस सुविधा में 11 उन्नत असेंबली स्टेशन और विभिन्न विशिष्ट कार्यशालाएं जैसे कार बॉडी शॉप, वेयरहाउस, असेंबली, परीक्षण, बोगी और पेंट शॉप शामिल होंगी। इस फैक्ट्री का आंतरिक ट्रैक 8.6 किमी लंबा होगा।

एमआरसीएफ सौर ऊर्जा संयंत्र एवं अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र जैसे पर्यावरण संरक्षण संयंत्रों से सुसज्जित है, जो इसके कार्बन फुटप्रिंट को कम करने तथा भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों का समर्थन करने में मददगार साबित होगा। इसके अतिरिक्त, अगले वर्ष के अंत तक इस फैक्ट्री में 1,000 से अधिक पेड़ भी लगाए जाएंगे।

एमआरसीएफ में व्यावसायिक परिचालन के शुभारम्भ पर कीनेट, लातूर के प्रबंध निदेशक सत्यामूर्ति के. ने कहा: “यह संयंत्र सिर्फ एक निर्माण सुविधा से कहीं अधिक है। यह क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास हेतु एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगा। पूरी उत्पादन श्रृंखला के लिए 10,000 से अधिक लोगों के लिए रोजगार सृजन होगा, सहायक उद्योगों का समर्थन और कौशल विकास को बढ़ावा मिलेगा, जिससे हम ‘विकसित भारत @2047’ के लक्ष्य में अपना व्यापक योगदान देंगे।”