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उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर एसोसिएशन ने दी ये चेतावनी

   

लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर एसोसिएशन की केंद्रीय कार्यकारिणी की आवश्यक बैठक रविवार को फील्ड हॉस्टल कार्यालय में संपन्न हुई। जिसमें बिजली निगम, पावर कॉरपोरेशन सहित कुल 11 बिजली कंपनियों में रिक्त 17 निदेशकों की भर्ती प्रक्रिया को तत्काल निरस्त कर दलित और पिछडे वर्ग के अभियंताओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था बहाल करते हुए पुनः रिक्त पदों पर विज्ञापन निकालने की मांग उठाई गई।

केंद्रीय कार्यकारिणी ने मुख्यमंत्री से इस विषय पर उच्च स्तरीय जांच बैठाने की मांग उठाई। कार्यकारिणी का कहना था कि 2015 में बिजली निगमो में निदेशक के पदों पर लागू आरक्षण की व्यवस्था को गुपचुप तरीके से वर्ष 2017 में किसके आदेश पर वापस लिया गया, इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। 2017 में निदेशको के पदों पर मिलने वाले आरक्षण की व्यवस्था को ऊर्जा विभाग द्वारा वापस लिए जाने के बाद से एक भी आरक्षित वर्ग का निदेशक बिजली निगम में नहीं बन पाया। जो दलित व पिछडे वर्ग के अभियंताओं के साथ भेदभाव और एक बडी साजिश है।

उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर एसोसिएशन के अध्यक्ष केबी राम, कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, उपाध्यक्ष महेंद्र सिंह, सचिव आरपी केन, संगठन सचिव रामप्रीति प्रसाद, नेकी राम, बिंदा प्रसाद, अजय कुमार, एके प्रभाकर ने बैठक को संबोधित किया। उन्होंने कहाकि जिस प्रकार से दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंताओं के साथ बिजली निगमो में निदेशकों के पदों पर आरक्षण की व्यवस्था को साजिश के तहत समाप्त किया गया, वह बहुत ही चिंता का विषय है। इस मामले पर संगठन चुप बैठने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंताओं के हित में पुनः निर्णय लेते हुए निदेशकों की चयन प्रक्रिया को निरस्त कर नए सिरे से आरक्षण की व्यवस्था बहाल करते हुए भर्ती प्रक्रिया को पूरा किया जाए। जिससे दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंताओं का संवैधानिक अधिकार सुरक्षित बना रहे।

उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर एसोसिएशन की ओर से इस मामले पर एक विधिक प्रस्ताव तैयार किया गया है। जिसको जल्द ही मुख्यमंत्री व ऊर्जा मंत्री सहित अनुसूचित जाति आयोग को भी प्रेषित किया जाएगा। जरूरत पड़ी तो आर पार की लडाई का ऐलान भी किया जाएगा।