समाज के पिछड़े लोगों के साथ उत्सव मना कर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ने का करें प्रयास
लखनऊ (टेलीस्कोप टुडे संवाददाता)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से रक्षाबंधन पर्व पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। संघ के छ: पर्वों में से एक राखी का यह त्योहार समाज को एक सूत्र में पिरोने का एक माध्यम है। इस पर्व को समाज के उन लोगों के साथ मिलकर मनाना चाहिये जो पिछड़े हुए हैं। ऐसा करके ही हम अपने देश में राष्ट्रवाद की भावना को मजबूत करते हुए समाज को एकजुट कर सकते हैं। यह विचार आरएसएस के प्रांत प्रचारक कौशल जी ने सबके समक्ष रखा।

सीतापुर रोड स्थित सेंट जोसेफ कॉलेज में आयोजित रक्षाबंधन उत्सव कार्यक्रम की अध्यक्षता ब्रह्माकुमारी की राधा बहनजी ने की। उन्होंने कहा कि रक्षाबंधन पर्व का अर्थ होता है बहन की सुरक्षा करने का दायित्व उठाना। यूँ तो कोई भी किसी भी बंधन में बँधना नहीं चाहता लेकिन राखी का बंधन एक ऐसा बंधन है, जिसमें सभी सहर्ष बँध जाते हैं। बस, इस पर्व को यह जानते हुए मनाने की आवश्यकता है कि हमें देश की हर बहन की सुरक्षा का करने का संकल्प लेना चाहिये। अपने धर्म का अध्ययन करते हुए अपने ‘स्व’ की रक्षा करते हुये ही हम आदर्श समाज का निर्माण कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसा करके ही हम अपने धर्म, संस्कृति और पवित्रता की रक्षा कर सकते हैं। हमें गीता का पाठ करते हुए अपने विचारों को दूषित होने से बचाना होगा। यह भी रक्षाबंधन का एक संकल्प ही है। दूसरों की रक्षा करने के साथ ही हमें यह भी संकल्प लेने की आवश्यकता है कि हम अपने चरित्र की भी रक्षा करें।
रक्षाबंधन के व्यापक अर्थ को समझाते हुए एवं कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए अवध प्रांत के प्रांत प्रचारक कौशल ने कहा कि हमारे मनीषियों ने उत्सव एवं पर्वों के माध्यम से समाज को एकत्रित करने की संकल्पना की थी। हमारे ऋषियों ने इन पर्वों को मनाकर समाज को एकजुट करते हुए विचार-विमर्श की पद्धति बनायी थी। इसी का एक उदाहरण है कुम्भ का आयोजन। कुम्भ के आयोजन के माध्यम से पूरे देश और दुनिया के हिन्दू एकत्र होते हैं। वे एक स्थान पर एकत्र होकर ज्ञान का आदान-प्रदान करते थे।
उन्होंने कहा कि देशवासियों को बताया गया है कि उत्तर से गंगा जल लाकर दक्षिण स्थित रामेश्वरम में जल चढ़ाना चाहिये। ऐसा करने से आमजन पूरे देश का भ्रमण करते हुए अपनी संस्कृति का विकास करता है। हमारे ऋषियों ने इसलिए इन पर्वों का सृजन किया है। उन्होंने कहा कि संस्कृति को अक्षुण्ण रखना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि यही जीवन पद्धति हमें विशेष बनाती है।

कौशल जी ने धर्मांतरण की समस्या पर विचार प्रकट करते हुए कहा कि धर्मांतरण की समस्या मात्र उपासना पद्धति को बदलने की नहीं है। इससे राष्ट्रांतरण होता है। इससे राष्ट्रीयता के प्रति सम्मान की भावना भी बदल जाती है। संस्कृति का संरक्षण करके ही हम राष्ट्रीयता का संरक्षण कर सकते हैं। इसके लिये उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित अतिथिगणों से कहा कि अपने पर्व समाज के उन पिछड़े लोगों के बीच मनाना चाहिये जो विकास की मुख्यधारा से दूर होते हैं। ऐसे लोगों के बीच पर्व की खुशी मनाते हुए हम उन्हें अपनी संस्कृति और देशप्रेम की भावना से ओत-प्रोत कर सकते हैं।

गौरतलब है कि रक्षाबंधन उत्सव का यह कार्यक्रम दो दिवसीय था। इस दौरान पूरब भाग के कल्याण नगर में अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य सुहाष राव ने समाज के सभी वर्गों को एक सूत्र में जोड़ने का संदेश दिया। पश्चिम भाग के लक्ष्मण नगर में पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्र बौद्धिक शिक्षण प्रमुख मिथिलेश नारायण जी का उद्बोधन प्राप्त हुआ। वहीं, दक्षिण भाग के सुभाषनगर में प्रांत के सह बौद्धिक शिक्षण प्रमुख अविनाश जी ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम के आयोजन में विद्यार्थी कार्यकर्ताओं का प्रयास, सहयोग व सहभागिता उल्लेखनीय रही। इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोगों ने एक-दूसरे को रक्षा सूत्र बाँधे। इन उत्सवों में बड़ी संख्या में बच्चे, माताएं, बहनें और जनमानस उपस्थित रहे।

कार्यक्रम में भाग लेने वाले अन्य प्रमुख लोगों में क्षेत्र के सह संपर्क प्रमुख एवं राष्ट्रधर्म पत्रिका के निदेशक मनोजकांत, विभाग प्रचारक अनिल, विभाग कार्यवाह अमितेश, विभाग प्रचार प्रमुख दुष्यंत, भाग संघचालक डॉ. विश्वजीत, भाग प्रचारक सतीश, भाग कार्यवाह शुभम, सह भाग कार्यवाह सतीश व अभिषेक मोहन, भाग सह प्रचार प्रमुख चन्द्रभूषण, सहभाग व्यवस्था प्रमुख दीपक आदि उपस्थित रहे।

रक्षाबंधन उत्सव मनाने का उद्देश्य
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ वर्ष में छः उत्सव परम पवित्र भगवा ध्वज की छत्रछाया में मनाता है, जिसमें रक्षाबंधन को संघ द्वारा ‘‘रक्षा सूत्र उत्सव’’ के रूप में हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस वर्ष लखनऊ विभाग के चारों भागों के 44 नगरों में समरसता का पर्व रक्षाबंधन उत्सव मनाया गया। इन कार्यक्रमों में सभी से आग्रह किया गया कि अपनी सेवित सेवा बस्ती में जाकर रक्षाबन्धन पर्व मनायें। इन कार्यक्रमों में संघ द्वारा संकल्पित पांच प्रणों यथा पर्यावरण की रक्षा, सामाजिक-समरसता, धर्म जागरण, कुटुम्ब प्रबोधन, स्वदेशी के प्रति लोगों में जागरूकता एवं नागरिक कर्तव्यों के पालन पर विशेष बल दिया गया।
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